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Incest मेरी बड़ी बहन की कातिल जवानी
#88
तभी दीदी थोडा सा ऊपर आई और जीजू ने जल्दी से अपना हाथ मेरी चादर मैं से बहार निकाला तब मैं भी होश मैं आयी और फटाफट अपनी ब्रा ऊपर की टॉप ऊपर किया तभी दीदी ने जीजू से कहा "जानू जब होने वाला हो तब बता देना " मुझे इसका मतलब समझ नहीं आया की दीदी ने जीजू से एसा क्यों कहा फिर दीदी वापस नीचे गयी और जीजू ने वापस मेरी चादर में हाथ डाला अब मुझे इन सब पे रोक लगानी थी तो मैं जोर से खांसी और करवट बदल के सो गयी दीदी भी फटाफट ऊपर आके मेरे पास जल्दी से लेट गयी शायद उन्हें लगा होगा की मैं उठ गयी हु तभी दरवाजे की बेल बजी मैंने जल्दी से लैपटॉप बंद किया और ख़ुशी से दरवाजा खोलने गया देखा तो सामने मेरी प्यारी दीदी साडी पहेने हुए खड़ी थी वो लेडीज संगीत मे से वापस आ गयी थी मैंने कहा "दीदी मम्मी कहाँ है " दीदी ने कहा "सोनू मम्मी वही रुक गयी थोड़ी देर के लिए और मैं आगयी मम्मी भी आ जाएंगी अभी " अब मैं मन ही मन खुश हुआ की यार आज तो किस्मत भी मेरा साथ दे रही है घर पे बस हम दो जने ही है जब दीदी कपडे चेंज करेंगी तो उन्हें नंगी देखने में ना किसी का डर रहेगा ना कोई प्रॉब्लम होगा दीदी अपने आप को कांच में देख रही थी मैं जान कर के दीदी के रूम मैं बेठ गया दीदी अपनी सुन्दरता को कांच मैं निहार रही थी तभी दीदी ने मुझसे पुछा " सोनू आज मैं कैसे लग रही थी साडी में मैंने कहा "बहुत अच्छी दीदी आप बहुत ही सुंदर लग रही थी 1 परी की तरह " दीदी ने कहा हा हा चल अब बहार जा मुझे कपडे चेंज करने है मैं समझ गया की दीदी आज वापस रूम मैं ही चेंज करेंगी और मैं बहुत खुश था क्यों की उनके रूम के दरवाजे मैं मैंने छेद कर दिया था दीदी ने दरवाजा बंद किया और मैंने दरवाजे के होल मैं से देखा दीदी ने अपने कंधे पे ब्लाउज पे से अपनी साडी की पिन हटाई और टेबल पे रखी तो वो पिन नीचे गिर गयी दीदी उसको उठाने के लिए नीचे झुकी और मुझे उनके ब्लाउज के गले मैं से उनके मोटे मोटे बोबे दिखाई दिए दीदी ने पिन उठा के टेबल पे रखी फिर नीचे बेठ कर अपनी पयाल उतरने लगी जब दीदी नीचे बैठी तो उनका साडी का पल्ला नीचे गिर गया और दीदी को मैंने ब्लाउज मैं देखा क्या लग रही थी दीदी खुले बाल होठो पे लिपस्टिक गले मैं चैन बहुत ही सुंदर फिर दीदी अपनी पायल उतार के खड़ी हुई और अपनी साडी उतरने लगी दीदी के खुले हुए बाल थे कानो में इअर रिंग्स हाथो में चूड़ियाँ दीदी अपनी साडी उतार रही थी तो उनके लम्बे घने बड़े काले बाल उनके फेस पे आगये क्या सेक्सी लग रही थी मेरी दीदी फिर दीदी ने साडी उतार दी मैं दीदी के नंगे कोमल पेट को देख रहा था उनके नाभि के छेद को देख रहा था फिर मैंने दीदी को ब्लाउज और पेटीकोट में देखा और उनको ऐसे देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया फिर दीदी ने अपने ब्लाउज के हुक खोलने चालू किये मैं अपने खड़े लंड को सहला रहा था और देख रहा था की धीरे 2 दीदी अपने ब्लाउज के सामने से हुक खोल रही थी दीदी ने अपने ब्लाउज के ऊपर के 3 हुक खोले और मुझे दीदी की ब्रा की स्ट्रैप्स