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Adultery हमारे हसीन पल ( सलहज के साथ )
#17
अब आगे :

और मेरा देखना हुआ सामने 

कामना को 

सामने एक कुर्सी पे  

एक लाल साड़ी में लिपटी 

एक १७ वर्स की गुडिया, छुई मूई सी , एक दम गोरी सी , प्यारी मुस्कान चेहरे पे , नीचे मुंह किए बैठी थी 

शायद विनिता उसके पास जा के कही : ये जीजाजी है , चलो पांव छू लो 

और मैंने देखा ,
उसका प्यारा चेहरा धीरे धीरे ऊपर उठते हुए , मानो सूर्य उदय हो रहा हो  
उसकी प्यारी आंखे मुझसे मिली , मानो कह रही हो : जीजाजी , अपनी बनाओगे मुझे ?

चेहरे पे हल्की मुश्कुरुहाट ला, हल्के से उठने की चेष्टा की , और कुर्सी से उठ मेरी ओर नीचे मुंह किए बढ़ी 

थे तो वो ७ कदम उसके मेरी ओर आने , 
मानो एक एक कदम हमारे दोनो के मिलन का कदम था , अगले ७ जन्मों के लिए 

एकदम पास आ , वो , मेरी कामना , झुकी मेरे पांव छूने 

मैंने उसे झट से रोक लिया , दोनो कंधो को पकड़ : अरे अरे ठीक है , हो गया , अब बैठ जाओ 

मन तो कर रहा था , 
उन कंधो को दबा , उसे गोदी में बैठा , सबके सामने ही , चूम लूं 

कंधो को पकड़े पकड़े ही , हमारी आंखे मिली 

मैंने दो चीज अनुभव की 

पहली : शायद उसकी आंखे बहुत ही नशीली है , एक दम भीतर तक चीरने दिल को 

दूसरी : वछ स्थल , यानी छाती पे गोलाइयां भी पूर्ण है , न्योता देती हुई 

मैंने उसके कंधे छोड़ दिए , वो शरमाते हुए घूमी , वापस अपनी कुर्सी पे जाने 

उफ्फ, फिर वो ७ कदम 

मेरी नज़र अब उसके पीछे थी 

मानो एक बड़ा ब्रह्मांड धीरे धीरे आगे बढ़ रहा है , मस्ती में 

मैं उसके इस बड़े धरातल को देख , उस मतवाली चाल को देख पूरा खो सा गया 

और मेरा एक हाथ , मेरे जगनाथ पे , स्वत; ही आ गया
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RE: हमारे हसीन पल ( सलहज के साथ ) - by mariesweet21 - 27-02-2024, 01:58 PM



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