04-03-2024, 12:49 PM
गरम रोजा (भाग 2)
हमारे नये नौकर नें हमारे घर में कदम रखते ही मेरे जीवन में एक तूफान ला दिया था। पहले ही दिन हमारे ही स्टोर रूम में मुझ नादान लड़की को बेवकूफ बना कर अपने जाल में फंसा लिया और बड़े ही शातिर अंदाज से मेरे कौमार्य को भंग कर दिया। बड़ी कुटिलता के साथ मुझे फंसा कर मुझे उत्तेजित किया और अपनी हवस का शिकार बना दिया। कहां वह 50 - 55 साल का पहलवान टाईप खेला खाया कुरूप बूढ़ा और कहां मैं खूबसूरत कमसिन कुंवारी कन्या। मैं शैतान जरूर थी लेकिन इन सब बातों से अनजान थी, जिसका नतीजा यह हुआ कि मैं बड़ी आसानी से उसके जाल में जा फंसी। जरा भी दया दिखाए बिना मेरे तन बदन से खेला और अपने विशालकाय लंड से मेरी कुंवारी चूत का बड़ी बेदर्दी से उद्घाटन कर के करीब करीब फाड़कर ही रख दिया था। उसकी जबरदस्त कुटाई से दूसरे दिन भी मेरी चूत फूली हुई थी। चलना फिरना भी दूभर हो गया था। दूसरे दिन भी मेरी हालत खराब थी। वह कमीना नौकर घुसा तो दूसरे दिन भी मुझे भोगने का मौका तलाश कर रहा था लेकिन मैं उससे दूर दूर ही रही और उसे कोई मौका नहीं दिया लेकिन तीसरे दिन भगवान ने कुछ ऐसा कर दिया कि उसे फिर से स्वर्णिम अवसर हाथ लग गया।
उस दिन कॉलेज से लौटते समय काफी देर इंतजार करने के बाद भी हमारी कार नहीं आई तो मैं पैदल ही कुछ दूर निकल आई। तभी अचानक जोरों की बारिश शुरू हो गई। मैं सड़क किनारे एक पेड़ की छाया में बचने की कोशिश में बारिश से भीग गई। जब हमारी कार आई तबतक मैं काफी भीग चुकी थी। वैसे ही भीगी हालत में मैं कार में बैठ कर घर आई। मेरी हालत देखकर मां मुझे डांटते हुए बोली,
“रोज, तुम्हें बारिश में भीगने के लिए किसने कहा? तुमने तब तक इंतजार क्यों नहीं किया जब तक कार तुम्हें लेने नहीं आई?" वह यह देखकर चिंतित थी कि मैं सिर से पैर तक कितनी भीगी हुई थी और ठंड से कांप भी रही थी।
“मैं पहले से ही रास्ते में थी जब बारिश शुरू हुई। फिर अचानक ही जोरों से बारिश होने लगी। ड्राइवर को आने में बहुत देर हो रही थी तो और में क्या करती। मैंने ज्यादा इंतजार करने के बजाय, पैदल ही निकल चलना पसंद किया,'' मैं बोलते हुए अभी भी कांप रही थी।
"हे भगवान! जाओ तौलिया ले आओ और उसे तुरंत पोंछने में मदद करो। मैं उसके कमरे से कपड़ों की एक नई जोड़ी ले कर आती हूं।'' मेरी मां ने नौकर घुसा से कहा और वह मेरे कमरे में जाने के लिए सीढ़ियां चढ़ने लगी। फर्नीचर गीला न हो जाए, इस कारण मैं एक स्टूल पर अपनी बांहों को क्रॉस करके बैठी थी, लेकिन मैं अभी भी कांप रही थी। घर के अंदर भी मुझे बहुत ठंढ लग रही थी।
हमारा बदसूरत खड़ूस नौकर दो मोटे तौलिये लेकर आया और एक मुझे दे दिया। मैं खुद को पोंछने लगी तो वो भी दूसरे तौलिए से मुझे पोंछने लगा।
"यह आप क्या कर रहे हो? स्टोररूम की घटना के बाद मैंने तुमसे कहा था ना कि मुझसे दूर रहो,'' मैंने गुस्से में उससे कहा। मेरा गुस्सा करना जायज था लेकिन भीतर ही भीतर मुझे उसके साथ हुए प्रथम संभोग की वह मधुर याद तरंगित भी कर रही थी।
"तुम्हारी माँ ने मुझसे तुम्हारी मदद करने के लिए कहा था और अगर तुम जल्दी से अपने आप को नहीं सुखाओगी, तो तुम्हें बुखार हो सकता है," उसने हल्के अंदाज में जवाब दिया।
"लेकिन फिर भी मैं स्वयं ही अपने बदन को सुखा सकती हूं। मुझे तुम्हारी सहायता की जरूरत नहीं है," मैंने कहा और अपने शरीर और बालों को पोंछना शुरू कर दिया।
वह शांत खड़ा हो गया था और जब मैंने नज़रें उठा कर देखा तो वह मेरे सामने खड़ा होकर मेरे शरीर को घूर रहा था। मेरे कपड़े गीले हो गये थे और मेरे शरीर से चिपक गये थे। वह मेरी ब्रा की रूपरेखा, मेरे स्तन और मेरे निपल्स को स्पष्ट देख सकता था जो ठंड के कारण खड़े हो गए थे। मेरी पैंट भी मेरे पैरों से चिपक गयी थी।
