06-03-2024, 08:43 AM
नलिनी भाभी- “अरईए… आररर्र… ए… अंकुर… आअप पप इइइइइइइ…”
जिसका सपना काफी समय से देख रहा था। आज वो पूरा होता नजर आ रहा थाये सब गदराये अंग मैंने कुछ समय पहले भी नंगे देखे थे मगर कुछ दूरी से देखा वो भी कुछ पल के लिए तो कुछ ठीक से दिखाई नहीं दिया था पर इस समय सभी मेरी आँखों के सामने नंगे थे बल्कि मेरे हाथो के नीचे थे। मैं इन सबको छू रहा था मसल रहा था। मैं अपनी किस्मत पर नाज कर रहा था कि कल रात एक कुंवारी कली पूरी नंगी मेरे बाहों में थी और आज एक अनुभवी सेक्सी हुस्न से मैं खेल रहा था। एक मुझसे बहुत छोटी थी, सेक्स से बिल्कुल अनजान, केवल खेल समझने वाली और ये मुझसे बड़ी सेक्स की देवी, सेक्स को पढ़ाने और सिखाने वाली।
नलिनी भाभी की कुर्ती उनके छाती तक उठी थी और उनकी पजामी मैंने चूतड़ों से खिसका कर काफी नीचे कर दी थी। उन्होंने ब्रा, कच्छी कुछ भी नहीं पहनी थी। उनका लगभग नंगा जिस्म मचल रहा था और जवानी को जितना तड़पाओ, उतना मजा आता है।
मैं भाभी के दोनों चूतड़ अच्छी तरह मसल रहा था।
नलिनी भाभी- “ओह अंकुर, तुम कब आ गए, आहहाआ और ये क्या कर रहे हो?
अह्हा… देखो अभी छोड़ दो, ये कभी भी आ सकते हैं”
उन्होंने खुद को छुड़ाने का जरा भी प्रयास नहीं किया बल्कि और भी सेक्सी तरीके से चूतड़ हिला हिला कर मुझे रोमांचित कर रही थीं। मैंने एक हाथ उनकी पीठ पर रख उनको झुकने का इशारा किया। वो वाकयी बहुत अनुभवी थी, मेरे उनकी नंगी कमर पर हाथ रखते ही वो समझ गई। नलिनी भाभी अपने आप रसोई की स्लैप पर हाथ रख अपने चूतड़ों को ऊपर को उठा कर झुक गई। उन्होंने बहुत सेक्सी पोज़ बना लिया था।
मैंने नीचे उकड़ू बैठ उनके चूतड़ों के दोनों भाग अपने हाथों से फैला लिये और अब उनके दोनों स्वर्ग के द्वार मेरे सामने थे। वाह भाभी ने भी अपने को कितना साफ़ रखा था। कोई नहीं कह सकता था कि उनकी उम्र चालीस को छूने वाली है।
उनके दोनों छेद बता रहे थे कि वो चुदी तो बहुत हैं, उनकी चूत अंदर तक की लाली दिखा रही थी और गांड का छेद भी कुछ फैला सा था।
मगर उन्होंने अपना पूरा क्षेत्र बहुत चिकना और साफ़ सुथरा किया हुआ था। मेरी जीभ इतने प्यारे दृश्य को केवल दूर से देखकर ही संतुष्ट नहीं हो सकती थी। मैंने अपने थूक को गटका और अपनी जीभ नलिनी भाभी की चूत पर रख दी। मैंने कई गरम गरम चुम्मे उनकी चूत और गांड के छेद पर किये फिर अपनी जीभ निकाल कर दोनों छेदों को बारी बारी चाटने लगा और कभी कभी अपनी जीभ उनकी चूत के छेद में भी घुसा देता था।
भाभी मस्ती में आहें और सिसकारियाँ ले रही थी- अह्ह्ह्ह्हा…आआआ… आए… ओओ… ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह… आहा… आउच… अह्हा… अह्ह… आअह ओह…ह्ह… माआअ… आआइइइइ… उउउ…”
ना जाने कितनी तरह की आवाजें उनके मुख से निकल रही थीं। उनके घर का दरवाजा, मेन गेट से लेकर यहाँ रसोई तक सब पूरे खुले थे। मुझे भी कुछ याद नहीं था। मैं तो उनके नंगे हुस्न में ही पागल हो गया था। अब मैंने उनकी पजामी को नीचे उतारते हुए भाभी के गोरे पैरों के पंजों तक ले आया। उन्होंने मुस्कुराते हुए पैर उठाकर पजामी को पूरा अलग कर दिया। अब वो मेरी और घूमकर रसोई की स्लैब पर बैठ गई। भाभी ने अपना बायाँ पैर उठाकर स्लैब पर रख लिया। इस अवस्था में उनकी चूत पूरी तरह खिलकर सामने आ गई।
मैं उकड़ू बैठा बैठा आगे को खिसक उनकी चूत को अपने हाथ से सहलाने लगा। चूत उनके पानी और मेरे थूक से पूरी गीली थी। मैंने उनके चूत के दाने को छेड़ा।
नलिनी भाभी- “आह्ह्ह्हाआआ खा जा इसे, ओह…!”
