05-03-2024, 09:00 AM
सलोनी- “नहीं…हाँ…अरे वो तो है… पर एक और बात भी है…”
मैं- “तो बोलो न जानू… मैंने कभी तुमको किसी भी बात के लिए मना किया है क्या?”
सलोनी- “वो विनोद को तो जानते हो ना आप? मेरे साथ जो पढ़ते थे…”
मैंने दिमाग पर जोर डाला पर कुछ याद नहीं आया। हाँ उसने एक बार बताया तो था। वैसे सलोनी ने एम० ए० किया है और एम० एड० भी। उस समय उसके साथ कुछ लड़के भी पढ़ते थे पर मुझे उनके नाम याद नहीं आ रहे थे। एक बार उसने मुझे मिलवाया भी था। हो सकता है उन्ही में कोई हो।
मैं- “हाँ यार…पर कुछ याद नहीं आ रहा…”
सलोनी- “विनोद भाईजी ने यहाँ एक कॉलेज में जगह बताई है… उसका कॉल लेटर भी आया है… मैं पूरे दिन बोर हो जाती हूँ.. क्या मैं यह जॉब कर लूँ?”
मैं उसकी किसी बात को मना नहीं कर सकता था फिर भी- “यार, तुम घर के काम में ही इतना थक जाती हो, फिर ये सब कैसे कर पाओगी?”
सलोनी- “आपको तो पता ही है… मुझे जॉब करना कितना पसंद है… प्लीज हाँ कर दो ना… मैं मधु को यहाँ ही काम पर रख लूँगी, यह मेरी बहुत सहायता कर देती है, मैंने इसके मां से भी बात कर ली है…” सलोनी पूरी तरह मेरे ऊपर आ मुझे चूमकर मनाने में लगी थी।
मैं कौन सा उसको मना कर रहा था- “अरे जान… मैं कोई मना थोड़े ही कर रहा हूँ… पर कैसे कर पाओगी इतना सब? बस इसीलिए… मुझे तुम्हारा बहुत ख्याल है जान…”
सलोनी- “हाँ मुझे पता है… पर मुझे करनी है ये जॉब…जब नहीं हो पायेगी तो खुद छोड़ दूंगी…”
मैं- “कहाँ है जानू ये कॉलेज…”
सलोनी- “वो… उस जगह… ये… नाम है कॉलेज का!”
मैं- “ओह, फिर यह तो बहुत दूर है… रोज कैसे जा पाओगी?”
सलोनी- “बहुत दूर है क्या…?”
मैं- “हाँ जान…”
सलोनी- “चलो फिर ठीक है मैं जाकर देखती हूँ… अगर ठीक लगा तो ही हाँ करुँगी…”
मैं- “जैसा तुम ठीक समझो… और ये लो पैसे… मैं चलता हूँ… जो खरीदना हो खरीद लेना… और इस पागल को भी कुछ कपड़े दिला देना…”
मधु- “उउन्न्न्न… क्या कह रहो भैया?”
मैं यह सोचकर ही खुश था कि मधु अब ज्यादा से ज्यादा मेरे पास रहेगी और मैं उससे जब चाहे मजे ले सकता हूँ। मैं अपना बेग लेकर बाहर को आने लगा पर दरवाजा खोलते ही अरविन्द अंकल सामने दिख गए।
अंकल- “अरे बेटा.. आज अभी तक यहीं हो, क्या देर हो गई?”
मैं मन ही मन हंसा, यह सोचकर आया होगा कि मैं चला गया हूँगा।
मैं- “बस जा ही रहा हूँ अंकल…”
मैं बिना उनकी और देखे बाहर निकल गया। बुड्ढा बहुत बेशर्म था, मेरे निकलते ही घर में घुस गया। अब मुझे याद आया कि ‘ओह… आज तो मैंने वो वीडियो रिकॉर्डर भी ओन कर सलोनी के पर्स में नहीं रखा…’ अब आज के सारे किस्से के बारे में कैसे पता लगेगा…
सोचते हुए कि अंकल ना जाने मेरी दोनों बुलबुलों के साथ ‘जो लगभग नंगी ही हैं…’ क्या कर रहा होगा?
