09-03-2024, 05:32 PM
हम दोनों कराह रहे थे, सिसक रहे थे और हांफ रहे थे। इस पोजीशन में अब उसने गति बढ़ा दी और तेजी से धक्के मारने लगा और हम दोनों गुत्थम-गुत्था हो रहे थे, एक दूसरे में समा जाने की जद्दोजहद कर रहे थे और जोर-जोर से आहें भर रहे थे। जैसे ही हमारे शरीर आपस में रगड़ रहे थे, मैंने उसे कसकर पकड़ लिया। मैं लगभग चिल्ला रही थी क्योंकि मुझे बहुत आनंद आ रहा था।
तभी मेरा शरीर अकड़ने लगा और मैं अपने चरमसुख तक पहुंच गई, "आआआआआआह मां इस्स्स्स्स्स्स ....." और फिर वह पहुंचा और बाप रे बाप, क्या पहुंचा। फर्र फर्र फचाक फचाक करके अपना वीर्य मेरी चूत में पिचकारी की तरह छोड़ने लगा। ओह ओह ओह मैं निहाल हो गई। हम दोनों एक दूसरे से पागलों की तरह चिपक कर चरम सुख में गोते लगा कर हांफ रहे थे।
खल्लास हो कर वह मेरे पास लेट गया और मुस्कुराते हुए पूछा, "मैडम, क्या आप अब गर्म हैं?"
"हाँ, मैंने जितना सोचा था उससे कहीं अधिक," मैं पूर्ण संतुष्टि की मुस्कान के साथ बोली।
वह बहुत जबरदस्त चुदक्कड़ था। वह कुरूप, मोटा बुड्ढा देखने में चाहे कितना भी गंदा और घटिया था लेकिन चोदने में बिल्कुल माहिर। पहले मुझ जैसी छोटी उम्र की कमसिन लड़की के कौमार्य को बड़ी चालाकी से भंग किया और चुदाई के आनंद से परिचित कराया और अब इस दूसरी चुदाई में तो जन्नत ही दिखा दिया। दोनों बार मुझे अच्छी तरह चोद कर अपनी अदम्य चुदाई क्षमता का कायल कर दिया। स्टोररूम की घटना के बाद अब इस दूसरी चुदाई के बाद तो मेरी चूत मेरे उस जंगली नौकर के लंड के लिए धड़कने लग गई। मैंने उसी वक्त फैसला किया कि मैं इस गंदे खेल से अपनी हवस पूरी करती रहूंगी और उस कमीने नौकर से चुदवाती हुई उसके द्वारा मुझे सेक्स के इस अद्भुत आनंद से परिचित कराने का प्रतिदान देती रहूंगी।
अब आगे की घटना अगली कड़ी में पढ़िए। तब तक के लिए इस कामुक रोजा की लेखनी का अल्पविराम स्वीकार कीजिए।
तभी मेरा शरीर अकड़ने लगा और मैं अपने चरमसुख तक पहुंच गई, "आआआआआआह मां इस्स्स्स्स्स्स ....." और फिर वह पहुंचा और बाप रे बाप, क्या पहुंचा। फर्र फर्र फचाक फचाक करके अपना वीर्य मेरी चूत में पिचकारी की तरह छोड़ने लगा। ओह ओह ओह मैं निहाल हो गई। हम दोनों एक दूसरे से पागलों की तरह चिपक कर चरम सुख में गोते लगा कर हांफ रहे थे।
खल्लास हो कर वह मेरे पास लेट गया और मुस्कुराते हुए पूछा, "मैडम, क्या आप अब गर्म हैं?"
"हाँ, मैंने जितना सोचा था उससे कहीं अधिक," मैं पूर्ण संतुष्टि की मुस्कान के साथ बोली।
वह बहुत जबरदस्त चुदक्कड़ था। वह कुरूप, मोटा बुड्ढा देखने में चाहे कितना भी गंदा और घटिया था लेकिन चोदने में बिल्कुल माहिर। पहले मुझ जैसी छोटी उम्र की कमसिन लड़की के कौमार्य को बड़ी चालाकी से भंग किया और चुदाई के आनंद से परिचित कराया और अब इस दूसरी चुदाई में तो जन्नत ही दिखा दिया। दोनों बार मुझे अच्छी तरह चोद कर अपनी अदम्य चुदाई क्षमता का कायल कर दिया। स्टोररूम की घटना के बाद अब इस दूसरी चुदाई के बाद तो मेरी चूत मेरे उस जंगली नौकर के लंड के लिए धड़कने लग गई। मैंने उसी वक्त फैसला किया कि मैं इस गंदे खेल से अपनी हवस पूरी करती रहूंगी और उस कमीने नौकर से चुदवाती हुई उसके द्वारा मुझे सेक्स के इस अद्भुत आनंद से परिचित कराने का प्रतिदान देती रहूंगी।
अब आगे की घटना अगली कड़ी में पढ़िए। तब तक के लिए इस कामुक रोजा की लेखनी का अल्पविराम स्वीकार कीजिए।