28-02-2024, 05:14 PM
हां तो मैं बता रही थी कि मेरे सेक्स जीवन का आरंभ कैसे हुआ। उस वक्त मैं मात्र सत्रह साल की कॉलेज की छात्रा थी। हमारे यहां एक नौकरानी थी जो घर का सारा काम संभालती थी। लेकिन एक दिन,
"आज से हमारे पास एक नया नौकर काम करने आ रहा है रोज,'' मेरी माँ ने मुझे बताया।
“कौन है और नया क्यों? पहले वाली को क्या हुआ?” मैंने पूछ लिया।
“वह बीमार थी इसलिए अपने गाँव चली गई। अपने बदले, उसने अपने पति को भेजा है,” मेरी माँ ने कहा।
“ठीक है, लेकिन कब तक के लिए?” मैंने पूछ लिया।
मेरी माँ ने उत्तर दिया, "उसने कहा था कि यह दो महीने के लिए यहां उसके स्थान पर रहेगा।"
“ओह, ठीक है" मैंने सिर्फ इतना ही कहा। मैंने उसे देखने की जहमत भी नहीं उठाई। मैं अपने फोन में व्यस्त थी।
"तुम घुसा दुराई हो ना?" घर में एक आदमी के प्रवेश करते ही उसने कहा।
मैंने देखने की भी जहमत नहीं उठाई और अपने फोन पर व्यस्त रही।
"जी मैडमजी। मेरी पत्नी ने मुझे भेजा है।"' उस आगंतुक आदमी ने उत्तर दिया।
"हां हां मुझे पता है। तुम्हारी पत्नी ने बताया था।" मेरी माँ ने उसका स्वागत करते हुए कहा और उससे कुछ सवाल पूछे और उसे जो भी काम करना था, इत्यादि बताने लगी। मैं अब भी अपने फोन पर व्यस्त थी और उनकी बातचीत पर ध्यान नहीं दे रही थी।
“क्या यह आपकी बेटी है मैडम? यह तो अपने नाम के अनुसार ही फूल की तरह बड़ी प्यारी है,'' उसने टिप्पणी की।
“हाँ, यह मेरी इकलौती बेटी है। यह 17 साल की है। प्यारी है ना? यह अभी अभी कॉलेज जाना शुरू की है। रोज बेटा, इस घुसा अंकल को नमस्कार करो'' मेरी माँ ने मुझसे कहा।
मैंने नज़र उठा कर देखा तो मुझे सामने सबसे बदसूरत आदमी खड़ा मिला। ऐसा बदसूरत आदमी मैंने जिंदगी में पहले कभी नहीं देखा था। मोटा सा आदमी। उसके नैन-नक्श कुरूप और रंग कोयले की तरह काला था। मोटे मोटे होंठ हब्शियों की तरह बाहर निकले हुए थे। उसकी बड़ी बड़ी आंखों में एक अबूझ सी चमक और अजीब सी भूख थी। सर के बाल सामने से आधे से ज्यादा गायब थे। जो बचे थे वे भी करीब करीब सारे सफेद हो चुके थे। वह मोटा सा काला आदमी उम्रदराज था लेकिन शरीर से काफी ताकतवर दिखाई दे रहा था और सामने उसका काफी बड़ा सा तोंद निकला हुआ। उसका कद भी केवल 5' 6" था। मुझसे कम से कम एक इंच कम। वह 50 - 55 की उम्र का लग रहा था। मेरा मन खिन्न हो गया लेकिन मैंने उसके प्रति वितृष्णा के भाव को चेहरे पर न दिखाने की कोशिश की और उनका अभिवादन किया, "नमस्ते।"
हे भगवान, कैसे कैसे लोगों को हमारे घरवाले खोज खोज कर नौकर रखते हैं। इसकी घरवाली, जो हमारी नौकरानी थी, वह भी काली, मोटी औरत थी। बस एक इसी की कमी थी। छि छि। हमारे घर कोई आएगा तो ऐसे नमूनों को देख कर हमारे बारे में क्या सोचेगा। पता नहीं क्या देखकर ऐसे लोगों को नौकर रखना पसंद करते हैं हमारे घर के लोग।
