08-03-2024, 03:13 PM
मैंने अब तक कई बार अपनी दीदी के बारे में सोच कर मुठ मारी है.
हमारी चुदाई उस समय शुरू हुई, जब मैं कक्षा ग्यारहवीं कक्षा की पढ़ाई कर रहा था और मेरी बहन संगो कक्षा बारहवीं में थी.
हम लोग हमेशा से साथ में पढ़ाई करते थे और एक ही कमरे में सोते थे.
मैं और मेरी बहन थोड़ी बहुत खुल कर भी बात कर लेते थे.
कभी कभी किसी एडल्ट जोक वगैरह पर साथ हंस लेते थे.
फिर मैंने एक दिन सोच ही लिया कि किसी भी तरह से दीदी को चुदाई के लिए मनाना ही है, चाहे कोई तरकीब लगानी पड़े.
एक दिन जब दीदी नहाने गयी तो मैंने उसका मोबाइल चैक कर लिया.
उसमें उसकी एक फ़्रेंड की वाट्सअप चैट खोल कर देखी, तो मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं.
उसमें बहुत सारी पोर्न मूवीज़ थीं जो उन्होंने आपस में भेजी हुई थीं; बहुत सारी चुदाई की बातें भी लिखी हुई थीं.
चैट में उसकी फ़्रेंड मेरी दीदी को अपनी चुदाई की कहानी भी बता रही थी.
उसने दीदी को ये भी लिख कर भेजा था कि वो भी जल्दी से किसी का लंड चख ले.
जिसके उत्तर में मेरी दीदी ने जो लिखा था, वो बड़ा ही चौंकाने वाला था.
दीदी ने लिखा था कि वो भी किसी बड़े लंड से चुदवाना चाहती है, पर डरती है कि किसी को पता ना चल जाए.
इतना पढ़ने के बाद जब मुझे दीदी के बाहर आने की आवाज़ आयी तो मैंने उसका मोबाइल बंद करके रखा और बाहर आ गया.
मुझे एक बात की ख़ुशी हो रही थी कि दीदी को चुदवाने की इच्छा है, बस वो बाहर किसी से चुदवाने में डरती है.
अब मेरे दिमाग़ में एक तरकीब आयी कि मैं बड़ी आसानी से दीदी को मेरे लंड की दीवानी बना सकता हूँ. चूंकि मैं तो घर में ही उसको चोद सकता हूँ, तो वो भी खुश हो जाएगी.
हम दोनों के साथ अच्छी बात ये भी थी कि हम दोनों एक ही कमरे में सोते थे.
उसके दूसरे दिन ही मैंने अपना काम चालू कर दिया.
हमारी चुदाई उस समय शुरू हुई, जब मैं कक्षा ग्यारहवीं कक्षा की पढ़ाई कर रहा था और मेरी बहन संगो कक्षा बारहवीं में थी.
हम लोग हमेशा से साथ में पढ़ाई करते थे और एक ही कमरे में सोते थे.
मैं और मेरी बहन थोड़ी बहुत खुल कर भी बात कर लेते थे.
कभी कभी किसी एडल्ट जोक वगैरह पर साथ हंस लेते थे.
फिर मैंने एक दिन सोच ही लिया कि किसी भी तरह से दीदी को चुदाई के लिए मनाना ही है, चाहे कोई तरकीब लगानी पड़े.
एक दिन जब दीदी नहाने गयी तो मैंने उसका मोबाइल चैक कर लिया.
उसमें उसकी एक फ़्रेंड की वाट्सअप चैट खोल कर देखी, तो मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं.
उसमें बहुत सारी पोर्न मूवीज़ थीं जो उन्होंने आपस में भेजी हुई थीं; बहुत सारी चुदाई की बातें भी लिखी हुई थीं.
चैट में उसकी फ़्रेंड मेरी दीदी को अपनी चुदाई की कहानी भी बता रही थी.
उसने दीदी को ये भी लिख कर भेजा था कि वो भी जल्दी से किसी का लंड चख ले.
जिसके उत्तर में मेरी दीदी ने जो लिखा था, वो बड़ा ही चौंकाने वाला था.
दीदी ने लिखा था कि वो भी किसी बड़े लंड से चुदवाना चाहती है, पर डरती है कि किसी को पता ना चल जाए.
इतना पढ़ने के बाद जब मुझे दीदी के बाहर आने की आवाज़ आयी तो मैंने उसका मोबाइल बंद करके रखा और बाहर आ गया.
मुझे एक बात की ख़ुशी हो रही थी कि दीदी को चुदवाने की इच्छा है, बस वो बाहर किसी से चुदवाने में डरती है.
अब मेरे दिमाग़ में एक तरकीब आयी कि मैं बड़ी आसानी से दीदी को मेरे लंड की दीवानी बना सकता हूँ. चूंकि मैं तो घर में ही उसको चोद सकता हूँ, तो वो भी खुश हो जाएगी.
हम दोनों के साथ अच्छी बात ये भी थी कि हम दोनों एक ही कमरे में सोते थे.
उसके दूसरे दिन ही मैंने अपना काम चालू कर दिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.