वो मेरे बाल पकड़ मेरे सर को फिर से चूत पर दबाने लगी। मैं एक बार फिर उनकी चूत चाटने लगा पर मुझे मौके का आभास था और मैं आज ही सब कुछ कर मौका अपने हाथ में रखना चाह रहा था। मेरा लण्ड भी कल से प्यासा था, उसमें एक अलग ही तड़फ थी, कल उसे चूत तो मिली थी पर वो उसमें जा नहीं पाया था और आज एक परिपक्व चूत अपना मुख खोले निमन्त्रण दे रही है। मैं आज कोई मौका खोना नहीं चाहता था।
मैं खड़ा हुआ और मैंने पेंट की चैन खोल अपने लण्ड को आज़ाद किया। लण्ड सुपाड़ा बाहर निकाले चूत को देख रहा था। भाभी भी आँखे में लाली लिए लण्ड को घूर रही थीं, उन्होंने हाथ बढ़ाकर खुद ही लण्ड को पकड़ लिया। नलिनी भाभी अब किसी भी बात को मना करने की स्थिति में नहीं थीं। मैं आगे को हुआ, लण्ड ठीक चूत के मुख पर टिक गया।
कितनी प्यारी पोजीशन बनी, मुझे जरा सा भी ऊपर या नीचे नहीं होना पड़ा। भाभी ने खुद लण्ड अपने चूत पर सही जगह टिका दिया। मैं भी देर करने के मूड में नहीं था, मैंने कसकर एक जोर सा धक्का मारा और धाआआआ प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्क्क्क्क्क्क्क्क की आवाज के साथ लण्ड अंदर। मैंने कमर पर जोर लगाते हुए ही पूरा लण्ड अंदर तक सरका दिया। चूत की गर्मी और चिकनाहट ने मेरा काम बहुत आसान कर दिया था। अब मेरा पूरा लण्ड चूत के अंदर था। मैं बहुत आराम से खड़ी पोजीशन में था। मैंने तेजी से धक्के देने शुरू कर दिए थे।
नलिनी भाभी बहुत बेकरार थी। उन्होंने खुद अपनी कुर्ती अपनी चूचियों से ऊपर कर अपनी मदमस्त चूची नंगी कर दी थीं और उनको अपने हाथ से मसल रही थी। मैं उनकी मनसा समझ गया, मैंने अपने हाथ उनकी मुलायम चूची पर रख उनका काम खुद करने लगा। मेरे कठोर हाथों में मुलायम चूची का अकार पल प्रतिपल बदलने लगा।
नलिनी भाभी- “अह्ह्ह्हाआ… जल्दी करो अंकुर, तुम्हारे अंकल आ गये तो मुझे मार ही डालेंगे”
मैं- “अऊ ओह ह्ह्ह्ह्ह्ह… अरे कुछ नहीं होगा, वो वहाँ सलोनी के साथ हैं”
नलिनी भाभी- “अह्ह्हाआ… हाँ! पर वो कभी भी आ सकते हैं”
मैं- “अरे आने दो… वो भी तो सलोनी से मजे ले रहे हैं”
नलिनी भाभी- “अरे नहींईईईई वो तो केवल देखते हैं मगर मुझे बहुत चाहते हैं। इस तरह चुदते देख मार ही डालेंगे”
मैं- “क्या कह रही हो भाभी? क्या वो सलोनी को नहीं चोदते?”
