28-02-2024, 10:18 PM
“ठीक है, तुम इसे अपने कमरे में रख सकते हो।” कहकर मां ने मुझसे कहा, "रोज बेटा, उसे उसका कमरा दिखाओ और जब वह अपना सामान वहां रखे, तो उसे घर दिखाओ और समझाओ कि उसे क्या करना है और अपनी शैतानी को जरा काबू में रखना। मैं जानती हूं यह शरीफ आदमी है इसलिए इसे परेशान मत करना और इसके बारे में झूठ-मूठ की शिकायत लेकर मेरे पास मत आना क्योंकि आजकल ऐसे शरीफ काम वाले बड़ी मुश्किल से मिलते हैं। समझ गई ना?"
"हां हां समझ गई।" मैं अपने मन के भाव को छिपाते हुए बोली। वैसे यह आदमी मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं आया था। पता नहीं मां को इसमें क्या अच्छाई दिखाई दे रहा था और तुर्रा यह कि इसे शरीफ आदमी कह रही थी। मुझे तो किसी भी कोण से यह शरीफ नहीं दिखाई दे रहा था। पूरा मक्कार किस्म का आदमी दिखाई दे रहा था मुझे तो लेकिन मेरी मां को यह सब क्यों नहीं दिखाई दे रहा था पता नहीं। वैसे मुझे बहुत जल्द पता चल जाने वाला था कि मेरी मां को उसमें क्या खूबी दिखाई दे रही थी।
"ठीक है, तो इसे ले जा कर इसके कमरे में इसका सामान रखवा कर स्टोर रूम और बाकी जगहों को दिखा दो।" कहकर वह अपने ऑफिस से संबंधित कार्यों को देखने के लिए अपने दफ्तर रुपी कमरे में चली गई।
मैं उस घटिया आदमी के साथ जाने की कत्तई इच्छुक नहीं थी लेकिन मैं अपनी माँ की अवज्ञा नहीं कर सकी।
मैंने उससे अपने पीछे आने को कहा और उसे नौकरों वाले कमरे में ले गयी। जब मैं फोन में व्यस्त थी तो नये नौकर ने अपना सामान वहीं रख दिया था। मैंने नज़र उठा कर देखा तो वह मुझसे केवल कुछ इंच की दूरी पर खड़ा था और फर्श पर सामान ज्यादा होने के कारण उसे मेरे पास खड़ा होना पड़ा था। मैं उससे दूर ही रहना चाहती थी लेकिन वह मुझसे जितना पास रह सकता था उतना पास रहने की कोशिश में था।
“रोज मैडम, जब आप छोटी थीं तो मैंने आपकी एक फोटो देखी थी। मेरी पत्नी ने इसे एक बार मुझे दिखाया था। अब तो तुम बहुत खूबसूरत लड़की बन गई हो। बहुत खूबसूरत युवती। तुम एक सुंदर फूल की तरह खिल गयी हो,'' उसने बातचीत करने की कोशिश करते हुए मुझसे कहा।
मैं जवाब नहीं देना चाहती थी, लेकिन मैंने सोचा कि मैं विनम्र रहूंगी और उसे बनावटी विनम्रता से धन्यवाद दे कर औपचारिकता निभाई, जबकि मैंने नज़र उठा कर देखा तो उसे मेरे विशाल स्तनों को घूरते पाया। उस उम्र में ही मेरे शरीर के उभार काफी विकसित हो चुके थे।
शायद मैं बताना भूल गयी कि मैं उस वक्त एक सुंदर और गोरे रंग की लड़की थी, जिसके सुंदर लंबे काले बाल थे और मेरा शरीर भरा हुआ था। मैं 14 - साल से ही बड़े स्तनों वाली बन गई थी। मेरे कूल्हे और नितंब भी बहुत बड़े हो गए थे। सौभाग्य से, मेरे पेट पर बहुत अधिक चर्बी नहीं बढ़ी थी और मैंने खुद को अच्छी तरह से बनाए रखा था। यह सब शायद कॉलेज कॉलेज में खेल-कूद में सक्रिय भागीदारी के कारण थी। मेरी रुचि जूडो कराटे में भी थी। कॉलेज में तो मुझे जूडो कराटे के मुकाबलों में कई ट्रॉफियां भी मिली थीं। अब तो मैं 40-30-40 की हूं।
