29-02-2024, 09:27 AM
जब मैंने नए नौकर को घूरते हुए पाया, 'उह.. गंदा आदमी!' मैंने सोचा। जिस तरह से वह मुझे देख रहा था इसका मतलब यह था कि जब मैं उसके सामने चलती थी तो वह मेरे मटकते नितंबों को जरूर घूरता था। इस विचार ने मुझे क्रोधित कर दिया। मैंने सिर्फ एक टी-शर्ट और एक ट्रैक पैंट पहना था लेकिन मेरे उभारों के कारण, सब कुछ ऐसा लग रहा था जैसे वे मुझ पर कस रहे हों। मेरे स्तन सख्त होने के बाद भी अपने बड़े आकार के कारण ऐसे लग रहे थे जैसे वे किसी भी समय टी-शर्ट से छलक कर बाहर निकलना चाहते हों। उसने इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया कि मैंने उसे घूरते हुए पकड़ लिया है।
"चलो चलें," मैंने कहा और यह जानते हुए भी कि वह फिर से मेरे थिरकते नितंबों को घूरेगा, मैंने उसे पूरा घर, बगीचा और उसे क्या करना है सब दिखाया। पूरे समय वह मेरे करीब खड़े रहने की कोशिश कर रहा था और मेरी बातों पर अतिरिक्त ध्यान दे रहा था, या शायद उसने यह दिखावा किया क्योंकि वह सिर्फ मेरे शरीर को घूरना चाहता था।आखिरी जगह जहां मैं उसे ले गयी वह स्टोर रूम था। मैंने उसे बताया कि अगर उसे किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो वहाँ क्या क्या रखा है देख ले।
चारों ओर सारा सामान भरा होने के कारण और स्टोररूम छोटा होने के कारण हमें फिर से पास-पास खड़ा होना पड़ा। इसे लेकर वह काफी खुश नजर आ रहा था। मैं वहां से जल्दी से जल्दी निकलना चाहती थी लेकिन वह मुझसे लगातार सवाल पूछता रहा जिससे मैं समझ गई कि वह जानबूझकर मेरे करीब लंबे समय तक रहना चाहता था। वह जानबूझकर मेरी बांह को छूते हुए कमरे की चीजों की तरफ इशारा कर रहा था और इस तरह अपनी जिज्ञासा शांत कर रहा था लेकिन ऐसे दिखा रहा था जैसे उसका मुझे छूना बेध्यानी में हो रहा हो। मैं कुछ नहीं कह सकी क्योंकि वहां जगह ज्यादा नहीं थी और इस कारण मैं उस पर गलत इरादे से मुझे छूने का आरोप नहीं लगा सकती थी। आरोप लगाती भी तो वह मेरे आरोप को मानने से इन्कार कर देता क्योंकि वहां बहुत कम जगह होने के कारण मजबूरी में यदा कदा हमारे शरीरों का सटना लाजिमी था। उसने मुझसे कुछ बक्से खोलकर दिखाने को कहा जिसे मैं मना नहीं कर सकी इसलिए मैं आगे बढ़ गयी। मैं महसूस कर रही थी कि उसकी टटोलती हुई पैनी नज़र मेरे शरीर पर हर वक्त घूम रही थी।
थोड़ी देर के बाद, वह घुटन भरा छोटा सा कमरा और गर्म हो गया और हम दोनों को पसीना आने लगा। मेरे कपड़े मेरे शरीर से चिपकने लगे और मेरे बड़े सख्त स्तनों के उभारों का आकार अधिक स्पष्ट हो गया। मेरे खड़े खड़े निपल्स भी हल्के-हल्के दिख रहे थे। मैं इस तरह उसकी ओर मुड़कर उसे मेरे शरीर के प्रति और अधिक आकर्षित करने और लुभाने का मौका नहीं देना चाहती थी। लेकिन मजबूरी में कई बार मुझे घूमना पड़ रहा था।
