05-03-2024, 10:30 AM
(04-03-2024, 01:51 PM)KHANSAGEER Wrote:मैंने मिन्नतें करते हुए कहा- “प्लीज़ आपी! मेरी प्यारी बहन हो या नहीं?”
“बहन क्या इसी काम के लिए है?” -आपी ने कहा और दबी सी मुस्कुराहट चेहरे पर आ गई।
मैंने कहा- “चलो ना यार”
“अगर उसी वक़्त हनी बाहर आ गई तो…ओ..?” -आपी ने कहा और गर्दन घुमा के बाथरूम के दरवाज़े को देखने लगीं।
मैंने कहा- “आपी! शावर की आवाज़ अभी भी आ रही है, वो नहीं आएगी। फिर भी आप अपने इत्मीनान के लिए उससे पूछ लो ना कि कितनी देर में निकलेगी”
आपी बाथरूम के नज़दीक हुईं और ज़रा तेज आवाज़ में बोलीं- “हनी और कितनी देर है? मैं यूनिवर्सिटी के लिए लेट हो रही हूँ”
हनी ने अन्दर से आवाज़ लगाई- “बस आपी 5 मिनट और, मैं निकलती हूँ बस… थोड़ी देर”
मैंने मुस्कुरा कर आपी को देखा और उनके क़रीब होते हुए कहा- “चलो ना आपी! प्लीज़… 5 मिनट बहुत हैं हमारे लिए”
आपी ने ज़रा डरे हुए अंदाज़ में बाथरूम को देखा और फिर कमरे के दरवाज़े की तरफ गईं। दरवाज़ा खोल कर बाहर अम्मी-अब्बू के कमरे पर एक नज़र डाली और फिर दरवाज़ा बंद करके मेरी तरफ घूम गईं और दरवाज़े पर अपनी कमर लगा कर वहाँ ही खड़ी हो गईं।
आपी ने क़मीज़ का दामन पकड़ा- “लो… खबीस... देखो और जाओ यहाँ से”और मुझसे यह कहते हुए क़मीज़ गर्दन तक उठा दी।
मैं आपी के क़रीब पहले ही आ चुका था। मैंने अपनी बहन के हसीन उभारों को देखा और अपने दोनों हाथों में आपी के उभार पकड़ कर दबाए और निप्पल को सहलाने के फ़ौरन बाद ही अचानक से आगे बढ़ कर आपी का खूबसूरत गुलाबी निप्पल अपने मुँह में ले लिया।
मेरी ज़ुबान ने आपी के निप्पल को छुआ तो आपी ने एक ‘आअहह..’भरी और सरगोशी से बोलीं- “ये क्या कर रहे हो? कहते कुछ हो और करते कुछ हो, देखने का कहा था और अब चूसना भी शुरू कर दिया। हटो पीछे, हनी बाहर आने ही वाली है”
मैंने आपी के दोनों उभारों को हाथों में दबोचा हुआ था और आपी का एक निप्पल मेरे मुँह में था। मैंने कुछ देर बारी-बारी आपी के दोनों निप्पलों को चूसा और फिर अपना मुँह हटा कर एक भरपूर नज़र से आपी के उभारों को देखा। मेरे दबोचने से ऐसा लग रहा था जैसे आपी के जिस्म का सारा खून उनके सीने के उभारों में जमा हो गया है। शफ़फ़ गुलाबी मम्मों पर मेरी ऊँगलियों के निशान बहुत वज़या हो गए थे।
मैंने हाथ उनके मम्मों पर ही रखे-रखे एक बार फिर आपी को किस किया और उनके जिस्म से अलग होते हुए कहा- “थैंक्स मेरी सोहनी सी बहना जी! आई रियली लव यू”
फिर मैंने आपी को आँख मारी और शैतानी से मुस्कुराते हुए कहा- “अब ये मेरा रोज़ सुबह-सुबह का नाश्ता हुआ करेगा। आप तैयार रहा करना,ठीक है ना”
आपी सिर झुका कर अपनी क़मीज़ को सही कर रही थीं और अपने राईट सीने के उभार को अपने हाथ से ऊपर उठा रखा था क़मीज़ सही करने के लिए। फिर उन्होंने अपने सिर उठा कर मेरी तरफ देखा और कहा- “बकवास मत करो, अब दोबारा ऐसा सोचना भी नहीं, मैं खामखाँ का रिस्क नहीं लूँगी समझे??”
