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Adultery जिस्म की भूख
#70
Heart 
मैंने यह बात कही तो वैसे ही शरारत से थी लेकिन आपी की बात सुन कर मैंने एक लम्हें को कुछ सोचा और मेरी आँखों में चमक सी लहरा गई। 
मैंने आपी की तरफ देखा तो आपी ने मुस्कुराते हुए गर्दन को ऐसे हिलाया जैसे उन्होंने मेरी सोच पढ़ ली हो और कहा- “सगीर कमीने! मैंने कहा है ना मैं तुम्हारी रग-रग से वाक़िफ़ हूँ। मैं जानती हूँ तुम्हारे खबीस दिमाग में क्या चल रहा है”

मैंने झेंपते हुए अपने सिर को खुज़ाया और नज़र झुका कर मुस्कुरा दिया। फिर फ़ौरन ही नज़र उठाई और आपी से बोला- “आपी यह तो इत्तिफ़ाक़न ही बहुत अच्छा मौका बन गया है, किसी तरह राज़ी कर लो हनी को भी, फिर मिल कर मज़े करेंगे ना”

आपी ने सीरीयस अंदाज़ में कहा- “शर्म करो सगीर, उसको तो छोड़ दो, वो अभी कमसिन है यार”

मैं फ़ौरन बोला- “खैर, अब इतनी छोटी भी नहीं है वो, मैं कल जब अपने गंदे कपड़े वॉशिंग मशीन में डालने गया तो वहाँ मैंने हनी की पैन्टी पड़ी देखी थी। उस पर 4-5 स्पॉट लगे हुए थे ब्लड के और दिन में आपने उसकी सलवार भी देखी ही थी”

आपी ने मेरी गुद्दी पर एक चपत रसीद की और कहा- “मेनसिस तो उसे 4-5 साल पहले से हो रहे हैं लेकिन है तो नादान ही ना”

मैंने अपनी गुद्दी को सहलाते हुए कहा- “मेनसिस 4-5 साल से हो रहे हैं, सीने के उभार आप से कुछ ही छोटे हैं, कूल्हे मटकने लगे हैं, तो नादान कहाँ से है?”

“अच्छा बस करो फिज़ूल की बहस, बाद में देखेंगे कि क्या करना है। मैं जाती हूँ अब्बू को कपड़े दे दूँ” -आपी यह कह कर खड़ी हुईं तो मैं भी उनके साथ-साथ ही खड़ा हो गया।

आपी ने 2 क़दम उठाए और रुक गईं फिर वापस घूमीं और आहिस्ता आवाज़ में बोलीं- “सगीर मैं आज रात को तुम्हारे कमरे में नहीं आऊँगी। सुबह यूनिवर्सिटी लाज़मी जाना है क्योंकि मेरी प्रेज़ेंटेशन है”

फिर मेरे सामने दोनों हाथ जोड़ कर गिड़गिड़ाने के अंदाज़ में बोलीं- “और प्लीज़… प्लीज़ तुम लोग भी आपस में कुछ नहीं करना। कुछ तो अपनी सेहत का ख़याल रखो। अभी डिस्चार्ज होने के बाद क्या हालत हो गई थी तुम्हारी, याद है ना?”

मैं कुछ देर तो चुप रहा फिर बोला- “अच्छा ठीक है आप नहीं आना और बेफ़िक्र रहें, हम कुछ नहीं करेंगे। आज वैसे भी अब्बू के लैपटॉप को सैट करना है उसमें ही बहुत टाइम लग जाएगा। सुबह तैयार ना हुआ तो अब्बू की बातें सुननी पड़ेंगी”

आपी ने मेरी बात सुनी तो मुस्कुरा दीं और मेरे गाल को चुटकी में पकड़ कर दबा दिया और दाँत चबा कर बोलीं- “शाबाश मेरा सोहना भाई..”

