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Adultery रंगीली बीबी
#36
मैं पहले तो घबरा गया मगर फिर मेरे दिमाग ने काम किया, मैं बोला- “अरे, मैं देख रहा हूँ कि तूने कहीं सूसू तो नहीं कर दिया, गद्दा खराब हो जायेगा…”

सलोनी- “हा हा.. और एक दम ऐसी के सामने लेटी है, जरा संभलकर…”

मधु- “क्या भाभी आप भी? मैं नहीं बोल रही आपसे”

तभी सलोनी ने वो कर दिया जिसकी मुझे सपने में भी उम्मीद नहीं थी। मधु की मक्खन जैसी फ़ुद्दी के छूने से मेरे लण्ड में जबरदस्त तनाव आ गया था। जिसको सलोनी ने भी महसूस कर लिया था। मेरी समझ से बिल्कुल परे था कि एक बीवी होकर भी वो अपने पति के सेक्सी रोमांस का मजा ले रही है। ना केवल मजे ले रही है बल्कि मेरे इस काम में सहयोग भी कर रही है।

अब ना जाने उसके मन में क्या था। इन सब बातों को सोचने के बारे में मेरे दिल और दिमाग दोनों ने ही मना कर दिया था।

मधु की नाजुक जवानी को चखने के लिए उसमें इतना तनाव आ गया था कि दिल और दिमाग दोनों ही सो गए थे, उनको तो बस अब एक ही मंजिल दिख रही थी, चाहे उस तक कैसे भी जाया जाये।

मधु- “ओह भाभी! भैया भी पापा की तरह परेशान कर रहे हैं…”

सलोनी ने मधु का हाथ पकड़ कर खींच कर सीधे मेरे तने हुए लण्ड पर रख दिया और बोली- “तू भी तो पागल है बदला क्यों नहीं लेती? तू भी देख कि कहीं तेरे भैया ने तो सूसू नहीं की हे हे हे हे…”

सलोनी के इस करतब से मैं भौंचक्का रह गया और शायद मधु भी, हाथ के खिंचने से वो सलोनी के ऊपर को आ गई थी। सलोनी ने ना केवल मधु का हाथ मेरे लण्ड पर रखा बल्कि उसको वहाँ पकड़े भी रही कि कहीं मधु जल्दी से हटा न ले।

मधु का कोमल हाथ मेरे लण्ड को मजे दे ही रहा था कि अब मधु ने भी मेरी समझ पर परदा डालने वाली हरकत की, उसने कसकर हाथ से बनी मुट्ठी में मेरे लण्ड को जकड़ लिया।

मधु- “हाँ भाभी, आप ठीक कहती हो, क्या अब भी भैया सूसू कर देते हैं बिस्तर पर?”

सलोनी- “हा हा… हाँ बेटा, तुझे क्या पता कि ये अब भी बहुत नालायक हैं, ना जाने कहाँ कहाँ मुत्ती करते हैं। मेरे कपड़े तक गीले कर देते हैं…”

मैंने मधु के हाथ को लण्ड से हटाने की कोई जल्दी नहीं की लेकिन कुछ प्रतिवाद का दिखावा तो करना ही था इसलिए…

मैं- “तुम दोनों पागल हो गई हो क्या?? यह क्या बकवास लगा रखी है?”

तभी मधु मेरे लण्ड को सहलाते हुए अपना हाथ लण्ड के सुपाड़े के टॉप पर ले जाती है। उसको कुछ चिपचिपा महसूस हुआ, मेरे लण्ड से लगातार प्रीकम निकल रहा था।

मधु- “हाँ भाभी, आप ठीक कह रही हो, भैया ने आज भी सूसू की है। देखो कितना गीला है…”

सलोनी- “हा हा हा…”

मैं- “हा हा… चल पागल, फिर तो तूने भी की है। अपनी देख वहाँ भी कितनी गीली है”

शायद सलोनी जैसी समझदार पत्नी बहुत कम लोगों को मिलती है। मेरा दिल कर रहा था कि जमाने भर की खुशियाँ लाकर उसके कदमों में डाल दूँ। मेरे लण्ड और मधु की चूत के गीलेपन की बात से ही वो समझ गई कि हम दोनों अब क्या चाहते हैं। उसने बिना कुछ जाहिर करे मधु को एक झटके से अपने ऊपर से पलटकर मेरी ओर कर दिया और खुद मधु की जगह पर खिसक गई।