नलिनी भाभी- “नहीं पागल, उन्होंने केवल उसको नंगी देखा है, जैसा तूने मुझे देखा था। मैंने उनको बता दिया था तो उन्होंने भी मुझे बता दिया। बस्स्स्स्स्स्स्स्स्स…”
मैं- “अरे नहीं भाभी! आप को कुछ नहीं पता, उन दोनों में और भी बहुत कुछ हो चुका है”
नलिनी भाभी- “तू पागल है, अह्ह्हाआ अहा… कुछ नहीं हुआ और वो अब किसी लायक भी नहीं हैं उनका तो ठीक से खड़ा भी नहीं होता, ओह उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ और तेज अहा… मजा आ गया। कुछ मत बोल अह्ह्ह… आज बहुत दिनों बाद अह्ह्ह ह्ह्ह्ह मेरे को करार आया है”
मैं- “चिंता मत करो भाभी, अब जब आप चाहो, यह लण्ड तुम्हारा ही है। ओह ह्ह्हह्ह्…”
नलिनी भाभी- “अह्ह्ह्हाआआआ ह्ह्ह… वैसे शक तो मुझे भी है कि ये सलोनी के यहाँ कुछ ज्यादा ही रहने लगे हैं। तू अह्ह्ह्हाआ ह्ह्ह अह्हा… अब मैं ध्यान रखूंगी और करने दे उनको, तेरे लिए मैं हूँ ना अब, इसको तो तू ही ठंडा कर सकता है”
मैं- “अह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह… ह्ह्ह्ह्ह्ह… हाँ भाभी मैंने दोनों को चिपके और चूमते सब देखा था। सलोनी अंकल का लण्ड भी सहला रही थी। अह्ह्ह्ह्हा…आआआआ…”
नलिनी भाभी- “हाँ एक बार मैंने भी देखा था। हाआआअह्हह्हह…”
मैं – “क्याआआआआआ… बताओ न”
नलिनी भाभी – “हाँ अह्ह्ह्हाआ हाँ! अह्ह… उफ़्फ़… मजा आ रहा है”
मेरा लण्ड एक लयबद्ध तरीके से नलिनी भाभी की मस्त चूत में अठखेलियाँ कर रहा था, मैं अपने हाथों से उनकी चूचियों को मसल रहा था, कभी हल्के से तो कभी पूरी कसकर, कभी कभी मैं उनके चुचूक भी अपनी अंगुली और अंगूठे की साहयता से मसल देता।
नलिनी भाभी लगातार सिसकारियां भर रही थीं- “अह्ह्ह्ह्हाआआआ… ओह… ह्ह्ह… उफ़्फ़्फ़्फ़… अह्ह्हाआआ…”
मेरे होंठ सूखने लगे। मैं उनके लाल होंठों को चूसना चाह रहा था। बस यही करने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी, मैं आगे बढ़कर उनके होंठो को अपने मुँह में नहीं ले पा रहा था शायद इसलिए क्योंकि भाभी मुझसे उम्र में बड़ी थी। तभी भाभी ने आगे को बढ़कर अपना सर आगे किया, मुझे अपनी और झुकाया और मेरे होंठो को चूम लिया। शायद इसीलिए सेक्स करने के बाद हम लोग इतना करीब आ जाते हैं। एक दूसरे की भावनाओं को कितना जल्दी समझ जाते हैं।
मैं भाभी के होंटों को चूसने लगा। तभी भाभी ने कसकर मुझे पकड़ लिया और मुझे अपने लण्ड पर गर्म गर्म अहसास हुआ…
नलिनी भाभी ने अपना पानी छोड़ दिया था।
नलिनी भाभी- “अह्ह्ह्ह्हाआआ… अह्ह्ह्ह… ह्ह्ह… ओह… नहीईइइइइइइइइइइइ… अह्ह्ह्ह… अह्ह्हह्ह्ह… आआआअ”
वो कसकर मुझे चिपकाये थीं। मेरा लण्ड उनकी चूत में पूरी तरह कसा था। मैंने भी उनकी चूचियों को पकड़ा, फिर से खड़ा हुआ और तेज तेज धक्के दिए। अब मेरा भी निकलने वाला था। मैंने अपना लण्ड बाहर निकालने के लिए पीछे हट ही रहा था कि…
नलिनी भाभी- “ओह नहींईईईईई अंदर ही डाल दो, बहुत दिन से इसको पानी नहीं लगा है। जल्दी करो ओ ओ ओ आआअ”
मैं- “ओह अह्ह्ह्ह्ह्ह… अगर कुछ रुक गया तो क्या होगा???”
नलिनी भाभी- “अह्ह्ह्ह्ह्ह ह्ह्ह कुछ नहीं होगा, मैं अब इस मजे को नहीं जाने दूंगी, अह्ह्ह्ह्ह”
और मैंने उनको कसकर पकड़ लिया। मेरे लण्ड से पिचकारी निकलने लगी जो एक के बाद एक उनके चूत में जा रही थीं। भाभी मस्ती से आँखें बंद किये मेरी हर पिचकारी का आनन्द ले रही थी।
TO BE CONTINUED ....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
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