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Adultery जिस्म की भूख
#69
“सगीर उठो, सगीर.. उठो, दूध पी लो और चेंज करो, शाबाश जल्दी से उठ जाओ” -मेरी गहरी नींद टूटी और आँखें खुलीं तो आपी मुझे कंधे से पकड़ कर हिला-डुला रही थीं और उन्होंने दूध का गिलास पकड़ा हुआ था। वो अपने असली हुलिया यानि स्कार्फ और चादर पर वापस आ चुकी थीं।

मैं फिर से आँखें बंद करते हुए शरारत से बोला- “अब कभी गिलास से नहीं पिऊँगा, आपी आप सीधे ही पिला दिया करो ना”

आपी ने हँसते हो तंज़िया लहजे में कहा- “अपनी हालत तो देखो ज़रा! सीधे पिला दिया करो…!! सीधे पीने का शौक है लेकिन अपना आपा संभाला नहीं जाता” -वे दूध का गिलास साइड में टेबल पर रख कर मुझे सीधा करने लगीं- “चलो सगीर इंसान बनो अब, उठ भी जाओ”

मैं सीधा हो कर लेट गया लेकिन उठा नहीं वैसे ही बिस्तर पर पड़ा रहा। आपी ने मेरे अज़ार बंद को खोला और सलवार में हाथ फँसा कर झुंझलाहट से बोलीं- “अपने कूल्हे ऊपर करो, गंदे… क्या हाल बनाया हुआ है”

मैंने अपने कूल्हे उठाए तो आपी ने मेरी सलवार को नीचे खींचते हुए पाँव से बाहर निकाल दिया और सलवार के साथ ही मेरी क़मीज़ भी उठा कर बटोर कर चली गईं। आपी बाथरूम से वापस आईं तो उन्होंने हाथ में तौलिया पकड़ा हुआ था जिसका कोना पानी से गीला था।

आपी मेरी रानों, बॉल्स और लण्ड के आस-पास के हिस्से को गीले तौलिये से साफ करते हुए कहने लगीं- “तुम्हारी बीवी की तो जान हमेशा अज़ाब में ही रहेगी। अपने बच्चों के साथ-साथ तुम्हारी भी गंदगी साफ करती रहेगी”

आपी ने यह कहा और एक हाथ से मेरे लण्ड को पकड़ कर दूसरे हाथ से गीले तौलिये से साफ करने लगीं।

“मुझे बीवी की जरूरत ही नहीं है, मेरी सोहनी सी बहना जी हैं ना मेरे पास” -मैंने मुस्कुरा कर कहा।

तो आपी ने रुकते हुए मेरे चेहरे पर एक नज़र डाली और कहा- “हाँ, बहनें इसी काम के लिए ही तो रह गईं हैं अब”

आपी ने गीले तौलिये से सफाई के बाद तौलिए के खुश्क हिस्से से साफ किया और अलमारी से मेरा दूसरा सूट निकाल लाईं।

अब वे मेरे क़रीब ही बैठ कर बोलीं- “अब उठ जाओ सगीर, अम्मी भी उठने वाली हैं और कुछ देर में अब्बू भी घर आ जाएंगे, मैं चाय बनाती हूँ जल्दी सी नीचे आ जाओ”

आपी ने ये कह कर मेरे सिर पर हाथ फेरा और माथे को चूम कर बाहर निकाल गईं। मुझे वाकयी ही बहुत कमज़ोरी महसूस हो रही थी। कुछ देर बाद मैं हिम्मत करके उठा और बाथरूम चला गया। फ्रेश होकर अपना दूसरा सूट पहना और नीचे चला गया।

मैं चाय पीने के लिए बैठा ही था कि अब्बू घर में दाखिल हुए। उन्होंने अपने हाथ में एक पैकेट पकड़ा हुआ था जो वहाँ ही मेज पर रखा। हमने उन्हें सलाम किया और वो अपने कमरे में चले गए। मैं चाय खत्म करके वहाँ ही बैठा रहा।

कुछ देर बाद अब्बू बाहर निकले और सोफे पर बैठते हुए कहा- “रूही बेटा, मेरे लिए भी चाय ले आओ”

“जी अब्बू अभी लाई” -आपी ने किचन से ही जवाब दिया।

अब्बू मुझसे इधर-उधर की बातें करने लगे।

आपी ने आकर चाय का कप अब्बू को दिया और सोफे पर उनके साथ ही बैठने लगी थीं कि अब्बू बोले- “बेटा! वो मेज पर एक पैकेट पड़ा है, वो भी उठा लाओ”

आपी ने पैकेट ला कर अब्बू को दे दिया। अब्बू पैकेट खोलते हुए मुझे मुखातिब कर के बोले- “यार सगीर! इसे देखो ज़रा विन्डोस की इन्स्टालेशन वगैरह कर देना”

अब्बू ने पैकेट से लैपटॉप निकाला और मेरी तरफ बढ़ा दिया।

मैंने लैपटॉप को बड़े गौर से देखते हुए कहा- “ये कितने तक का मिला है अब्बू?”