“आआअप्प्प्प्पीईई…” -मैंने अपने दोनों हाथ आपी के हाथ पर रख के अपना गाल छुड़ाया और बुरा सा मुँह बना के गाल को सहलाते हुए कहा- “यार ये नहीं किया करो ना, आपी दर्द होता है ना”

आपी तेज आवाज़ में खिलखिला कर हँसी और बगैर कुछ बोले ही अब्बू के कपड़े लेने चल दीं। मैं कुछ देर बुरा सा मुँह बनाए अपना गाल सहलाता रहा और फिर बाहर की तरफ चल दिया कि काफ़ी दिन हो गए स्नूकर की बाज़ी नहीं लगाई थी।

रात को फरहान ने आपी का पूछा तो मैंने कह दिया- “सुबह आपी की प्रेज़ेंटेशन है इसलिए वो नहीं आएँगी और मैंने भी काम करना है, तुम सो जाओ”

फरहान को टालने के बाद मैं भी अब्बू के लैपटॉप को ही सैट करता रहा। डेटा ट्रान्स्फर करने के बाद आपी के कहे बिना ही अपने पीसी से तमाम ट्रिपल एक्स मूवीज भी आपी वाले लैपटॉप में ट्रान्स्फर कर दीं। ये काम भी तो जरूरी ही था। अपना काम खत्म करने के बाद मैं भी सोने के लिए लेट गया और आगे का सोचने लगा कि अब बात को आगे कैसे चलाया जाए और इसी सोच में जाने कब नींद ने तमाम सोचों से बेगाना कर दिया।

मेरी बहन को भी अब इस सब खेल में मज़ा आने लगा था और उनकी झिझक काफ़ी हद तक खत्म हो गई थी। मैं हमेशा यह सोचता था कि लड़कियाँ लड़कों के मुक़ाबले में सेक्स की तरफ कम ही मुतवजा होती हैं लेकिन अब मेरी सोच का नजरिया बदल चुका था और मैं जान गया था कि जितनी शिद्दत सेक्स की हम लड़कों में होती है उससे कई गुना ज्यादा लड़कियों में होती है। बस ये है कि उनमें फितरती झिझक और खौफ होता है जो उन्हें सेक्स के मामले में आगे नहीं बढ़ने देता। मर्दों का तो कुछ नहीं जाता और ना ही कोई ऐसा सबूत होता है जो उनके कुंवारेपन को चैलेन्ज कर सके, जबकि लड़कियाँ अगर अपना कुंवारापन खो दें तो वे उसे कभी छुपा नहीं सकती हैं।

सुबह जब मेरी आँख खुली और कॉलेज जाने के लिए तैयार होने के लिए बाथरूम के पास गया तो फरहान नहा रहा था।

मैंने बाहर से आवाज़ लगाई- “फरहान यार कितनी देर है?”

अन्दर से शावर के शोर के साथ ही फरहान की आवाज़ आई- “भाई मैं अभी तो घुसा हूँ, नहा रहा हूँ थोड़ा टाइम तो लगेगा ही ना”

मैंने फरहान की बात का कोई जवाब नहीं दिया और नीचे कामन बाथरूम के लिए चल दिया।

मैं बाथरूम के पास पहुँचा ही था कि आपी के कमरे का दरवाज़ा थोड़ा खुला देखकर रुक गया और अन्दर देखा तो आपी चादर, स्कार्फ से बेनियाज़, उलझे बालों और सिलवटजदा कपड़ों में नज़र आईं। शायद वो अभी ही बिस्तर से उठी ही थीं, उनकी क़मीज़ बेतरतीब सी हालत में उनके कूल्हों से उठी हुई थी और कमर से चिपकी थी। आपी की रानें और कूल्हे देख कर मुझे झुरझुरी सी आई और लण्ड ने अंगड़ाई ली।

मैं आपी के कमरे की तरफ चल दिया। मैं अन्दर दाखिल हुआ और आहिस्तगी से दरवाज़ा बंद कर दिया। आपी दोनों हाथ कमर पर टिकाए बाथरूम के सामने खड़ी थीं और नींद से बोझिल आँखें लिए हनी के बाथरूम से निकलने का इन्तजार कर रही थीं। शावर की आवाज़ बता रही थी कि हनी नहा रही है।

