(29-02-2024, 12:20 PM)Rajen4u Wrote: वह मेरी ओर देखकर मुस्कुराया और मुझसे कहा, "ओह, तुम होश में आ गई। चलो हमको सुकून मिला।" मुझे गुस्सा आ गया और मैंने उठने की कोशिश की लेकिन मेरे ऊपर मुश्किल से चार पांच इंच ऊपर झुकी हुई कोई भारी चीज से टकरा गई।वाह Rajen जी वाह, क्या describe किया है आपने, लड़की के अंग अंग को पूरी तरह से विस्तारपूर्वक आपने मेरी आँखों के सामने ला दिया है / ऐसा लग रहा है की रोज़ के उपर मैं ही गिरा हुआ हूँ और मेरा लौड़ा उसके कमसिन बदन की गर्मी ले कर और भी लम्बा चौड़ा हो रहा है और पत्थर जैसा सख्त हो रहा है / बहुत खूब / शाबास ऐसे ही आगे बढते रहें और हमारे जैसे जिज्ञासु पाठकों के मस्तिष्क को खुराक देतें रहें /
"हाय राम, यह क्या है?" मेरे मुंह से निकला।
"यह लोहे का भारी शेल्फ है जो गिर कर तिरछा होकर दीवार से टिक गया है, ठीक हमारे ऊपर। यह तो अच्छा हुआ कि यह सामने वाले दीवार पर टिक गया है नहीं तो हमलोग उसी के नीचे दब जाते।" वह बोला। इसके साथ ही वह अपने मजबूत बाजुओं से मुझे अपने ऊपर दबा लिया।
"आपको क्या लगता है, आप क्या कर रहे हैं?" मैंने गुस्से से पूछा।
"मैडम, क्या आपको नहीं दिख रहा कि इस शेल्फ के नीचे हम कैसे फंसे हुए हैं?" वह बोला।
मैंने ऊपर देखा तो पाया कि लोहे का भारी शेल्फ विपरीत दीवार पर झुकी हुई थी। यदि ऐसा न होता तो यह हम पर ही गिर पड़ता। खड़े होने कि बात तो दूर, ठीक से बैठने की भी कोई संभावना नहीं थी क्योंकि शेल्फ के सारे डिब्बे भी गिर कर हमें घेर चुके थे। मैंने रेंगकर दरवाजे तक पहुंचने की सोची लेकिन बक्सों को एक तरफ धकेलने की जगह भी नहीं थी। हम मानो एक छोटे से ऐसे पिंजरे में कैद हो गये थे जहां हम उस वक्त जैसी स्थिति में थे उसी स्थिति में रहने को बाध्य थे, अर्थात या तो अपने हाथों के सहारे एकाध इंच का फासला बना कर उसके शरीर के ऊपर झुकी रहूं या उस पर लद जाऊं।
“मैडम, आपने अब तक सब कुछ समझ लिया होगा। हम यहां तब तक फंसे हुए हैं जब तक कोई तीसरा आदमी हमारी मदद के लिए नहीं आता,'' उसने कहा।
अरे नहीं। कम से कम 2 घंटे तक कोई मदद के लिए नहीं आएगा क्योंकि आज शनिवार को छुट्टी के दिन मेरी माँ इस समय मंदिर जाती हैं। अब मैं 2 घंटे तक इसी तरह बदहाल , असहाय और बेचारगी की स्थिति में घुसा के चंगुल में फंसी रहूंगी।
"आपने मदद के लिए हल्ला क्यों नहीं किया?" मैंने यह तथ्य छिपाते हुए कि मेरी मां घर में नहीं थी, घुसा से पूछा।
“हमने किया था, मैडम। लेकिन कोई नहीं आया,'' उसने ऐसे कहा कहा मानो मुझे उस पर विश्वास हो जाएगा! उसने तो जरूर सोच ही लिया था होगा कि यह अच्छा है, क्योंकि इस स्थिति में मेरे शरीर को अच्छी तरह से महसूस कर सकता है।
"मैं कितनी देर तक बेहोश थी?" मैं ने पूछा।
“शायद लगभग 15 मिनट, मैडम, लेकिन यह इतना लंबा समय भी नहीं था,'' उसने कहा।
उफ, मुझे नहीं पता था कि उसने 15 मिनट तक मेरे शरीर के साथ क्या क्या किया। अगर वह सच कह रहा था तो इन पंद्रह मिनटों में जरूर यह मेरे शरीर के अंगों से छेड़छाड़ करने से बाज नहीं आया होगा। इस उम्र में भी कुंवारी रहने के बावजूद मर्दों का लड़कियों के प्रति क्या नीयत रहती है इसका मुझे अंदाजा था। मौका मिलते ही ऐसे मर्द लड़कियों के शरीर के साथ क्या क्या कर सकते हैं इसका मुझे अनुभव तो नहीं था लेकिन अंदाजा तो जरूर था।
"मुझे समझ नहीं आ रहा कि जब मैं पीछे हटी तो शेल्फ कैसे अपने आप गिर गई?" मैं असमंजस में थी।
“मैडम, शायद आपको याद न हो लेकिन हमने देखा कि गिरते समय सबसे पहले आपने क्या किया। आपका पीछे वह आपका पीछे की मुड़ कर कूदना और आपका हाथ बगल में दीवार से सटे हुए शेल्फ पर लगना और आपके हाथ से लगकर शेल्फ का हमारे ऊपर गिरना, यह सब इतनी जल्दी हुआ कि हम कुछ भी नहीं कर सके। क्या इस शेल्फ के पाए ऐसे ही हैं? यह शेल्फ अच्छा नहीं है मैडम। किसी तरह सीधा खड़ा कर दिया जाए तो फिर कभी न कभी गिरेगा। फिलहाल तो हम इसे किसी तीसरे की सहायता के बिना सीधा कर ही नहीं सकते हैं। आप समझ रही हैं ना?”
धत तेरी कि। यह संभव था। वह शेल्फ़ हमेशा हिलती रहती थी लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि वह गिर जायेगी।
आपका धन्यवाद जी //
// सुनील पंडित // 

मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!