09-03-2024, 08:52 AM
नलिनी भाभी- “अह्ह्ह्हह… आज तूने अपनी भाभी को तृप्त कर दिया अंकुर, आज से ये अब तेरी है। तू इसका ध्यान रखना, नियम से इसमें पानी डालते रहना”
मैं- “हाँ हाँ भाभी, अब तो मेरा लण्ड भी आपको नहीं छोड़ेगा। कितनी प्यारी हो आप और आपकी यह चूत, आई लव यू भाभी”
नलिनी भाभी- “आई लव यू टू, पुच पुच”
उन्होंने मेरे सब जगह चूम लिया। सच बहुत हॉट है नलिनी भाभी। अब लण्ड से पानी निकलने के बाद मुझे सलोनी की याद आई। भाभी नंगी अपने चूतड़ों की ओर से कपड़ा डाल अपनी चूत साफ़ कर रही थी।
“भाभी और क्या देखा था आपने? अंकल ने भी सलोनी को चोद दिया है ना? मुझे तो ऐसा ही लगता है…!”
नलिनी भाभी- “अरे नहीं रे, ऐसा तो मुझे नहीं लगता पर हाँ दोनों एक दूसरे को नंगा देख चुके हैं। चुम्मा चाटी भी होती रहती है”
मैं- “अरे आपने क्या देखा वो बताओ ना??”
नलिनी भाभी- “अब तू फिर जाकर लड़ेगा ना सलोनी से”
मैं- “अरे अब मैं क्यों लड़ूंगा…?? मुझे तो इतनी प्यारी भाभी मिल गई ना अब चोदने के लिए”
नलिनी भाभी- “ओ हाँ, सुन मैंने 2-3 बार उनको चूमते हुए देखा है”
मैं- बस स्स्स्स्स्स्स? वो तो मैंने कितनी बार देखा है। वो तो जब भी आते हैं मेरे सामने ही सलोनी के गालों को चूमते हैं। ये तो अलग बात हुई ना”
नलिनी भाभी- “अरे वैसे नहीं पागल, एक बार जब मैं गैलरी में थी तो तुम्हारे अंकल सलोनी के पास ही गए थे। मैंने वैसे ही रसोई में झांक लिया तो तुम्हारे अंकल सलोनी को चिपकाये उसके होंठों को चूस रहे थे"
मैं- “बस इतना ही ना”
नलिनी भाभी- “और उनके हाथ सलोनी के नंगे चूतड़ों पर थे जिनको वो मसल रहे थे। तुमको तो पता ही है कि वो कितनी छोटी गाउन पहनती है और कच्छी पहनती नहीं है या हो सकता है कि इन्होंने उतार दी हो”
मैं- “तो फिर तो आगे भी कुछ किया होगा उन्होंने”
नलिनी भाभी- “मुझे भी यही लगा था पर फिर कुछ देर बाद ही ये वापस आ गए थे”
मैं- “और क्या क्या देखा आपने??”
नलिनी भाभी- “बस ऐसा ही कुछ और भी देखा था फिर बाद में बता दूंगी”
उन्होंने अपनी पजामी सीधी कर पहनते हुए कहा। मुझे भी अब सलोनी को देखने की इच्छा होने लगी थी। मैंने मोबाइल निकाल समय देखा, करीब आधा घंटा मुझे घर से निकले हो गया था। मधु भी वहाँ थी तो अरविन्द अंकल सलोनी से ज्यादा मजा तो नहीं ले पाये होंगे और मैंने तो यहाँ पूरा काम ही कर दिया था। पर कहीं ना कहीं दिल सलोनी के बारे में जानने को कर रहा था। तभी नलिनी भाभी ने मेरे लण्ड को भी कपड़े से साफ़ किया फिर उसको चूमकर मेरी पैंट में कर दिया। मैंने उनको चूमा और वहाँ से निकल आया।
मैंने अपने फ्लैट की ओर देखा, दरवाजा बंद था। मतलब अंकल अभी भी अंदर ही थे।
मैं अभी प्लान कर ही रहा था कि मुझे सीढ़ियों से मधु आती नजर आई…
मैं चोंक गया, मधु यहाँ है तो क्या बंद फ्लैट के अंदर अंकल और सलोनी अकेले हैं। ओह क्या वो दोनों भी चुदाई कर रहे हैं…???
मधु मुझे आश्चर्य से देख रही थी।
मैंने उसको आँखों में देखते हुए ही पूछा- “कहाँ गई थी तू??”
मधु जैसे उसने कुछ सुना ही नहीं- “अरे भैया आप यहाँ, इस समय?”
मैं- “मैंने तुझसे कुछ पूछा?”
मधु अपने हाथ में सिगरेट की डब्बी दिखाते हुए- “अंकल ने मंगाई थी”
मैं- “क्या कर रहे हैं वो दोनों अंदर????”
मधु ने कंधे उचकाए- “मुझे क्या पता??”
मैं- “कितनी देर हो गई तुझे निकले हुए?”
