24-02-2024, 11:33 AM
मैंने अपने एक हाथ से लंड को पकड़ा और दूसरा हाथ उसकी कमर पे रख दिया, लंड को उसके चूत के छेद पे रखा, मेरा लंड एकदम डण्डे की तरह टाईट था।
धीरे धीरे मैंने अपना लंड उसकी चूत में डालना शुरु किया।
मैंने सारा काम धीरे धीरे करना शुरु किया क्योंकि मैं जानता था कि उसको थोड़ा दर्द तो होगा।
धीरे धीरे मेरा लंड उसकी चिकनी चूत की फांकों में घुसने लगा था।
जैसे ही उसको दर्द होता तो मैं अपने लंड को वही रोक लेता और थोड़ी देर बाद फिर से लंड अंदर-बाहर करने लगता।
अभी तक मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस चुका था पर काम अभी काफी बाकी था।
मैंने उसको एक बार दर्द देने का तय करके अपना पहला जोर का झटका मारने का तय किया।
जब तक मैं जोर से झटका नहीं मारता मेरा लंड उसके अन्दर पूरा नहीं जाता।
सो मैंने अपने लंड को पूरा बाहर निकला और निशाना लगाते हुए पूरे जोर से उसकी चूत में घुसा दिया।
मैंने उसको मेरे इस धक्के के बारे में बताया नहीं था वरना वो पहले ही डर जाती और उसको ज्यादा दर्द होता।
मेरी इस हरकत से उसको दर्द हुआ और वो चिल्लाने वाली थी पर मेरा हाथ उसके मुँह पर चला गया और उसकी आवाज नहीं निकल पाई।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैंने लंड अन्दर डाल कर उसको वहीं छोड़ दिया।
उसके आँसू निकल गए थे।
धीरे धीरे मैंने अपना लंड उसकी चूत में डालना शुरु किया।
मैंने सारा काम धीरे धीरे करना शुरु किया क्योंकि मैं जानता था कि उसको थोड़ा दर्द तो होगा।
धीरे धीरे मेरा लंड उसकी चिकनी चूत की फांकों में घुसने लगा था।
जैसे ही उसको दर्द होता तो मैं अपने लंड को वही रोक लेता और थोड़ी देर बाद फिर से लंड अंदर-बाहर करने लगता।
अभी तक मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस चुका था पर काम अभी काफी बाकी था।
मैंने उसको एक बार दर्द देने का तय करके अपना पहला जोर का झटका मारने का तय किया।
जब तक मैं जोर से झटका नहीं मारता मेरा लंड उसके अन्दर पूरा नहीं जाता।
सो मैंने अपने लंड को पूरा बाहर निकला और निशाना लगाते हुए पूरे जोर से उसकी चूत में घुसा दिया।
मैंने उसको मेरे इस धक्के के बारे में बताया नहीं था वरना वो पहले ही डर जाती और उसको ज्यादा दर्द होता।
मेरी इस हरकत से उसको दर्द हुआ और वो चिल्लाने वाली थी पर मेरा हाथ उसके मुँह पर चला गया और उसकी आवाज नहीं निकल पाई।
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मैंने लंड अन्दर डाल कर उसको वहीं छोड़ दिया।
उसके आँसू निकल गए थे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.