फिर बड़े ही रहस्यमयी आवाज में बोली- “ओह तुम दोनों ने मेरी नींद का सत्यानाश कर दिया। तू इधर आ और अब तुम दोनों एक दूसरे की सूसू को देखते रहो कि किसने की और किसने नहीं की सूसू”

मधु एकबारगी तो बौखला सी गई पर बाद में सीधी होकर लेट गई। मैं समझ नहीं पा रहा था कि कुछ बोलूं या नहीं। मैंने घूमकर देखा कि सलोनी वाकयी दूसरी और करवट लेकर लेट गई थी। अब मैंने मधु के चेहरे की ओर देखा, उसके चेहरे पर कई भाव थे। उसकी आँखों में वासना और डर दोनों नजर आ रहे थे। जबकि होंटो पर हल्की मुस्कुराहट भी थी। मेरे दिल में एक डर भी था कि कहीं सलोनी कुछ फंसा तो नहीं रही मगर पिछले दिनों मैंने जो कुछ भी देखा और सुना था, सलोनी का वो खुला रूप याद कर मेरा सारा डर निकल गया।

मैंने झुककर मधु के पतले कांपते होंठों पर अपने होंठ रख दिए। मधु तो जैसे सब कुछ करने को तैयार थी, लगता है उसकी वासना अब उसके वश से बाहर हो चुकी थी। वो लालायित होकर अपने मुँह को खोलकर मेरा साथ देने लगी। मैं उसके ऊपर तिरछा होकर झुका था उसका बायां हाथ मेरे लण्ड को छू रहा था। अचानक मैंने महसूस किया कि उसने फिर से अपनी मुट्ठी में मेरे लण्ड को पकड़ लिया है। उसकी बेचैनी को समझते हुए मैं उसके होंठों को छोड़कर ऊपर उठा, मैंने उसकी समीज की ढीली आस्तीन को उसके कंधो से नीचे सरका दिया। मधु इतनी समझदार थी कि वो तुरंत समझ गई कि मैं क्या चाहता हूँ। उसने अपने दोनों हाथों से अपनी आस्तीन को निकाल दिया।

मैंने उसके सीने से समीज को नीचे कर उसकी नाजुक चूचियों को एक ही बार में अपनी हथेली से सहलाया, मधु बहुत धीरे से- “अहा… आआ…”

उसकी समीज उसके पेट पर इकट्ठी हो गई थी। मैंने एक बार फिर समीज नीचे को की, मधु ने सलोनी की ओर देखते हुए अपने चूतड़ को उठाकर अपने हाथ और पैर से समीज को पूरा निकाल दिया। सलोनी अपने नंगे चूतड़ को उठा हमारी ओर करवट लिए वैसे ही लेटी थी। उसकी साँसें बता रही थी कि वो सो गई है या सोने का नाटक कर रही है। मेरा कमर से लिपटा कपड़ा तो कब का खुलकर बिस्तर से नीचे गिर गया था।

अब मधु भी पूरी नंगी हो गई थी। नाईट बल्ब की नीली रोशनी में उसका नंगा बदन गजब लग रहा था। मैंने नीचे झुककर उसकी एक चूची को पूरा अपने मुँह में ले लिया। मैं उसको हल्के हल्के चूसते हुए अपनी जीभ की नोक से उसके नन्हे से निप्पल को कुरेदने लगा।

मधु पागल सी हो गई, उसने अपनी मुट्ठी में मेरे लण्ड को पकड़ उमेठ सा दिया। मैंने अपना बायां हाथ उसकी जांघों के बीच ले जाकर सीधे उसकी फ़ुद्दी पर रखा और अपनी उंगली से उसके छेद को कुरेदते हुए ही एक उंगली अंदर डालने का प्रयास करने लगा। मधु कुनमुनाने लगी, लगता है उसको दर्द का अहसास हो रहा था।

मुझे संशय होने लगा कि इतने टाइट छेद में मेरा लण्ड कैसे जायेगा। वाकयी उसका छेद बहुत टाइट था। मेरी उंगली जरा भी उसमें नहीं जा पा रही थी। मैंने अपनी उंगली मधु के मुँह में डाली, उसके थूक से गीली कर फिर से उसके चूत में डालने का प्रयास किया। मेरा बैडरूम मुझे कभी इतना प्यारा नहीं लगा। मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि ज़िंदगी इतनी रंगीन हो सकती है।

