27-02-2024, 09:14 AM
तभी सलोनी कमरे में आती है। उसके चेहरे से कोई अन्य प्रतिक्रिया नहीं दिखती, उसने बड़ी बेबाकी से अपना गाउन उतार दिया। एक बार फिर मैं उसके सुन्दर शरीर को देखने लगा। उसने कुछ नहीं पहना था। अब वो बड़ी मादकता के साथ अपने पूरे नंगे बदन पर कोई लोशन का लेप लगा रही थी फिर मुझे देखते हुए ही कहने लगी- “जान तो तुमने क्या सोचा?? क्या पहनूँ फिर मैं आज?”
मैं एक बार फिर उसकी पोशाकों को देखने-परखने लगता हूँ फिर वो एक जोड़ी अपनी कच्छी-ब्रा को पहन लेती है।
मैं- “क्यों क्या यही सेट पहनना है?”
सलोनी- “हाँ… ये तो मुझे यही पहनना है बाकी रुको मैं बताती हूँ”
वो एक वहुत सेक्सी ड्रेस निकाल कर लाती है। ये उसने अपने भाई के रिसेप्शन पर पहना था। ये वाला ड्रेस सब उसको वहाँ देखते रह गए थे। हाँ रिसेप्शन पार्टी के समय तो उसने इसके नीचे पतली हाफ केप्री पहनी थी परन्तु जब रात को उसने केप्री निकाल दी थी, तब तो घर के ही लोग थे मगर सभी उसी को भूखी नजरों से ताक रहे थे, चाहे वो सलोनी के जीजा हों या उसके भाई और पापा। उस समय बिस्तर आदि लगते समय, सलोनी के जरा से झुकने से ही उसकी सफ़ेद कच्छी सभी को रोमांचित कर रही थी।
मैंने तुरंत हाँ कर दी और यह भी कहा- “यार इसके नीचे बस वो वाली सफ़ेद कच्छी ही पहनना”
सलोनी- “कौन सी… वो वाली… वो तो कब की फट गई ये वाली बुरी है क्या??”
उसने अभी एक सिल्की, स्किन टाइट, वी शेप स्काई ब्लू पहनी थी।
मैं- “नहीं जान! इसमें तो और भी ज्यादा सेक्सी लग रही हो मगर बस इसी के ऊपर यह पहनना, वो उस दिन वाली कैप्री नहीं पहनना”
सलोनी- “अरे जानू फिर तो बहुत संभलकर रहना होगा। तुम ही देखो फिर”
मैं- “हाँ हाँ… मुझे पता है पर अमित ही तो है वो तो अपना ही है ना और फिर रुचिका से क्या शरमाना”
सलोनी- “ठीक है जानू, जैसा आप कहो”
मैंने कसकर सलोनी को अपने से चिपका लिया और कच्छी के ऊपर से उसके गोल मटोल चूतड़ों को सहलाने लगा। तभी मधु अंदर आती है।
मधु- “भाभीईइ… इइइइइइइ ओह”
हम दोनों अलग हो गए।
सलोनी- “क्या हुआ??”
मधु- “वो तो हो गया भाभी, अब क्या करूँ?”
सलोनी- “ले जरा यह लोशन, मेरी पीठ, टांगों और कूल्हों पर लगा दे। जहाँ जहाँ दिख रहा है”
मधु- “यह क्या है भाभी”
सलोनी- “यह शाइनिंग लोशन है और फिर तू भी तैयार हो जाना, ये फ्रॉक उतार कर। मैंने ये कपड़े रखे हैं, ये पहन लेना”
मैंने देखा उसने एक सफ़ेद नेकर और टॉप था जो थोड़ा पुराना था मगर सूती था
सलोनी- “और हाँ यह कच्छी मत पहनना, मैं कल तुझको बढ़िया वाली दिलाऊँगी। मुझे भी जाना है कल तो तू भी वहीं से अपने साइज की ले लेना”
मधु- “जी भाभी”
इस बार मधु ने कुछ नहीं कहा वो लोशन लगाते हुए बार बार मुझे ही देख रही थी। शायद रसोई वाला किस्सा उसको भी अच्छा लगा था।
कुछ देर बाद सलोनी ने मधु की ड्रेस को उठा कर कहा- “बस अब हो गया, अब तू ये कपड़े ले और तैयार हो जा। चाहे तो नहा लेना”
मधु- “जी भाभी”
मधु ड्रेस लेकर मुझे तिरछी नजर से देखते हुए बाथरूम में चली गई। इधर सलोनी तैयार होने लगी, उधर बाथरूम से शॉवर की आवाज से पता लग जाता है कि मधु नहा रही है। कुछ देर बाद…
मधु- “भाभी यहाँ तौलिया नहीं है”
सलोनी- “ओह! जरा सुनो जानू, मधु को तौलिया दे दो ना। वो बालकोनी में होगा”
मेरी तो बांछें खिल जाती हैं। ना जाने मधु कैसी हालत में होगी। कच्छी पहन कर नहाई है या पूरी नंगी होगी। उसकी पूरी नंगी तस्वीर मन में लिए मैं तौलिया लेकर बाथरूम के दरवाजे पर पहुँच गया। मैं दरवाजे से बाहर खड़ा मधु को आवाज देने की सोच ही रहा था कि…
सलोनी- “मधु ले तौलिया”
