05-03-2024, 09:17 AM
भाभी तौलिये को वहीं स्टूल पर रख, एक कोने पर रखे ड्रेसिंग टेबल की ओर जाने लगीं और जाते हुए ही उन्होंने अपना पेटीकोट चूतड़ों से नीचे सरकाते हुए पूरा निकाल दिया। उनकी पीठ मेरी ओर थी, पीछे से पूरी नंगी नलिनी भाभी मुझे जानमारू लग रही थी। उनकी नंगी गोरी पीठ और विशाल गोल उठे हुए चूतड़, गजब का नज़ारा पेश कर रहे थे। उनके दोनों चूतड़ आपस में इस कदर चिपके थे कि जरा सा भी गैप नहीं दिख रहा था।
फिर भाभी दर्पण के सामने खड़ी हो अपने बाल कंघे से सही करने लगी। मुझे दर्पण का जरा भी हिस्सा नहीं दिख रहा था। मैं दर्पण से ही उनके आगे का भाग या यूँ कहो कि उनकी चूत को देखना चाह रहा था।
मगर मेरी किस्मत इतनी अच्छी नहीं थी। भाभी ने वहीं टेबल से उठा अपनी कच्छी पहन ली और फिर ब्रा भी, फिर वो घूम कर जैसे ही आगे बढ़ी, उनकी नजर मुझ पर पड़ी। भाभी ने ‘हाय राम !’ कहते हुए तौलिये को उठा कर खुद को आगे से ढक लिया। मैं ‘सॉरी’ बोल कर उनको सामान देकर वापस आ गया। उस दिन के इस वाकिये का कभी कोई जिक्र नहीं हुआ था। बस सलोनी ने ही एक बार कुछ कहा था जिसका मेरे से कोई मतलब नहीं था।
हाँ तो आज फिर दरवाजा खुला देख मैं अंदर चला गया। आज मेरे पास कोई बहाना नहीं था, ना ही मैं उनको कुछ देने आया था मगर मेरी हिम्मत इतनी हो गई थी कि आज अगर भाभी वैसे मिली तो चाहे जो हो, आज तो पकड़ कर अपना लण्ड पीछे से उनके चूतड़ों में डाल ही दूंगा। यही सोचते हुए मैं अंदर घुसा, बाहर कोई नहीं था। इसका मतलब भाभी अंदर वाले कमरे में ही थी और मैंने चुपके से अंदर वाले कमरे में झाँका, अह्हा…
भाभी ना दोनों कमरों में थी और ना बाथरूम में। मैंने सब जगह देख लिया था, मैं बाहर वाले कमरे के साइड में देखा वहाँ उनकी रसोई है। हो सकता है वो वहाँ हों और मुझे भाभी जी दिख गई सफ़ेद टाइट पजामी और शार्ट ब्लैक कुर्ती पहने वो रसोई में काम कर रही थीं। कुर्ती उनके चूतड़ों के आधे भाग पर टिकी थी। भाभी के चूतड़ इतने विशाल और ऊपर को उठे हुए थे कि कुर्ती के बावजूद पूरे दिख रहे थे।
भाभी की सफ़ेद पजामी उनके जाँघों और चूतड़ पर पूरी तरह से कसी हुई थी। कुल मिलाकर भाभी बम लग रही थी। मैंने अपना बैग वहीं कमरे में रखा और पीछे से भाभी के पास पहुँच गया। मैं अभी कुछ करने की सोच ही रहा था मैंने देखा कि नलिनी भाभी आटा गूंध रही थी, उन्होंने शायद मुझे नहीं देखा था और ना ही पहचाना था पर शायद उनको एहसास हो गया था कि कोई है और वो उनके पति अरविन्द अंकल ही हो सकते हैं।
वो बिना पीछे घूमे बोली- “अरे सुनो… जरा मेरी पीठ में खुजली हो रही है…जरा खुजा दो…”
वो एक हाथ से बालों को सही करते हुए सीधे हाथ से आटा गूंधने में मग्न थीं। मैंने भी कुछ और ना सोचते हुए उनके मस्त बदन को छूने का मौका जाया नहीं किया। रात मधु के साथ मस्ती करने के बाद मेरा अब सारा डर पहले ही ख़त्म हो गया था। भाभी को अगर बुरा लगा भी तो क्या होगा? ज्यादा से ज्यादा वो सलोनी से ही कहेंगी और मुझे पक्का यकीन था कि वो सब कुछ आराम से संभाल लेगी।
मैंने भाभी की टाइट कुर्ती को उठाकर अपना हाथ अंदर को सरका दिया। वो सीधी हो खड़ी हो गई तो कुर्ती आराम से उनके पेट तक ऊपर हो गई मगर और ज्यादा ऊपर नहीं हुई, वो उनके वक्ष-उभारों पर अटक गई। नलिनी भाभी की सफ़ेद, बाल रहित चिकनी पीठ आधी नंगी मेरे सामने थी। मैं हाथ से सहलाने लगा।