मैं देख सकती थी कि मेरे शरीर के उतार चढ़ाव और कटाव को इतने करीब से इस तरह देखते हुए उसकी आँखों में चमक आती जा रही थी। यह देखकर कि कैसे मेरी टी-शर्ट के पिछले हिस्से पर भी पसीना आ गया, मुझे यकीन था कि उसने मेरी पीठ को अच्छी तरह से देखा होगा और यही उसकी उम्मीद भी थी होगी।
मैंने उस पर नज़र डाली तो वह पसीने से लथपथ होकर और भी बदसूरत लग रहा था। उसकी पतली टी-शर्ट भी उसके शरीर से चिपकी हुई थी और मैं उसके विशाल पेट को और अधिक उजागर होते हुए देख सकती थी।
मैंने यह दिखाने के लिए बक्सा खोला कि अंदर क्या है, कि तभी अचानक एक छिपकली न जाने कहां से वहां आ गिरी और मैं घबराकर चिल्लायी, बक्सा एक तरफ फेंक दिया, और छिपकली से दूर होने के लिए फुर्ती से पीछे हटी और मुड़ गई तो ठीक मेरे पीछे खड़े घुसा से टकरा कर उसी के ऊपर गिर गयी। मुझे नहीं पता क्यों, लेकिन मुझे चक्कर आ गया और मैं बेहोश हो गयी।
मुझे लगता है कि मुझे कुछ मिनटों के बाद ही होश आ गया। मुझे नहीं पता था कि कितना समय बीत गया या मैं क्यों बेहोश हो गयी। शायद वहां की गर्मी, दमघोंटू वातावरण और घबराहट का असर रहा हो। जब मुझे होश आया तो मैंने खुद को किसी मुलायम चीज़ पर पेट के बल लेटी हुई पाया। मुझे महसूस हुआ कि कोई मेरी टी-शर्ट के अंदर मेरी पीठ को सहला रहा था। मैं उस खुरदुरे हाथों को अपनी नंगी त्वचा पर महसूस कर सकती थी। मैं महसूस कर सकती थी कि कोई दूसरा हाथ मेरे नितंबों पर रखकर उसे हल्का हल्का दबा रहा था।
मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि कोई बहुत सख्त चीज़ मेरी योनि में चुभ रही है। फिर मुझे धीरे-धीरे याद आया कि क्या हुआ था और मैंने तुरंत अपना सिर और धड़ को आंशिक रूप से उठाया और देखा कि मैं घुसा के ऊपर लेटी हुई थी। हमारे शरीर एक दूसरे से चिपके हुए थे।
"चलो चलें," मैंने कहा और यह जानते हुए भी कि वह फिर से मेरे थिरकते नितंबों को घूरेगा, मैंने उसे पूरा घर, बगीचा और उसे क्या करना है सब दिखाया। पूरे समय वह मेरे करीब खड़े रहने की कोशिश कर रहा था और मेरी बातों पर अतिरिक्त ध्यान दे रहा था, या शायद उसने यह दिखावा किया क्योंकि वह सिर्फ मेरे शरीर को घूरना चाहता था।आखिरी जगह जहां मैं उसे ले गयी वह स्टोर रूम था। मैंने उसे बताया कि अगर उसे किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो वहाँ क्या क्या रखा है देख ले।
चारों ओर सारा सामान भरा होने के कारण और स्टोररूम छोटा होने के कारण हमें फिर से पास-पास खड़ा होना पड़ा। इसे लेकर वह काफी खुश नजर आ रहा था। मैं वहां से जल्दी से जल्दी निकलना चाहती थी लेकिन वह मुझसे लगातार सवाल पूछता रहा जिससे मैं समझ गई कि वह जानबूझकर मेरे करीब लंबे समय तक रहना चाहता था। वह जानबूझकर मेरी बांह को छूते हुए कमरे की चीजों की तरफ इशारा कर रहा था और इस तरह अपनी जिज्ञासा शांत कर रहा था लेकिन ऐसे दिखा रहा था जैसे उसका