“वो इहतिशाम ने दुबई से ला दिया है, मैंने नहीं खरीदा” -अब्बू ने जवाब दिया और घूँट-घूँट चाय पीने लगे।

इहतिशाम अंकल अब्बू के बहुत क़रीबी दोस्तों में से थे और इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट का बिजनेस करते थे।

मैं लैपटॉप को ऊपर-नीचे से चैक करने के बाद ओपन कर ही रहा था कि अब्बू की आवाज़ आई- “देखो आज रात इसमें जो भी काम है वो कर लो, सुबह मैं ऑफिस जाते हुए ले जाऊँगा और मेरे पुराने लैपटॉप से सारा डाटा इसमें ट्रान्सफ़र कर दो और वो लैपटॉप अपने इस्तेमाल के लिए रख लो”

मैंने अब्बू की तरफ देखा तो वो चाय पी रहे थे और उनका ध्यान टीवी की तरफ था। मैंने अपना रुख़ फेर कर आपी के चेहरे पर नज़र डाली, उनकी नजरें लैपटॉप की स्क्रीन पर जमी हुई थीं।

आपी ने मेरी नजरें अपने चेहरे पर महसूस करते हुए मेरी तरफ देखा तो मैंने उन्हें आँख मारी और फिर रुख़ अब्बू की तरफ करते हुए कहा- “अब्बू मेरे पास तो पीसी है कमरे मैं, आप लैपटॉप आपी को दे दें, उनको ज्यादा जरूरत होगी। आज कल वैसे भी आपी थीसिस लिख रही हैं”

“अरे हाँ भाई रूही, तुम्हारा वो क्या था? हाँ ‘नीक़ाब औरत’ कहाँ तक पहुँचा है वो??” -अब्बू ने आपी की तरफ देखते हुए सवाल किया।

आपी ने अब्बू को अपनी तरफ मुतवजा पाकर अपना दुपट्टा सिर पर सही किया और कहा- “अब्बू वो तो कंप्लीट हो ही गया है लेकिन मैं सोच रही हूँ इसी टॉपिक को लेकर एक किताब लिखना शुरू करूँ”

आपी ने अपनी बात खत्म करके अब्बू को देखा तो वो दोबारा टीवी की तरफ रुख़ फेर चुके थे। फिर आपी ने मुझे देखा और आँख मार कर मुस्कुरा दीं।

“हाँ बेटा ज़रूर लिखो, किसी चीज़ की भी जरूरत हो तो मुझे कह देना और बेटा सगीर तुम लैपटॉप आपी को दे देना अच्छा” -अब्बू ने ये कहा और चाय का खाली कप टेबल पर रखते हुए उठ खड़े हुए।

“रूही बेटा मेरा सूट निकाल दो कोई, मैं ज़रा नहा कर फ्रेश हो लूँ” -ये कहा और अपने कमरे की तरफ चल दिए।

मैंने अब्बू को कमरे में दाखिल हो कर दरवाज़ा बंद करते हुए देखा तो आपी के नज़दीक़ होते हुए सरगोशी और शरारत से कहा- “अब तो मेरी बहना जी दिन रात गंदी फ़िल्में, पोर्न मूवीज़ देखेंगी और वो भी मज़े से अपने बिस्तर में लेट कर”

एक लम्हें को आपी के चेहरे पर शर्म के आसार नज़र आए और फिर फ़ौरन ही अपनी हालत पर क़ाबू पा कर बोलीं, “बकवास ना करो, मैं तुम्हारे जैसी नहीं हूँ और दूसरी बात यह कि मैं कमरे मैं अकेली नहीं होती हूँ समझे?”

TO BE CONTINUED ......
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 05-02-2024, 06:40 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 11-02-2024, 08:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 03:03 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 10:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 17-02-2024, 07:45 PM
RE: जिस्म की भूख - by sananda - 17-02-2024, 09:34 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 09:16 AM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 04:29 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 25-02-2024, 05:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 27-02-2024, 10:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 02-03-2024, 01:52 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 02-03-2024, 11:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 05-03-2024, 12:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-03-2024, 02:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 07:43 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 05:30 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 14-03-2024, 02:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 18-03-2024, 09:07 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 19-03-2024, 06:24 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 28-03-2024, 02:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 28-03-2024, 10:16 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 30-03-2024, 02:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 02-04-2024, 10:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-04-2024, 05:17 PM
RE: जिस्म की भूख - by Chandan - 11-04-2024, 09:41 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 11:34 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 02:06 PM



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