और उनके मोटे बोबो का बड़ा सा क्लीवेज दिखाई दिया कितनी हॉट लग रही थी मेरी दीदी खुले बाल होठों पे लिपस्टिक आँखों मैं काजल कानो में बड़े 2 एअर रिंग्स गले मैं चैन ब्लाउज के ऊपर के 3 हुक खुले हुए थोड़ी सी ब्रा दिख रही थोड़े से बड़े बड़े बोबे दिख रहे दीदी की ब्रा के स्ट्रैप्स बहुत टाइट लग रहे थे उसी से पता चल रहा था की दीदी के बोबे कितने मोटे और टाइट हैं फिर दीदी ने अपना ब्लाउज पूरा उतार दिया अब मेरी दीदी मेरे सामने अपनी ब्रा मैं थी कितनी सेक्सी लग रही थी दीदी ब्रा मैं फिर पता नहीं उन्हें क्या हुआ वो उन्होंने वापस अपनी साडी ऐसे ही लपेट ली और अपनी ब्रा के ऊपर साडी का पल्ला डालने लगी शायद वो देखना चाहती थी की उनके बोबे कितने मोटे है और कितने बाहर आते है ब्रा में से क्या मोटे मोटे बोबे लग रहे थे दीदी के मैं सोच रहा था की ये कब आयेंगे मेरे हाथ में फिर दीदी अपने आप को ब्रा पहने हुए कांच मैं देखने लगी और मुझे दीदी के बोबो का साइड पोज़ दिखा उनकी ब्रा में से फिर दीदी ने अपना पेटीकोट भी उतार दिया और साडी को ढंग से रखने लगी मेरी दीदी मेरे सामने अब ब्रा और पेंटी में थी दीदी साडी ढंग से रख रही थी और उनकी पीठ मेरे तरफ थी मैं दीदी को पीछे से ब्रा पेंटी मैं देख रहा था क्या टाइट और चिकनी गांड थी दीदी की तभी दीदी पलटी और मुझे मेरी दीदी को ब्रा और पेंटी मैं से सामने से देखने का मौका मिला मैं अपने लंड को हिलाने लगा कितनी सेक्सी लगती है मेरे बहिन ब्रा और पेंटी में चिकना गोरा कोमल बदन टाइट ब्रा लोवेस्ट पेंटी बिलकुल सेक्स की देवी लग रही थी मेरी दीदी मैं अपना लंड जोर 2 से हिलाने लगा उन्हें ब्रा पेंटी में सामने से देखते हुए मैं उन्हें ब्रा पेंटी में से देखते हुए लगा की कब मैं इनकी ब्रा उतार के इनके बोबे दबाऊंगा इनके निप्पल चुसुंगा इनकी चड्डी उतार के इनकी चूत पे हाथ फेरूंगा इनकी चूत चाटूंगा .... दीदी के आने से पहले घर में अकेले बैठे बैठे मैं थोड़ा डर भी रहा था पर बहुत खुश था क्योंकि आज मैने एक तीर से दो शिकार किए थे एक तो पहली बार दीदी का मज़ा लिया था और दूसरे ऊस गांडू अंकल को बाहर का रता दिखा दिया था. पार ये सब देखते और दीदी की छत पढ़ते काफ़ी दिन हो गये थे. अब मेरा मान दीदी के साथ सेक्स करने को कर रहा था. पर कैसे? आज मैं काफ़ी खुश था और दीदी के एक एक अंगो को ध्यान से देख रहा था. भरी भरी चुचियाँ, बिल्कुल दूध के जैसे, पूरे ताने हुए से मस्त चूचे मोटे-मोटे, संगमरमर के जैसी चिकनी टाँगे, गहरी नाभि और ऊस खास जगह के तो कहने ही क्या थे. आज मैने एक खास बात नोट की दीदी के चुचे कुच्छ ज़्यादा ही कड़े लग रहे थे और चेहरे पे एक कातिल सी दिखने वाली मुस्कान थी. मुझे ये समझ में नहीं आ रहा था की आज अचानक से नगी पुँगी होकर इस तरह से मुस्कुराने के पिछे क्या राज हो हो सकता है? मुझे ज़्यादा इंतज़ार नहीं करना पड़ा मैं दम साधे अपनी प्यारी दीदी को बड़े ध्यान से देख रहा था, सिर्फ़ छ्होटी सी पतली पैंटी में बड़ी मुश्किल से अपना समान छुपाए हुए नगी पुँगी अकेले में मुस्कुराती दीदी. दीदी ने अलमारी खोली और कपड़े निकलते निकलते रुक