मैंने आपी की बात को अनसुनी करते हुए मासूम बनते हुए कहा- “चलें छोड़ें, बाद में देखेंगे, फिलहाल अगर आपकी कोई ख्वाहिश है? मेरे जिस्म की कोई चीज़ देखनी है? या कुछ हाथ मैं पकड़ना है? या कुछ चूसना है? तो बता दें, मैं आपकी खिदमत के लिए तैयार हूँ”
आपी बेसाख्ता हँसने लगीं और बोलीं- “मैं समझ रही हूँ तुम किस चीज़ के लिए फटते जा रहे हो लेकिन मेरी ऐसी कोई ख्वाहिश नहीं है। जनाब का बहुत-बहुत शुक्रिया”
आपी की बात सुन कर मैं भी हँस दिया और बाहर जाने के लिए दो क़दम चला ही था कि बाथरूम का दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई। मैंने गर्दन घुमा कर देखा तो हनी अपने जिस्म पर सीने से लेकर घुटनों तक तौलिया लपेटे हुए बाहर निकलती नज़र आई। हनी को इस हाल में देख कर मेरे लण्ड ने फ़ौरन सलामी के तौर पर एक झटका खाया और मेरी नज़रें हनी की जवानी पर घूम गईं।
हनी 2-3 क़दम बाहर आई ही थी कि मुझ पर नज़र पड़ते ही उछल पड़ी और बोली- “उफ्फ़ भाईई! आप यहाँन्न…
और फिर तकरीबन भागते हुए वापस बाथरूम में घुस गई। मैं और आपी दोनों ही इस सिचुयेशन पर कन्फ्यूज़ हो गए थे और मैं बेसाख्ता ही बोला- “सॉरी गुड़िया, वो हमारे बाथरूम में फरहान घुसा बैठा है और बाहर वाले बाथरूम में अब्बू हैं तो मैं यहाँ आ गया कि शायद खाली हो”
हनी ने बदस्तूर गुस्सैल आवाज़ में कहा- “लेकिन भाई आप कम से कम मुझे बता तो देते ना कि आप कमरे में अन्दर हैं”
“अच्छा मेरी माँ गलती हो गई मुझसे, अब जा रहा हूँ बाहर”
मैंने यह कहा और आपी की तरफ देख कर अपना लेफ्ट हाथ अपने सीने पर ऐसे रखा जैसे मैंने अपना सीने का उभार पकड़ रखा हो और आपी को आँख मारते हुए अपने दायें हाथ की इंडेक्स फिंगर और अंगूठे को मिला कर सर्कल बनाया और बाथरूम की तरफ आँख से इशारा करते हुए हाथ ऐसे हिलाया जैसे मैं आपी को जता रहा होऊँ कि हनी के सीने के उभार देखे आपने? कितने मस्त हो गए हैं। आपी ने मुस्कुरा कर गर्दन ऐसे हिलाई जैसे मेरी बात समझ गई हों और फिर मुझे बाहर जाने का इशारा कर दिया।
“हनी बाहर आ जाओ, सगीर चला गया है” -ये आखिरी जुमला था जो मैंने आपी के कमरे से बाहर निकल कर सुना और दरवाज़ा बंद करके बाथरूम जाते हुए हनी के बारे में ही सोचने लगा।
हनी अब वाकयी ही छोटी नहीं रही है। जब वो तौलिया में लिपटे हुए बाहर निकली थी तो उसके गीले बाल और भीगा-भीगा जिस्म बहुत ही ज्यादा सेक्सी लग रहा था। मैंने आपी को आँख मारते हुए बाथरूम की तरफ आँख से इशारा करते हुए हाथ ऐसे हिलाया जैसे मैं आपी को बता रहा होऊँ कि हनी के सीने के उभार कितने मस्त हो गए हैं।
हनी जब तौलिये में लिपटी बाहर निकली थी तो उसके गीले बाल और भीगा ज़िस्म बहुत सेक्सी लग रहा था। तौलिये में हनी के सीने के उभार काफ़ी बड़े दिख रहे थे और जब वो वापस जाने के लिए मुड़ी थी तो उसके चूतड़ों की शेप भी वज़या हो रही थी और वो 3-4 क़दम ही भागी थी लेकिन मैंने हनी के कूल्हों का मटकना पहली बार गौर से देखा था जो बहुत दिलकश मंज़र था।
हनी के नंगे बाज़ू और नंगी पिण्डलियाँ बालों से बिल्कुल साफ और आपी की ही तरह शफ़फ़ थीं, बस ये था कि उसका रंग थोड़ा दबता हुआ था या फिर ये कहना ज्यादा मुनासिब है कि आपी के मुक़ाबले में वो साँवली नज़र आती थी।
हनी का क़द तकरीबन 4 फीट 10 इंच था और उसका जिस्म भारी-भरकम नहीं था बल्कि वो दुबली-पतली सी थी लेकिन सीने के उभार आपी से थोड़े छोटे और साइज़ में 32सी के थे, कूल्हे ना ही बहुत ज्यादा बड़े थे और ना ही बहुत छोटे, बस मुनासिब थे।
उसकी चाल कुदरती तौर पर ही ऐसी थी कि वो चलती थी तो उसकी टांग दूसरी टांग को क्रॉस करते हुए पाँव ज़मीन पर पड़ता था बिल्कुल बिल्ली की तरह और खुद बा खुद ही उसके छोटे क्यूट से कूल्हे मटक से जाते थे। मैंने अपनी इन्हीं सोचों के साथ गुसल किया और नाश्ते की टेबल पर ही लैपटॉप अब्बू के हवाले करके कॉलेज के लिए निकल गया।
TO BE CONTINUED ....
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