जाने अनजाने सलोनी हर तरह से सहायता कर रही थी अगर मैं आवाज देता तो हो सकता था कि वो शर्म के कारण दरवाजा नहीं खोलती या अपने को ढकने के बाद ही खोलती मगर सलोनी की आवाज ने उसको रिलैक्स कर दिया था। जैसे ही दरवाजा की चटकनी खुलने की आवाज आई,
मैंने भी दरवाजे को हल्का सा धक्का दिया और दरवाजा पूरा खुल गया।
ओह माय गॉड…
मेरे जीवन का एक और मधुरम दृश्य मेरा इन्तजार कर रहा था। वो पूरी नंगी थी, उसने अभी अभी स्नान किया था और उसका सेक्सी गीला बदन गजब ढा रहा था। वो मुझे देखते ही हल्का सा झुकी। मैं आँखे फाड़े उसके सामने के अंगों को नग्न अवस्था में देख ही रहा था कि पहले तो उसने अपनी कोमल चूत को अपने हाथ से ढकने का प्रयास किया फिर मधु ने मेरी ओर पीठ कर ली। यह दूसरा मनोरम दृश्य मेरे सामने था। वो वहुत ज्यादा शरमा रही थी, मगर कोई चीख चिल्लाहट नहीं थी। मैं आँखें भर उसके नंगे मांसल चूतड़ एवं मखमली पीठ को देख रहा था फिर मैंने ही उसको तौलिया पकड़ाते हुए कहा- “ले जल्दी से पोंछ कर बाहर आ जा”
पहली बार उसके मुख से आवाज निकली। उसने तौलिया से खुद को ढकते हुए ही कहा,
मधु- “भैया आप, मैं भाभी को समझी थी”
तभी सलोनी की आवाज आई- “ओह तू कितना शरमाती है मधु, तेरे भैया ही तो हैं” तभी मुझसे कहा- “सुनो जी, मेरे बॉडी क्लीनर से इसकी पीठ और कंधे साफ़ करवा देना और घुटने भी वरना इस वाली ड्रेस से वो गंदे ना दिखें”
हे खुदा! कितनी प्यारी बीवी तूने दी है। वो मेरी हर इच्छा को समझ जाती है। उसने शायद मेरी आँखे और लण्ड की आवाज को सुन लिया था जो वो मुझे इस नग्न सुंदरता की मूरत को छूने का मौका भी दे रही थी।
तभी मधु- “नहीईइइ… भाभी, मैंने साफ़ कर ली है”
सलोनी खुद आकर देखती है- “पागल है क्या?? कितने धब्बे दिख रहे हैं, क्या तू खुद सुन्दर नहीं दिखना चाहती”
मधु- “हाँ वव वो वव भाभी! पर ये सब भैया नहींईईईईई”
सलोनी- “एक लगाऊँगी तुझको, क्या हुआ तो, भैया ही तो हैं तेरे और वो सब जो तेरे पापा ने किया था”
मधु- “ओह नहीं ना भाभी, प्लीज…”
सलोनी- “हाँ… तो ठीक है चुपचाप साफ़ करा कर जल्दी बाहर आ, देर हो रही है”
मैं सब कुछ सुनकर भी कुछ भी नहीं बोल पाया। पता नहीं इसके पापा वाली बात क्या थी। सलोनी बाहर निकल जाती है। मधु वहीं रखे स्टूल पर बैठ जाती है उसने तौलिया खुद हटा दिया। मैं सलोनी का क्लीनर उठा उसकी पीठ के धब्बों पर लगाने लगा। मैंने पूरी शराफत का परिचय देता हुआ उसके किसी अंग को नहीं छुआ बस अपनी आँखों से उनका रसपान करते हुए उसकी पीठ, कंधे, उसकी नाजुक चूची का ऊपरी भाग और उसके घुटने को साफ़ कर दिया। मधु के सभी अंग अब पहले से कई गुना ज्यादा चमक रहे थे। उसके अंगों पर अब शर्म की लाली भी आ गई थी। कुछ देर बाद मधु तैयार होने लगी। लगता था उसकी शर्म भी अब बहुत कम हो रही थी। कहते हैं ना कि जब कोई लड़की या औरत जब किसी मर्द के सामने नंगी हो जाती है या जब उसको अपना नंगापन किसी मर्द के सामने अच्छा लगने लगता है तो उसकी शर्म अपनेआप ख़त्म हो जाती है। तो इस समय मधु भी बिना शर्माए मेरे सामने कपड़े बदल रही थी। सलोनी की सूती सफ़ेद फैंसी ड्रेस पहन वो गजब ढा रही थी। मैं एक टक उसको देख रहा था और अब साथ साथ यह भी सोच रहा थाकि सलोनी मेरी कितनी सहायता कर रही है। क्या इसलिए कि वो भी चाहती है कि आगे से मैं भी उसकी ऐसे ही सहायता करूँ या फिर कुछ और??
एक और प्रश्न भी मेरे दिमाग में चल रहा था कि आखिर मधु के साथ उसके पिता ने क्या किया था??
कहते हैं चाहे कितनी भी मस्ती कर लो पर नई चूत देखते ही दिमाग उसको पाने के लिए पागल हो जाता है। यही हाल मेरा था।
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
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