गई. दीदी ने पलट के इधर ऊधर मुआएना किया और फिर वो हरकत कर डाली जिसकी मैं कल्पना भी न्हीं कर ससकता था. दीदी थोड़ा आगे की ओर झुकी ओर अपनी कछि ऊतर फेंकी . ऊँके झुकने से ऊँकी गाड़ फैल गयी और एक प्यारा सा भूरा सा च्छेद दिख गया. दीदी ने भी अपनी गाण्ड पीछे उभार कर ढीली छोड़ दी. उसके सुडौल चूतड़ के गोले बाहर उभर और उसके गोल गोल चमकदार चूतड़ उभर कर मेरा मन मोहने लगे। उसकी टाईट गाण्ड का लुफ़्त मुझे बहुत जोर से आ रहा था . उसके गोल गोल मांसल चूतड़ की फ़ांके मेरे सामने खुलने लगी. उसने अपनी गाण्ड उठाई और थोड़ा सा पीछे हटते हुये अपनी चूत में ऊँगली घुसा लिया. चुकीं दीदी मेरी तरफ पीठ करके खड़ी थी मैं ऊन्को aage se देख नहीं पा रहा था. मैं खड़ा खड़ा सोच रहा था काश दीदी सामने की ओर पलट जाएँ और मुझे आगे से देखने का मौका मिले. अचानक कोई चमत्कार सा हुआ , दीदी मेरी तरफ घूम गईं और मैं भौचक सा ऊन्को देखता रह गया. क्या लग रहीं थी. मुर्दे के सामने खड़े कर दो तो ऊस्का लॅंड जिंदा हो जाए. दीदी अपने स्तन को दबाने लगी । सच में बहुत अच्छा लग रहा था मुझे। वो एक हाथ पहले अपने चुचकों पर फिरती और फिर ऊस हाथ की उंगलिओन को अपने गुलाबी होठ पे सहलाती. पहले धीरे धीरे दीदी एक चुनची को सहला रहीं थी और फिर थोड़ी देर के बाद दीदी एक मुलायम गोल गोल, नरम लेकिन तनी चुनची को अपने हाथ से ज़ोर ज़ोर से मसलने लगी. दीदी की चुनची काफ़ी बड़ी थे और ऊँके छ्होटे सुंदर हथेलिओं मे पंजे मे नही समा रही थी। मुझे पता ही नही चला की कब तक दीदी चूचियों को सहला रही थीं फिर अचानक से मसलनेलगी.. दीदी को चुचि मसलते मसलते देख कर मेरा लंड धीरे धीरे ख़ड़ा होने लगा था. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. दीदी ने अपनी टांगें फ़ैला दी। उसकी भोंसड़ी खुली हुई सामने थी पाव रोटी के समान फ़ूली हुई। उसकी आकर्षक पलकें, ... उसके बीचों बीच एक गुलाबी गुफ़ा ... मस्तानी सी ... रस की खान थी वो. चिकनी और रस दार !" मैं वास्तव में दीदी की सुन्दर चूत का दीवाना हो गया था, शायद इसलिये भी कि aisi चूत मैंने जिन्दगी में पहली बार देखी थी। दीदी ने झुक कर अपनी चूत का अभिवादन किया और धीरे से अपनी ऊँगली को फांको पे फिराने लगी. धीरे धीरे दीदी ने अपनी सबसे छ्होटी ऊँगली को अंदर किया. और ऊसे निकल कर होठों पे फिरा कर उसमें भरे रस का स्वाद लिया। दीदी की ऊँगली लगते ही चूत जैसे सिकुड़ गई। उसका दाना फ़ड़क उठा और ऊँगली से रगड़ खा कर वो मचल उठा। दीदी अपने पैरों को V आकार में खड़ा कर के और तोड़ा झुक गईं. मुझे समझ नहीं आया की अब क्या होने वाला है. दरअसल दीदी ने अब अपनी अपनी चूत खोल कर और ऊस्के अंदर की ओर का नज़ारा देखे की कोशिश कर रही थी. दीदी का तो पता नहीं पर मुझे ऊँकी प्यारी सी गुलाबी सी चूत दिखने लगी. जिसे देख कर मुझे बहुत अच्छा लगा। फिर
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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RE: मेरी बड़ी बहन की कातिल जवानी - by neerathemall - 08-03-2024, 03:33 PM



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