मुझे छूना बेध्यानी में हो रहा हो। मैं कुछ नहीं कह सकी क्योंकि वहां जगह ज्यादा नहीं थी और इस कारण मैं उस पर गलत इरादे से मुझे छूने का आरोप नहीं लगा सकती थी। आरोप लगाती भी तो वह मेरे आरोप को मानने से इन्कार कर देता क्योंकि वहां बहुत कम जगह होने के कारण मजबूरी में यदा कदा हमारे शरीरों का सटना लाजिमी था। उसने मुझसे कुछ बक्से खोलकर दिखाने को कहा जिसे मैं मना नहीं कर सकी इसलिए मैं आगे बढ़ गयी। मैं महसूस कर रही थी कि उसकी टटोलती हुई पैनी नज़र मेरे शरीर पर हर वक्त घूम रही थी।
थोड़ी देर के बाद, वह घुटन भरा छोटा सा कमरा और गर्म हो गया और हम दोनों को पसीना आने लगा। मेरे कपड़े मेरे शरीर से चिपकने लगे और मेरे बड़े सख्त स्तनों के उभारों का आकार अधिक स्पष्ट हो गया। मेरे खड़े खड़े निपल्स भी हल्के-हल्के दिख रहे थे। मैं इस तरह उसकी ओर मुड़कर उसे मेरे शरीर के प्रति और अधिक आकर्षित करने और लुभाने का मौका नहीं देना चाहती थी। लेकिन मजबूरी में कई बार मुझे घूमना पड़ रहा था।
मैं देख सकती थी कि मेरे शरीर के उतार चढ़ाव और कटाव को इतने करीब से इस तरह देखते हुए उसकी आँखों में चमक आती जा रही थी। यह देखकर कि कैसे मेरी टी-शर्ट के पिछले हिस्से पर भी पसीना आ गया, मुझे यकीन था कि उसने मेरी पीठ को अच्छी तरह से देखा होगा और यही उसकी उम्मीद भी थी होगी।
मैंने उस पर नज़र डाली तो वह पसीने से लथपथ होकर और भी बदसूरत लग रहा था। उसकी पतली टी-शर्ट भी उसके शरीर से चिपकी हुई थी और मैं उसके विशाल पेट को और अधिक उजागर होते हुए देख सकती थी।
मैंने यह दिखाने के लिए बक्सा खोला कि अंदर क्या है, कि तभी अचानक एक छिपकली न जाने कहां से वहां आ गिरी और मैं घबराकर चिल्लायी, बक्सा एक तरफ फेंक दिया, और छिपकली से दूर होने के लिए फुर्ती से पीछे हटी और मुड़ गई तो ठीक मेरे पीछे खड़े घुसा से टकरा कर उसी के ऊपर गिर गयी। मुझे नहीं पता क्यों, लेकिन मुझे चक्कर आ गया और मैं बेहोश हो गयी।
मुझे लगता है कि मुझे कुछ मिनटों के बाद ही होश आ गया। मुझे नहीं पता था कि कितना समय बीत गया या मैं क्यों बेहोश हो गयी। शायद वहां की गर्मी, दमघोंटू वातावरण और घबराहट का असर रहा हो। जब मुझे होश आया तो मैंने खुद को किसी मुलायम चीज़ पर पेट के बल लेटी हुई पाया। मुझे महसूस हुआ कि कोई मेरी टी-शर्ट के अंदर मेरी पीठ को सहला रहा था। मैं उस खुरदुरे हाथों को अपनी नंगी त्वचा पर महसूस कर सकती थी। मैं महसूस कर सकती थी कि कोई दूसरा हाथ मेरे नितंबों पर रखकर उसे हल्का हल्का दबा रहा था।
मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि कोई बहुत सख्त चीज़ मेरी योनि में चुभ रही है। फिर मुझे धीरे-धीरे याद आया कि क्या हुआ था और मैंने तुरंत अपना सिर और धड़ को आंशिक रूप से उठाया और देखा कि मैं घुसा के ऊपर लेटी हुई थी। हमारे शरीर एक दूसरे से चिपके हुए थे।