हमारे नये नौकर नें हमारे घर में कदम रखते ही मेरे जीवन में एक तूफान ला दिया था। पहले ही दिन हमारे ही स्टोर रूम में मुझ नादान लड़की को बेवकूफ बना कर अपने जाल में फंसा लिया और बड़े ही शातिर अंदाज से मेरे कौमार्य को भंग कर दिया। बड़ी कुटिलता के साथ मुझे फंसा कर मुझे उत्तेजित किया और अपनी हवस का शिकार बना दिया। कहां वह 50 - 55 साल का पहलवान टाईप खेला खाया कुरूप बूढ़ा और कहां मैं खूबसूरत कमसिन कुंवारी कन्या। मैं शैतान जरूर थी लेकिन इन सब बातों से अनजान थी, जिसका नतीजा यह हुआ कि मैं बड़ी आसानी से उसके जाल में जा फंसी। जरा भी दया दिखाए बिना मेरे तन बदन से खेला और अपने विशालकाय लंड से मेरी कुंवारी चूत का बड़ी बेदर्दी से उद्घाटन कर के करीब करीब फाड़कर ही रख दिया था। उसकी जबरदस्त कुटाई से दूसरे दिन भी मेरी चूत फूली हुई थी। चलना फिरना भी दूभर हो गया था। दूसरे दिन भी मेरी हालत खराब थी। वह कमीना नौकर घुसा तो दूसरे दिन भी मुझे भोगने का मौका तलाश कर रहा था लेकिन मैं उससे दूर दूर ही रही और उसे कोई मौका नहीं दिया लेकिन तीसरे दिन भगवान ने कुछ ऐसा कर दिया कि उसे फिर से स्वर्णिम अवसर हाथ लग गया।
उस दिन कॉलेज से लौटते समय काफी देर इंतजार करने के बाद भी हमारी कार नहीं आई तो मैं पैदल ही कुछ दूर निकल आई। तभी अचानक जोरों की बारिश शुरू हो गई। मैं सड़क किनारे एक पेड़ की छाया में बचने की कोशिश में बारिश से भीग गई। जब हमारी कार आई तबतक मैं काफी भीग चुकी थी। वैसे ही भीगी हालत में मैं कार में बैठ कर घर आई। मेरी हालत देखकर मां मुझे डांटते हुए बोली,
“रोज, तुम्हें बारिश में भीगने के लिए किसने कहा? तुमने तब तक इंतजार क्यों नहीं किया जब तक कार तुम्हें लेने नहीं आई?" वह यह देखकर चिंतित थी कि मैं सिर से पैर तक कितनी भीगी हुई थी और ठंड से कांप भी रही थी।
“मैं पहले से ही रास्ते में थी जब बारिश शुरू हुई। फिर अचानक ही जोरों से बारिश होने लगी। ड्राइवर को आने में बहुत देर हो रही थी तो और में क्या करती। मैंने ज्यादा इंतजार करने के बजाय, पैदल ही निकल चलना पसंद किया,'' मैं बोलते हुए अभी भी कांप रही थी।
"हे भगवान! जाओ तौलिया ले आओ और उसे तुरंत पोंछने में मदद करो। मैं उसके कमरे से कपड़ों की एक नई जोड़ी ले कर आती हूं।'' मेरी मां ने नौकर घुसा से कहा और वह मेरे कमरे में जाने के लिए सीढ़ियां चढ़ने लगी। फर्नीचर गीला न हो जाए, इस कारण मैं एक स्टूल पर अपनी बांहों को क्रॉस करके बैठी थी, लेकिन मैं अभी भी कांप रही थी। घर के अंदर भी मुझे बहुत ठंढ लग रही थी।
हमारा बदसूरत खड़ूस नौकर दो मोटे तौलिये लेकर आया और एक मुझे दे दिया। मैं खुद को पोंछने लगी तो वो भी दूसरे तौलिए से मुझे पोंछने लगा।
"यह आप क्या कर रहे हो? स्टोररूम की घटना के बाद मैंने तुमसे कहा था ना कि मुझसे दूर रहो,'' मैंने गुस्से में उससे कहा। मेरा गुस्सा करना जायज था लेकिन भीतर ही भीतर मुझे उसके साथ हुए प्रथम संभोग की वह मधुर याद तरंगित भी कर रही थी।
"तुम्हारी माँ ने मुझसे तुम्हारी मदद करने के लिए कहा था और अगर तुम जल्दी से अपने आप को नहीं सुखाओगी, तो तुम्हें बुखार हो सकता है," उसने हल्के अंदाज में जवाब दिया।
"लेकिन फिर भी मैं स्वयं ही अपने बदन को सुखा सकती हूं। मुझे तुम्हारी सहायता की जरूरत नहीं है," मैंने कहा और अपने शरीर और बालों को पोंछना शुरू कर दिया।
वह शांत खड़ा हो गया था और जब मैंने नज़रें उठा कर देखा तो वह मेरे सामने खड़ा होकर मेरे शरीर को घूर रहा था। मेरे कपड़े गीले हो गये थे और मेरे शरीर से चिपक गये थे। वह मेरी ब्रा की रूपरेखा, मेरे स्तन और मेरे निपल्स को स्पष्ट देख सकता था जो ठंड के कारण खड़े हो गए थे। मेरी पैंट भी मेरे पैरों से चिपक गयी थी।