मधु- “अभी तो गई थी, हाँ दुकान पर कुछ भीड़ थी”
मुझे पता था कि बाहर कॉलोनी तक जाने इतनी सीढ़ियां, इस सबमें करीब 15 मिनट तो लगते ही हैं इसका मतलब पिछले 15-20 मिनट से दोनों अंदर हैं और दरवाजा भी लॉक कर लिया। साला अरविन्द मेरी बीवी से पूरा मजा ले रहा होगा। अब देखा कैसे जाये…
तभी मुझे रसोई वाली खिड़की नजर आई और मैं चुपचाप मधु को वहाँ ले गया। मेरी किस्मत कि खिड़की खुली थी। हाँ उसके दरवाजे भिड़ा कर बंद कर दिया था।
मैंने हल्की से आहत लेते हुए दरवाजे को खोल दिया। रसोई में कोई नहीं था।
मैंने उसके जंगले की चिटकनी खोल उसको भी खोला और देखा, अब अंदर जाया जा सकता था पर खिड़की काफी ऊँची थी, ऊपर चढ़ने के लिए कोई ऊँची कुर्सी या स्टूल चाहिए था।
मैंने मधु की ओर देखा, उसने अपना कल वाला फ्रॉक पहन लिया था शायद बाहर आने के लिए या अंकल के कारण। मैंने मुँह पर ऊँगली रख उसको चुप रहने के लिए इशारा किया और उसको अंदर जाने के लिए बोला। वो एकदम तैयार हो गई…
मैंने उसको उचकाया और जैसे ही उसके चूतड़ों पर हाथ लगाया, एकदम से ठंडा सा लगा। मधु ने अभी भी कच्छी नहीं पहनी थी, उसके चूतड़ नंगे थे। मैंने मधु को गोद में उठाकर खिड़की पर टिकाया और अपना हाथ सहारे के लिए ही उसके चूतड़ों पर रखा। उसका छोटा फ्रॉक हट गया था और मेरा हाथ उसके नंगे चूतड़ों पर था। एक बार फिर मेरे हाथों ने मधु के मांसल, छोटे छोटे चूतड़ों का स्पर्श किया और रोमांच से भर गए।
इससे पहले मेरे मन में उत्तेजना के साथ साथ शायद कुछ गुस्सा भी था कि एक 62 साल का बूढ़ा मेरी जवान सुन्दर बीवी जो लगभग नंगी थी, अंदर मेरे घर पर और शायद मेरे ही बैडरूम में, मेरे बिस्तर पर, ना जाने क्या कर रहा होगा???
मगर मधु के नंगे चूतड़ों के स्पर्श और जब वो खिड़की पर उकड़ू बैठी तब उसके नंगे चूतड़ और उसकी प्यारी, कोमल, छोटी सी चूत देख जिससे मैंने कल बहुत मजे किये थे और वो सब मेरी जान सलोनी के कारण ही हो सका था। मेरा सारा अंदर का द्वेष गायब हो गया और मैं अब केवल सलोनी के मजे के बारे में सोचने लगा लेकिन मन उसको ये सब करते देखना चाहता था कि मेरी जान सलोनी को पूरा मजा आ रहा है या नहीं। वो पूरी तरह आनन्द ले रही है या नहीं।
मधु के उकड़ू बैठने से उसके नंगे चूतड़ और खिली चूत ठीक मेरे चेहरे पर थे। उसकी फ्रॉक सिमटकर मेरे हाथो से दबी थी। मैंने मधु को दोनों हाथों से थाम रखा था। मेरी गर्म साँसे जब मधु को अपनी चूत पर महसूस हुई होंगी तभी उसने अपनी आँखों में एक अलग ही तरह की बैचेनी लिए मेरी ओर देखा। मैंने आँखों ही आँखों में उसको आई लव यू कहा और अपने होंठ उसकी चूत पर रख एक गर्म चुम्मा लिया।
मधु की आँखे अपने आप बंद हो गई मगर मैंने खुद पर नियंत्रण रखा। मैंने उसको रसोई में उतरने और दरवाजा खोलने को बोला। वो जैसे सब समझ गई वो जल्दी से नीचे उतर रसोई से होते हुए ऐसे आगे बड़ी कि कोई उसे ना देखे। वो बहुत सावधानी और चारों ओर देखकर आगे बढ़ रही थी।
फिर वो मुख्य द्वार की ओर बढ़ी, मैं भी घूमकर आगे बढ़ गया और अपने दरवाजे की तरफ आया। बहुत हल्के से लॉक खुलने की आवाज आई। मधु काफी समय से हमारे घर आ रही है इसलिए उसे ये सब करना आता था। उसने वाकयी बहुत सावधानी से काम किया। अंकल या सलोनी किसी को कोई भनक तक नहीं मिली।
मैं चुपचाप अंदर आया और उससे इशारे से पूछा- “कहाँ हैं दोनों??”
मधु ने बैडरूम की ओर इशारा किया। मेरे दिल की धड़कने बढ़ने लगी।
TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
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