मेरे सामने ही बेड के दूसरे छोर पर मेरी सेक्सी बीवी लगभग नंगी करवट लिए लेटी है। उसकी अति पारदर्शी नाइटी जो खड़े होने पर उसके घुटनो से 6 इंच ऊपर तक आती थी, इस समय सिमट कर उसके पेट से भी ऊपर थी और मेरी जान अपने गोरे बदन पर कच्छी तो पहनती ही नहीं थी उसके मस्त चूतड़ पीछे को उठे हुए मेरे सेक्स को कहीं अधिक भड़का रहे थे।

अब तक मजेदार भोजन खिलाने वाली मेरी बीवी ने आज एक ऐसी मीठी डिश मेरे सामने रख दी थी कि जिसकी कल्पना शायद हर पति करता होगा मगर उसे मायूसी ही मिलती होगी, और खुद सोने का नाटक कर रही थी।

मधु के रसीले बदन से खेलते हुए मैं अपनी किस्मत पर रश्क कर रहा था। इस लोंडिया को देख मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह इतनी गर्म होगी और चुदाई के बारे में इतना जानती होगी। मेरा लण्ड उसके हाथों में मस्ती से अंगड़ाई ले रहा था और बार-बार मुँह उठाकर उसकी कोमल फ़ुद्दी को देख रहा था, जैसे बोल रहा हो कि आज तुझे जन्नत की सैर कराऊँगा। 

उसकी फ़ुद्दी भी मेरी उँगलियों के नीचे बुरी तरह मचल रही थी। वो सब कुछ कर गुजरने को आतुर थी। शायद उसकी फ़ुद्दी होने वाले कत्लेआम से अनभिज्ञ थी। मेरे और मधु के बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था, मधु बार-बार मेरे गठीले एवं संतुलित बदन से कसकर चिपकी जा रही थी। मेरा मुँह उसकी दोनों रसीली अम्बियों को निचोड़ने में ही लगा था। मैं कभी दाईं तो कभी बायीं चूची को अपने मुँह में लेकर चूस रहा था। 

मधु कुछ ज्यादा ही मचल रही थी…

TO BE CONTINUED ......
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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रंगीली बीबी - by KHANSAGEER - 18-02-2024, 02:17 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 19-02-2024, 10:11 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 20-02-2024, 12:42 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 20-02-2024, 06:09 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 22-02-2024, 08:58 PM
RE: रंगीली बीबी - by sri7869 - 23-02-2024, 12:54 AM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 25-02-2024, 05:12 PM
RE: रंगीली बीबी - by Vamp - 26-02-2024, 04:53 PM
RE: रंगीली बीबी - by Dgparmar - 01-03-2024, 04:19 AM
RE: रंगीली बीबी - by KHANSAGEER - 01-03-2024, 03:39 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 02-03-2024, 11:12 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 06-03-2024, 06:58 AM
RE: रंगीली बीबी - by Dgparmar - 06-03-2024, 08:05 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 10-03-2024, 02:08 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 11-03-2024, 10:33 PM
RE: रंगीली बीबी - by Dgparmar - 12-03-2024, 02:53 AM
RE: रंगीली बीबी - by Dgparmar - 12-03-2024, 05:54 PM
RE: रंगीली बीबी - by Vnice - 18-03-2024, 09:06 AM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 18-03-2024, 09:29 PM
RE: रंगीली बीबी - by Dgparmar - 19-03-2024, 07:07 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 26-03-2024, 09:25 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 28-03-2024, 07:28 AM
RE: रंगीली बीबी - by Vnice - 28-03-2024, 08:26 AM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 31-03-2024, 10:13 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 01-04-2024, 04:26 PM
RE: रंगीली बीबी - by Dgparmar - 24-04-2024, 02:04 AM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 24-04-2024, 10:52 AM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 28-04-2024, 10:14 PM
RE: रंगीली बीबी - by Samar78 - 29-04-2024, 04:18 PM
RE: रंगीली बीबी - by Apkeliya - 20-05-2024, 10:08 AM
RE: रंगीली बीबी - by urb0nd - 23-05-2024, 02:00 PM



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