07-03-2024, 02:14 PM
वह बड़े प्यार से मजाक करती हुई बोली- तब तो मेरा बेटा चोदेगा तेरे बेटे की माँ का भोसड़ा, सबीना!
मैंने भी मस्ती से जबाब दिया- मेरा भी बेटा चोदेगा तेरे बेटे की माँ की चूत सकीरा! तब आएगा असली मज़ा!
फिर हम दोनों खिलखिलाकर हंसने लगीं।
रात को सही समय पर सकीरा अपने बेटे हनीफ के साथ आ गयी।
मैंने हनीफ को देखा तो मेरे बदन में सुरसुरी होने लगी।
उसने भी मेरे बेटे आदिल को हसरत भरी निगाहों से देखा तो उसकी भी चूत गर्म हो गई।
हम चारों लोग एक दूसरे से अच्छी तरह परिचित थे।
इसलिए किसी को कोई न शर्म थी और न किसी तरह का डर.
हम सब खुल कर बातें करने लगे।
बेटों के आगे गन्दी गन्दी बातें करने लगे तो उनको भी मज़ा आने लगा.
सकीरा और मैंने गाउन पहना था नीचे हम दोनों भोसड़ी वाली नंगी थीं।
लड़कों ने कुर्ता और पजामा पहन रखा था।
मुझे तो हनीफ का लण्ड अपनी चूत में पेलवाने की बड़ी जल्दी थी इसलिए मैं रुकी नहीं और उसका कुर्ता उतार कर फेंक दिया।
फिर उसके पाजामे का नाड़ा खोल कर हाथ अंदर घुसेड़ दिया।
मेरा हाथ उसके लण्ड से टकरा गया तो मैं मुस्कराने लगी.
उधर सकीरा भी मेरे बेटे का लण्ड अंदर ही अंदर सहला रही थी।
मैंने थोड़ी बेशर्मी दिखाई और अपना गाउन खोल डाला.
मैं सबके आगे नंगी हो गयी।
सकीरा भी चूत चोदी नंगी हो गयी।
मज़ा तो तब बहुत ज्यादा आया जब हम चारों एकदम नंग धड़ंग हो गए।
मेरे बेटे ने मुझे पहली बार नंगी देखा तो वह उत्तेजित गया।
हनीफ ने भी पहली बार अपनी अम्मी को नंगी देखा तो बोला- अम्मी जान, तुम बहुत ज्यादा सेक्सी लग रही हो।
तब तक मैंने उसके बेटे हनीफ़ का लण्ड बाहर निकाल लिया और उसने मेरे बेटे आदिल का लण्ड।
फिर क्या … मैं उसके सामने एकदम नंगी उसके बेटे का लण्ड चूसने लगी और वह भी मेरे सामने एकदम नंगी मेरे बेटे का लण्ड चूसने लगी।
मेरा बेटा सकीरा की चूचियाँ दबाने लगा और उसका बेटा मेरी चूचियाँ दबाने लगा।
मेरी चूत पर उसके बेटे का हाथ आ गया और उसकी चूत पर मेरे बेटे का हाथ चला गया।
मैं सकीरा को अपने बेटे का लण्ड चूसते हुए बड़े गौर से देख रही थी।
मैंने मन में कहा कि लण्ड तो वाकई बड़ा गज़ब का है मेरे बेटे का।
मुझे अपने बेटे के लण्ड पर गुमान होने लगा।
सच बताऊँ दोस्तो, मैं अपने ही बेटे के लण्ड पर मर मिटी।
इधर हनीफ़ का लण्ड भी मुझे बड़ा मज़ा दे रहा था।
मैं बहुत जोश में आ गयी।
तब तक हनीफ़ बोला- आंटी, मैं लण्ड तेरी चूत में पेल दूँ?
मैंने कहा- हां बेटा पेल दो पूरा लण्ड … मुझसे और रुका नहीं जा रहा।
मैंने भी मस्ती से जबाब दिया- मेरा भी बेटा चोदेगा तेरे बेटे की माँ की चूत सकीरा! तब आएगा असली मज़ा!
फिर हम दोनों खिलखिलाकर हंसने लगीं।
रात को सही समय पर सकीरा अपने बेटे हनीफ के साथ आ गयी।
मैंने हनीफ को देखा तो मेरे बदन में सुरसुरी होने लगी।
उसने भी मेरे बेटे आदिल को हसरत भरी निगाहों से देखा तो उसकी भी चूत गर्म हो गई।
हम चारों लोग एक दूसरे से अच्छी तरह परिचित थे।
इसलिए किसी को कोई न शर्म थी और न किसी तरह का डर.
हम सब खुल कर बातें करने लगे।
बेटों के आगे गन्दी गन्दी बातें करने लगे तो उनको भी मज़ा आने लगा.
सकीरा और मैंने गाउन पहना था नीचे हम दोनों भोसड़ी वाली नंगी थीं।
लड़कों ने कुर्ता और पजामा पहन रखा था।
मुझे तो हनीफ का लण्ड अपनी चूत में पेलवाने की बड़ी जल्दी थी इसलिए मैं रुकी नहीं और उसका कुर्ता उतार कर फेंक दिया।
फिर उसके पाजामे का नाड़ा खोल कर हाथ अंदर घुसेड़ दिया।
मेरा हाथ उसके लण्ड से टकरा गया तो मैं मुस्कराने लगी.
उधर सकीरा भी मेरे बेटे का लण्ड अंदर ही अंदर सहला रही थी।
मैंने थोड़ी बेशर्मी दिखाई और अपना गाउन खोल डाला.
मैं सबके आगे नंगी हो गयी।
सकीरा भी चूत चोदी नंगी हो गयी।
मज़ा तो तब बहुत ज्यादा आया जब हम चारों एकदम नंग धड़ंग हो गए।
मेरे बेटे ने मुझे पहली बार नंगी देखा तो वह उत्तेजित गया।
हनीफ ने भी पहली बार अपनी अम्मी को नंगी देखा तो बोला- अम्मी जान, तुम बहुत ज्यादा सेक्सी लग रही हो।
तब तक मैंने उसके बेटे हनीफ़ का लण्ड बाहर निकाल लिया और उसने मेरे बेटे आदिल का लण्ड।
फिर क्या … मैं उसके सामने एकदम नंगी उसके बेटे का लण्ड चूसने लगी और वह भी मेरे सामने एकदम नंगी मेरे बेटे का लण्ड चूसने लगी।
मेरा बेटा सकीरा की चूचियाँ दबाने लगा और उसका बेटा मेरी चूचियाँ दबाने लगा।
मेरी चूत पर उसके बेटे का हाथ आ गया और उसकी चूत पर मेरे बेटे का हाथ चला गया।
मैं सकीरा को अपने बेटे का लण्ड चूसते हुए बड़े गौर से देख रही थी।
मैंने मन में कहा कि लण्ड तो वाकई बड़ा गज़ब का है मेरे बेटे का।
मुझे अपने बेटे के लण्ड पर गुमान होने लगा।
सच बताऊँ दोस्तो, मैं अपने ही बेटे के लण्ड पर मर मिटी।
इधर हनीफ़ का लण्ड भी मुझे बड़ा मज़ा दे रहा था।
मैं बहुत जोश में आ गयी।
तब तक हनीफ़ बोला- आंटी, मैं लण्ड तेरी चूत में पेल दूँ?
मैंने कहा- हां बेटा पेल दो पूरा लण्ड … मुझसे और रुका नहीं जा रहा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.