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Adultery हमारे हसीन पल ( सलहज के साथ )
#14
फिर मेरा कोई ५ साल 
ससुराल जाना नही हुआ

इस बीच सुनीता की भी शादी हो गई , १९९६ में , कोलकाता में ही हुई 

अब आ गया 

१९९८ :

विनिता ने मुझे बताया : कल शाम को , hindmotor चलना है , अमन के लिए लड़की देखने 

मुझे कृष्णा याद आ गई 
और 
कारण भी , कि अशोक सूर्यमुखी होने से जैसे तैसे कर रहे हैं 

अमन , मेरा दूसरा साला , भी तो सूर्यमुखी है , मेरा उत्साह ना के बराबर था 


मैं : यार मैं क्या करूंगा , तुम लोग ही देख आओ , मुझे कोन सी लड़की की पहचान है खास 

विनिता : बड़े जीजाजी तो है नही , दिल्ली गए है , आप ही तो बड़े जीजाजी हुए ना फिर चलने 

मेरा कोई खास मन नहीं था 

लेकिन विनिता की कोई बात मैं टाल ही नही पाता था

हम दोनो को जरा भी आभास नहीं था  , 

मेरी जिंदगी में
 एक हसीन समय का उदय होने, एक हसीन साथ का समय आया है  , 
एक नए रोमांच ,
 एक नए रोमांस
और 
एक नए आयाम 

का समय आया है

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RE: हमारे हसीन पल ( सलहज के साथ ) - by mariesweet21 - 26-02-2024, 03:42 PM



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