मैं जैसे ही अरविन्द अंकल के घर के सामने से निकला, उनका दरवाजा खुला था। मुझे भाभी कि याद आ गई और मैं दरवाजे के अंदर घुस गया। मैंने दिमाग से सलोनी, मधु और अरविन्द अंकल को बिल्कुल निकाल दिया था। मुझे अब कोई चिंता नहीं थी सलोनी चाहे जिससे कैसा भी मजा ले और अब मैं अब केवल जीवन को रंगीन बनाने पर विश्वास करने लगा था। मुझे पूरा विश्वास था की सलोनी कितनी भी बिंदास हो मगर ऐसा कुछ नहीं करेगी जिससे बदनामी हो। वो बहुत समझदार है जो भी करेगी बहुत सोच समझ कर।
मैं अरविन्द अंकल का घर का दरवाजा खुला देखकर उसमें घुस गया। पहले मुझे ऑफिस के अलावा कुछ नहीं दिखता था, चाहे कुछ हो जाये मैं समय पर ऑफिस पहुँच ही जाता था पर अब मेरा मन काम से पूरी तरह हट गया था। हर समय बस मस्ती का बहाना ढूंढ़ता था।
मुझे याद है पिछले दिनों ऐसे ही एक बार सलोनी ने नलिनी भाभी (अरविन्द अंकल की बीवी) को कुछ सामान देने को कहा था। एक बात याद दिला दूँ कि अरविन्द अंकल भले ही 60 साल के हों पर नलिनी भाभी उनकी दूसरी बीवी हैं। वो 36-38 साल जी भरपूर जवान और सेक्सी महिला हैं। उनका एक एक अंग गदराया और साँचे में ढला है। 38-28-37 की उनकी काया उनको सेक्स की देवी जैसी खूबसूरत बना देता है। पहले वो साड़ी या सलवार सूट ही पहनती थी क्योंकि वो किसी गाँव परिवेश से ही आई थीं और उनका परिवार गरीब भी था मगर अब सलोनी के साथ रहकर वो मॉडर्न कपड़े पहनने लगी थीं और सेक्सी मेकअप भी करने लगीं थीं। कुल मिलाकर वो जबरदस्त थीं।
उनके साथ हुआ वो पिछला किस्सा मुझे हमेशा याद रहने वाला था। जब मैं सलोनी का दिया सामान देने उनके घर पहुचा तो दरवाजा ऐसे ही खुला था। अरविन्द अंकल की हमेशा से आदत थी कि जब वो आस पास कहीं जाते थे तब दरवाजा हल्का सा उरेक कर छोड़ देते थे। वैसे भी यहाँ कोई वाहर का तो आता नहीं था और इस बिल्डिंग पर हमारे आखिरी फ्लैट थे इसीलिए वो थोड़े लापरवाह थे। उस दिन जैसे ही मैं नलिनी भाभी को आवाज लगाने वाला था तो मैंने देखा कि नलिनी भाभी अंदर वाले कमरे में बालकनी वाला दरवाजा खोले, जिससे हलकी धूप कमरे में आ रही थी, केवल एक पेटकोट अपने सीने पर छातियों के ऊपर बांधे अपने बालों को तौलिये से झटक रहीं हैं।
उनके बाल पूरे आगे उनके चेहरे को ढके थे। उनका पेटीकोट उनके विशाल चूतड़ों से बस कुछ ही नीचे होगा जो उनके झुके होने से थोड़ा थोड़ा वो दृश्य दिखा रहा था, पर ऐसा दृश्य देखकर भी मेरे मन में कोई ज्यादा रोमांच नहीं आया बल्कि डर लगा कि यार ये मैंने क्या देख लिया अगर भाभी या अंकल किसी ने भी मुझे ऐसे देख लिया तो क्या होगा???
मैं वहां से जाने ही वाला था कि तभी भाभी ने एक तौलिये को एक झटका दिया और उनका पेटीकोट शायद ढीला हो गया, मैंने साफ़ देखा कि भाभी कि दोनों चूचियाँ उछल कर बाहर निकल आई। उनका पेटीकोट ढीला होकर उनके पेट तक आ गया था। अब इस दृश्य ने मेरी जाने की इच्छा को विराम लगा दिया। उनके बार-बार तौलिया झटकने से उनके दोनों उरोज ऐसे उछल रहे थे कि बस दिल कर रहा था को जाकर उनको पकड़ लूँ।
भाभी चाहे कितनी भी सेक्सी थी पर अंकल की बीवी यानी आंटी होने के नाते मैंने कभी उनको इस नजर से नहीं देखा था पर आज उनके नंगे अंग देख मेरी सरीफों वाली नजर भी बदल गई थी। शायद इसीलिए कहा जाता होगा कि आजकल लड़कियों के इतने खुले वस्त्रों के कारण ही इतने ज्यादा देह शोषण हो रहे हैं।
भाभी के उछलते मम्मे मेरे को अपनी ओर आकर्षित कर रहे थे मगर मेरा ईमान मुझे रोके था मेरे इच्छा और भी देखने की होने लगी। मैं सोचने लगा कि काश उनके गद्देदार चूतड़ भी दिख जायें और यहाँ भी भगवान से प्रार्थना कर रहा था कि अंकल अभी वापस ना आएं।
और शायद भगवान ने मेरी सुन ली…
TO BE CONTINUED .......
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
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