नलिनी भाभी- “अरे नाखून से खुजाओ न… पसीने से पूरी पीठ में खुजली हो रही है…”
मन में सोचा कि बोल दूँ कि कुर्ती उतार दो, आराम से खुजा देता हूँ पर मेरी आवाज वो पहचान जाती इसलिए चुप रहा। मैंने हाथ कुर्ती के अंदर तक घुसा कर ऊपर उनकी गर्दन और कंधों तक ले गया। अंदर कोई वस्त्र नहीं था। वाह…
नलिनी भाभी ने ब्रा भी नहीं पहनी थी। उनके मम्मे नंगे ही होंगे, मन ने कहा कि अगर जरा से जोर लगाकर कुर्ती ऊपर को सरकाऊ तो आज फ़िर मम्मे नंगें दिख जायेंगे। तभी मेरी नजर खुजाते हुए ही नीचे की ओर गई। सफेद टाइट पजामी इलास्टिक वाली थी, पजामी उनके चूतड़ के ऊपरी भाग तक ही थी।
उनके चूतड़ के दोनों भाग का ऊपरी गड्डा जहाँ से चूतड़ों की दरार शुरू होती है, पजामी से बाहर नंगा था और बहुत सेक्सी लग रहा था। मैं जरा पीछे खिसका और पूरे चूतड़ों का अवलोकन किया। टाइट पजामी में कहीं भी मुझे पैंटी लाइन या कच्छी का कोई निशान नहीं दिखा। इसका मतलब नलिनी भाभी ने कच्छी भी नहीं पहनी थी। बस मेरा लण्ड उनके चूतड़ के आकार को देखते ही खड़ा हो गया और मेरी हिम्मत इतनी बढ़ गई कि मैंने पीठ के निचले भाग को सहलाते हुए अपनी उँगलियाँ उनकी पजामी में घुसा दी।
नलिनी भाभी के नर्म गोश्त का एहसास होते ही लण्ड बगावत करने को तैयार हो गया। यह मेरे लिए अच्छा ही था कि भाभी ने एक बार भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और भाभी भी लगता था कि हमेशा मूड में ही रहती थी। उन्होंने एक बार भी नहीं रोका बल्कि बात भी ऐसी करी जो हमेशा से मैं चाहता था।
नलिनी भाभी- “ओह, आपसे तो एक काम बोलो, आप अपना मौका ढूंढ लेते हो, क्या हुआ?? बड़ी जल्दी आ गए आज सलोनी के यहाँ से…? हा… हा… क्या आज कुछ देखने को नहीं मिला या अंकुर अभी घर पर ही था?”
ओह इसका मतलब नलिनी भाभी सब जानती हैं कि अरविन्द अंकल मेरे यहाँ क्यों जाते हैं और वो वहाँ क्या करते हैं। मैंने कुछ ना बोलते हुए अपना हाथ कसकर पूरा पजामी के अंदर घुसा दिया और भाभी के एक चूतड़ को अपनी मुट्ठी में लेकर कसके दबा दिया।
नलिनी भाभी- “अह्ह्ह्ह्हाआआआआ…”
मेरे सीधे हाथ की छोटी उंगली चूतड़ के गैप में अंदर को घुस गई और मुझे उनकी चूत के गीलेपन का भी पता चल गया। मैंने छोटी उंगली को उनकी चूत के ऊपर कुरेदते हुए हिलाया तो भाभी ने कसकर अपने चूतड़ों को हिलाया।
नलिनी भाभी- “ओह क्या करने लगे सुबह सुबह, फिर पूरा दिन बेकार हो जायेगा। क्या फिर सलोनी को नंगा देख आये जो हरकतें शुरू कर दी…?”
बस मैंने जोश में आकर अपने बाएं हाथ से उनकी पजामी की इलास्टिक को नीचे सरकाया और पजामी दोनों हाथ से पकड़ उनके चूतड़ों से नीचे सरका दिया। उन्होंने अपनी कमर को हिला बहुत हल्का सा विरोध किया पर उनके हाथ आटे से सने थे इसलिए अपने हाथ नहीं लगाये पर कमर हिलाने से आसानी से उनकी पजामी चूतड़ से नीचे उतर गई।
अब उनके सबसे सेक्सी चूतड़ मेरे सामने नंगे थे। दोनों चूतड़ एक तो सफ़ेद-गुलाबी रंगत लिए, गोल आकार लिए हुए एक दूजे से चिपके मनमोहक दृश्य प्रस्तुत कर रहे थे। मैंने एक हल्की से चपत लगा दोनों को हिलाया और दोनों हाथों से दोनों चूतड़ों को अपनी मुट्ठी में भर लिया।
तभी…
TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
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