28-02-2024, 05:10 PM
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गरम रोजा (भाग 1)
मेरा नाम रोजा है, रोजा तमांग। मेरी उम्र 60 साल है लेकिन अभी भी मैं 40 - 45 से ज्यादा की नहीं दिखती हूं। मैं अभी भी बाहरी तौर पर जितनी सेक्सी शरीर की मालकिन हूं, उतना ही मेरे अंदर वासना कूट कूट कर भरा हुआ है। अभी भी मेरे शरीर का साईज 40 - 35 - 40 का है। मेरा कद भी अच्छा खासा 5' 7" का है। मेरे पति को स्वर्गवास हुए चार साल हो चुका है। मेरे पति एक बड़ी कंपनी में सेल्स एक्जीक्यूटिव के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। मैं भी महीने भर पहले हाई कॉलेज के प्रिंसिपल के पद से सेवानिवृत्त हो चुकी हूं।
मैं बहुत ही कामुक किस्म की औरत हूं। अपनी अदम्य कामुकता के कारण विवाह के पहले ही से ही कई गैर मर्दों से मेरा शारीरिक संबंध चल रहा था। अठारह साल की उम्र में ही एक कुरूप बूढ़े घरेलू नौकर के हवस की शिकार होकर मैंने अपना कौमार्य खो दिया था और उस समय से मुझे सेक्स का चस्का लग गया था। जैसे जैसे समय बीतता गया वैसे वैसे मेरे अंदर कामुकता बढ़ती चली गई। मैंने घर वालों को इस बात की जरा भी भनक नहीं लगने दी। मेरे विवाह के बाद भी सिर्फ पति से सेक्स से मेरा मन नहीं भरता था नतीजतन उनके जीते जी ही गुपचुप तरीके से कई गैर मर्दों से मेरा शारीरिक संबंध बदस्तूर जारी रहा। पति की मौत के बाद भी यह सिलसिला अब भी चल रहा है। विभिन्न मर्दों से, विभिन्न तरीकों से सेक्स करने में मुझे बड़ी संतुष्टि मिलती है। अब तक जितने मर्दों के साथ हमबिस्तर हुई हूं उनमें अठारह से लेकर साठ साल तक के मर्द शामिल हैं लेकिन उम्रदराज लोग मुझे ज्यादा पसंद हैं। अब तो आप लोगों को पता चल ही गया होगा कि मैं किस तरह की महिला हूं।
अब मैं आगे बताने जा रही हूं कि मेरे जीवन की सेक्स यात्रा का आरंभ कैसे हुआ।
मेरा संबंध एक संभ्रांत परिवार से था। पिताजी इनकम टैक्स ऑफिसर थे और मेरी मां बैंक में शाखा प्रबंधक थी। घर में सुख सुविधाओं की कमी नहीं थी। एकलौती संतान होने के कारण मेरे पालन-पोषण में कोई कमी नहीं थी। सारी सुख सुविधाएं उपलब्ध थीं। माता पिता अपने कार्यों में इतने व्यस्त रहते थे कि मैं स्वच्छंद तरीके से जीने की आदी हो गयी थी। कोई रोक टोक नहीं था इसलिए मैं थोड़ी नकचढ़ी और शैतान किस्म की हो गई थी।
मेरा नाम रोजा है, रोजा तमांग। मेरी उम्र 60 साल है लेकिन अभी भी मैं 40 - 45 से ज्यादा की नहीं दिखती हूं। मैं अभी भी बाहरी तौर पर जितनी सेक्सी शरीर की मालकिन हूं, उतना ही मेरे अंदर वासना कूट कूट कर भरा हुआ है। अभी भी मेरे शरीर का साईज 40 - 35 - 40 का है। मेरा कद भी अच्छा खासा 5' 7" का है। मेरे पति को स्वर्गवास हुए चार साल हो चुका है। मेरे पति एक बड़ी कंपनी में सेल्स एक्जीक्यूटिव के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। मैं भी महीने भर पहले हाई कॉलेज के प्रिंसिपल के पद से सेवानिवृत्त हो चुकी हूं।
मैं बहुत ही कामुक किस्म की औरत हूं। अपनी अदम्य कामुकता के कारण विवाह के पहले ही से ही कई गैर मर्दों से मेरा शारीरिक संबंध चल रहा था। अठारह साल की उम्र में ही एक कुरूप बूढ़े घरेलू नौकर के हवस की शिकार होकर मैंने अपना कौमार्य खो दिया था और उस समय से मुझे सेक्स का चस्का लग गया था। जैसे जैसे समय बीतता गया वैसे वैसे मेरे अंदर कामुकता बढ़ती चली गई। मैंने घर वालों को इस बात की जरा भी भनक नहीं लगने दी। मेरे विवाह के बाद भी सिर्फ पति से सेक्स से मेरा मन नहीं भरता था नतीजतन उनके जीते जी ही गुपचुप तरीके से कई गैर मर्दों से मेरा शारीरिक संबंध बदस्तूर जारी रहा। पति की मौत के बाद भी यह सिलसिला अब भी चल रहा है। विभिन्न मर्दों से, विभिन्न तरीकों से सेक्स करने में मुझे बड़ी संतुष्टि मिलती है। अब तक जितने मर्दों के साथ हमबिस्तर हुई हूं उनमें अठारह से लेकर साठ साल तक के मर्द शामिल हैं लेकिन उम्रदराज लोग मुझे ज्यादा पसंद हैं। अब तो आप लोगों को पता चल ही गया होगा कि मैं किस तरह की महिला हूं।
अब मैं आगे बताने जा रही हूं कि मेरे जीवन की सेक्स यात्रा का आरंभ कैसे हुआ।
मेरा संबंध एक संभ्रांत परिवार से था। पिताजी इनकम टैक्स ऑफिसर थे और मेरी मां बैंक में शाखा प्रबंधक थी। घर में सुख सुविधाओं की कमी नहीं थी। एकलौती संतान होने के कारण मेरे पालन-पोषण में कोई कमी नहीं थी। सारी सुख सुविधाएं उपलब्ध थीं। माता पिता अपने कार्यों में इतने व्यस्त रहते थे कि मैं स्वच्छंद तरीके से जीने की आदी हो गयी थी। कोई रोक टोक नहीं था इसलिए मैं थोड़ी नकचढ़ी और शैतान किस्म की हो गई थी।