08-03-2024, 03:13 PM
दूसरे दिन जब सुबह सुबह मैंने देखा कि दीदी नहाने जाने की तैयारी कर रही है.
तभी मैं बाथरूम में चुपचाप घुस गया.
मैंने दरवाज़ा बिना कुंडी लगाए अटका दिया और पूरे शरीर पर पानी गिरा लिया.
आधे शरीर पर साबुन लगा कर ऐसे खड़ा हो गया, जैसे नहा रहा हूँ. मैंने अपने लंड को भी हिला कर खड़ा कर रखा था ताकि दीदी को मेरा लंड फुल साइज़ में बड़ा दिखे.
कुछ ही पलों में मुझे दीदी के आने की आहट हुई तो मैं दरवाज़े की तरफ़ मुँह करके साबुन शरीर पर मसलने लगा.
दीदी ने जैसे ही दरवाज़ा खोला तो उसकी सीधी नज़र मेरे मोटे लम्बे खड़े लंड पर गयी.
वो एकदम से डर कर बाहर चली गयी.
उसके बाद जब रात को हम कमरे में पढ़ने बैठे, तो दीदी बार बार चुपके चुपके से मेरी पैंट में लंड पर नज़र घुमा रही थी.
तभी मैं समझ गया था कि दीदी को लंड देखकर मज़ा आ गया है.
तभी मैं बाथरूम में चुपचाप घुस गया.
मैंने दरवाज़ा बिना कुंडी लगाए अटका दिया और पूरे शरीर पर पानी गिरा लिया.
आधे शरीर पर साबुन लगा कर ऐसे खड़ा हो गया, जैसे नहा रहा हूँ. मैंने अपने लंड को भी हिला कर खड़ा कर रखा था ताकि दीदी को मेरा लंड फुल साइज़ में बड़ा दिखे.
कुछ ही पलों में मुझे दीदी के आने की आहट हुई तो मैं दरवाज़े की तरफ़ मुँह करके साबुन शरीर पर मसलने लगा.
दीदी ने जैसे ही दरवाज़ा खोला तो उसकी सीधी नज़र मेरे मोटे लम्बे खड़े लंड पर गयी.
वो एकदम से डर कर बाहर चली गयी.
उसके बाद जब रात को हम कमरे में पढ़ने बैठे, तो दीदी बार बार चुपके चुपके से मेरी पैंट में लंड पर नज़र घुमा रही थी.
तभी मैं समझ गया था कि दीदी को लंड देखकर मज़ा आ गया है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.