मैं दबे पाँव आपी के पीछे गया और उनकी बगलों के नीचे से हाथ गुजार कर आपी के सीने के खूबसूरत उभारों पर रखते हुए सरगोशी में कहा- “हैलो सेक्सी बहना जी, सुबह की सलाम”

मैंने बात खत्म करके अपने होंठ आपी की गर्दन पर रख दिए। आपी ने मेरी इस हरकत पर हड़बड़ा कर आँखें खोलीं और कूल्हों को पीछे दबाते हुए मेरे हाथ अपने मम्मों से हटाने की कोशिश की और सहमी हुई सी आवाज़ में बोलीं- “सगीर पागल हो गए हो क्या? छोड़ो मुझे, किसी ने देख लिया तो??”

मैंने आपी के दोनों निप्पल अपनी चुटकियों में पकड़ कर मसले और आपी की गर्दन से होंठ हटा कर कहा- “मेरी सोहनी बहना जी! अम्मी अब्बू का रूम अभी बंद है, शावर की आवाज़ आ रही है तो हनी अभी नहा ही रही है और किसने देखना है?”

मैंने बात खत्म की और आपी को अपनी तरफ घुमाते हुए उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। आपी ने अपना चेहरा पीछे हटाने की कोशिश की लेकिन मैंने उनकी कमर को जकड़े रखा जिससे वो पीछे की तरफ कमान की सूरत मुड़ गईं। मैंने जोरदार चुम्मी करने के बाद अपने होंठ आपी के होंठों से अलग किए और उन्हें सीधा कर दिया जिससे से मेरी गिरफ्त भी ढीली हो गई।

आपी ने मेरी गिरफ्त को कमज़ोर महसूस किया तो मेरे सीने पर हाथ रख कर पीछे धक्का दिया और झुंझलाते हुए दबी आवाज़ में कहा- “इंसान बनो, सुबह-सुबह क्या मौत पड़ी है तुमको, अब जाओ भी, क्यों मरवाओगे क्या?”

मैंने शैतानी सी मुस्कुराहट से आपी की तरफ देखा तो वो फ़ौरन बोलीं- “सगीर! खुदा के लिए जाओ”

मैंने आपी के चेहरे पर ही नज़र जमाए हुए कहा- “एक शर्त पर जाऊँगा”

“शर्त??” -आपी ने हैरत और खौफ की मिली-जुली कैफियत में कहा।

मैंने आपी के सीने के उभारों की तरफ हाथ से इशारा करते हुए कहा- “मुझे ये दोनों देखने हैं”

“तुम बिल्कुल ही सठिया गए हो, इस वक़्त???? क्या आग लगी है तुम्हें??”

आपी ने अब अपनी कैफियत पर क़ाबू पा लिया था और अब उनके चेहरे पर खौफ के आसार भी नहीं थे लेकिन झुंझलाहट अभी भी मौजूद थी।

TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 05-02-2024, 06:40 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 11-02-2024, 08:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 03:03 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 10:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 17-02-2024, 07:45 PM
RE: जिस्म की भूख - by sananda - 17-02-2024, 09:34 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 09:16 AM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 04:29 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 25-02-2024, 05:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 27-02-2024, 10:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 02-03-2024, 02:07 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 02-03-2024, 11:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 05-03-2024, 12:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-03-2024, 02:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 07:43 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 05:30 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 14-03-2024, 02:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 18-03-2024, 09:07 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 19-03-2024, 06:24 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 28-03-2024, 02:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 28-03-2024, 10:16 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 30-03-2024, 02:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 02-04-2024, 10:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-04-2024, 05:17 PM
RE: जिस्म की भूख - by Chandan - 11-04-2024, 09:41 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 11:34 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 02:06 PM



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