मैं ने ऐसे विचारों को झटक कर फिर से अपने फ़ोन पर वापस व्यस्त हो गयी।
“आप सारा सामान ले आये?” माँ ने उससे पूछा।
"जी मैडमजी।" वह बोला।
"आज से हमारे पास एक नया नौकर काम करने आ रहा है रोज,'' मेरी माँ ने मुझे बताया।
“कौन है और नया क्यों? पहले वाली को क्या हुआ?” मैंने पूछ लिया।
“वह बीमार थी इसलिए अपने गाँव चली गई। अपने बदले, उसने अपने पति को भेजा है,” मेरी माँ ने कहा।
“ठीक है, लेकिन कब तक के लिए?” मैंने पूछ लिया।
मेरी माँ ने उत्तर दिया, "उसने कहा था कि यह दो महीने के लिए यहां उसके स्थान पर रहेगा।"
“ओह, ठीक है" मैंने सिर्फ इतना ही कहा। मैंने उसे देखने की जहमत भी नहीं उठाई। मैं अपने फोन में व्यस्त थी।
"तुम घुसा दुराई हो ना?" घर में एक आदमी के प्रवेश करते ही उसने कहा।
मैंने देखने की भी जहमत नहीं उठाई और अपने फोन पर व्यस्त रही।
"जी मैडमजी। मेरी पत्नी ने मुझे भेजा है।"' उस आगंतुक आदमी ने उत्तर दिया।
"हां हां मुझे पता है। तुम्हारी पत्नी ने बताया था।" मेरी माँ ने उसका स्वागत करते हुए कहा और उससे कुछ सवाल पूछे और उसे जो भी काम करना था, इत्यादि बताने लगी। मैं अब भी अपने फोन पर व्यस्त थी और उनकी बातचीत पर ध्यान नहीं दे रही थी।
“क्या यह आपकी बेटी है मैडम? यह तो अपने नाम के अनुसार ही फूल की तरह बड़ी प्यारी है,'' उसने टिप्पणी की।
“हाँ, यह मेरी इकलौती बेटी है। यह 17 साल की है। प्यारी है ना? यह अभी अभी कॉलेज जाना शुरू की है। रोज बेटा, इस घुसा अंकल को नमस्कार करो'' मेरी माँ ने मुझसे कहा।
मैंने नज़र उठा कर देखा तो मुझे सामने सबसे बदसूरत आदमी खड़ा मिला। ऐसा बदसूरत आदमी मैंने जिंदगी में पहले कभी नहीं देखा था। मोटा सा आदमी। उसके नैन-नक्श कुरूप और रंग कोयले की तरह काला था। मोटे मोटे होंठ हब्शियों की तरह बाहर निकले हुए थे। उसकी बड़ी बड़ी आंखों में एक अबूझ सी चमक और अजीब सी भूख थी। सर के बाल सामने से आधे से ज्यादा गायब थे। जो बचे थे वे भी करीब करीब सारे सफेद हो चुके थे। वह मोटा सा काला आदमी उम्रदराज था लेकिन शरीर से काफी ताकतवर दिखाई दे रहा था और सामने उसका काफी बड़ा सा तोंद निकला हुआ। उसका कद भी केवल 5' 6" था। मुझसे कम से कम एक इंच कम। वह 50 - 55 की उम्र का लग रहा था। मेरा मन खिन्न हो गया लेकिन मैंने उसके प्रति वितृष्णा के भाव को चेहरे पर न दिखाने की कोशिश की और उनका अभिवादन किया, "नमस्ते।"
हे भगवान, कैसे कैसे लोगों को हमारे घरवाले खोज खोज कर नौकर रखते हैं। इसकी घरवाली, जो हमारी नौकरानी थी, वह भी काली, मोटी औरत थी। बस एक इसी की कमी थी। छि छि। हमारे घर कोई आएगा तो ऐसे नमूनों को देख कर हमारे बारे में क्या सोचेगा। पता नहीं क्या देखकर ऐसे लोगों को नौकर रखना पसंद करते हैं हमारे घर के लोग।
मैं ने ऐसे विचारों को झटक कर फिर से अपने फ़ोन पर वापस व्यस्त हो गयी।
“आप सारा सामान ले आये?” माँ ने उससे पूछा।
"जी मैडमजी।" वह बोला।