हाँ, बहुत से लड़के उस वक्त मेरे साथ सेटिंग करना चाहते थे और मेरी चाहत रखते थे, लेकिन मैं बहुत नकचढ़ी थी और मैंने कभी किसी को ज़्यादा भाव नहीं दिया।
"हां हां समझ गई।" मैं अपने मन के भाव को छिपाते हुए बोली। वैसे यह आदमी मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं आया था। पता नहीं मां को इसमें क्या अच्छाई दिखाई दे रहा था और तुर्रा यह कि इसे शरीफ आदमी कह रही थी। मुझे तो किसी भी कोण से यह शरीफ नहीं दिखाई दे रहा था। पूरा मक्कार किस्म का आदमी दिखाई दे रहा था मुझे तो लेकिन मेरी मां को यह सब क्यों नहीं दिखाई दे रहा था पता नहीं। वैसे मुझे बहुत जल्द पता चल जाने वाला था कि मेरी मां को उसमें क्या खूबी दिखाई दे रही थी।
"ठीक है, तो इसे ले जा कर इसके कमरे में इसका सामान रखवा कर स्टोर रूम और बाकी जगहों को दिखा दो।" कहकर वह अपने ऑफिस से संबंधित कार्यों को देखने के लिए अपने दफ्तर रुपी कमरे में चली गई।
मैं उस घटिया आदमी के साथ जाने की कत्तई इच्छुक नहीं थी लेकिन मैं अपनी माँ की अवज्ञा नहीं कर सकी।
मैंने उससे अपने पीछे आने को कहा और उसे नौकरों वाले कमरे में ले गयी। जब मैं फोन में व्यस्त थी तो नये नौकर ने अपना सामान वहीं रख दिया था। मैंने नज़र उठा कर देखा तो वह मुझसे केवल कुछ इंच की दूरी पर खड़ा था और फर्श पर सामान ज्यादा होने के कारण उसे मेरे पास खड़ा होना पड़ा था। मैं उससे दूर ही रहना चाहती थी लेकिन वह मुझसे जितना पास रह सकता था उतना पास रहने की कोशिश में था।
“रोज मैडम, जब आप छोटी थीं तो मैंने आपकी एक फोटो देखी थी। मेरी पत्नी ने इसे एक बार मुझे दिखाया था। अब तो तुम बहुत खूबसूरत लड़की बन गई हो। बहुत खूबसूरत युवती। तुम एक सुंदर फूल की तरह खिल गयी हो,'' उसने बातचीत करने की कोशिश करते हुए मुझसे कहा।
मैं जवाब नहीं देना चाहती थी, लेकिन मैंने सोचा कि मैं विनम्र रहूंगी और उसे बनावटी विनम्रता से धन्यवाद दे कर औपचारिकता निभाई, जबकि मैंने नज़र उठा कर देखा तो उसे मेरे विशाल स्तनों को घूरते पाया। उस उम्र में ही मेरे शरीर के उभार काफी विकसित हो चुके थे।
शायद मैं बताना भूल गयी कि मैं उस वक्त एक सुंदर और गोरे रंग की लड़की थी, जिसके सुंदर लंबे काले बाल थे और मेरा शरीर भरा हुआ था। मैं 14 - साल से ही बड़े स्तनों वाली बन गई थी। मेरे कूल्हे और नितंब भी बहुत बड़े हो गए थे। सौभाग्य से, मेरे पेट पर बहुत अधिक चर्बी नहीं बढ़ी थी और मैंने खुद को अच्छी तरह से बनाए रखा था। यह सब शायद कॉलेज कॉलेज में खेल-कूद में सक्रिय भागीदारी के कारण थी। मेरी रुचि जूडो कराटे में भी थी। कॉलेज में तो मुझे जूडो कराटे के मुकाबलों में कई ट्रॉफियां भी मिली थीं। अब तो मैं 40-30-40 की हूं।
हाँ, बहुत से लड़के उस वक्त मेरे साथ सेटिंग करना चाहते थे और मेरी चाहत रखते थे, लेकिन मैं बहुत नकचढ़ी थी और मैंने कभी किसी को ज़्यादा भाव नहीं दिया।