24-02-2024, 10:55 AM
मैंने उसकी स्कर्ट के अन्दर हाथ डाला और उसकी जांघों को सहलाने लगा।
मेरा हाथ उसकी दोनों जांघों के बीच वाले भाग को छू रहा था जिसको हम आम भाषा में चूत कहते है।
अब मैंने उसको खड़ा किया और अपनी पैंट निकाल दी और पीछे से उसका स्कर्ट पूरा ऊपर करके उसको अपने ऊपर बैठा लिया।
मेरा लंड उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी गांड में सेट हो के आगे पीछे हो रहा था।
थोड़ी देर तक ऐसा करने के बाद जब मेरे हाथों ने उसकी चूत को छुआ तो उसकी पैंटी के बीच वाली जगह गीली हो चुकी थी।
अपने अनुभव से मैं इतना समझ गया कि अब लड़की मेरे नीचे आने को तैयार है।
मैंने रीना को उठा कर बिस्तर पर लेटा दिया और खुद उसके ऊपर चढ़ गया।
मेरे शरीर का सारा भार उसके ऊपर था जिसके कारण हमारे बीच जगह कम हो गई थी और उसके उभार मेरे शरीर में घुस रहे थे।
नए नए उभरे हुए मम्मे मेरे सीने में गड़ रहे थे जो मुझको और उत्तेजित कर रहे थे।
मेरा लण्ड पहली बार उसकी चूत के मुँह पर छू रहा था।
मैंने उसको अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठों का रस पीने लगा। उसके हाथ मेरी पीठ पर जमे हुए थे और मुझको अपने से और चिपकाने की उसकी कोशिश मुझको साफ़ पता चल रही थी।
हम लोग ऐसे चिपक रहे थे मानो दोनों अपने बीच में हवा तक नहीं आने देना चाहते हो।
मेरा हाथ उसकी दोनों जांघों के बीच वाले भाग को छू रहा था जिसको हम आम भाषा में चूत कहते है।
अब मैंने उसको खड़ा किया और अपनी पैंट निकाल दी और पीछे से उसका स्कर्ट पूरा ऊपर करके उसको अपने ऊपर बैठा लिया।
मेरा लंड उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी गांड में सेट हो के आगे पीछे हो रहा था।
थोड़ी देर तक ऐसा करने के बाद जब मेरे हाथों ने उसकी चूत को छुआ तो उसकी पैंटी के बीच वाली जगह गीली हो चुकी थी।
अपने अनुभव से मैं इतना समझ गया कि अब लड़की मेरे नीचे आने को तैयार है।
मैंने रीना को उठा कर बिस्तर पर लेटा दिया और खुद उसके ऊपर चढ़ गया।
मेरे शरीर का सारा भार उसके ऊपर था जिसके कारण हमारे बीच जगह कम हो गई थी और उसके उभार मेरे शरीर में घुस रहे थे।
नए नए उभरे हुए मम्मे मेरे सीने में गड़ रहे थे जो मुझको और उत्तेजित कर रहे थे।
मेरा लण्ड पहली बार उसकी चूत के मुँह पर छू रहा था।
मैंने उसको अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठों का रस पीने लगा। उसके हाथ मेरी पीठ पर जमे हुए थे और मुझको अपने से और चिपकाने की उसकी कोशिश मुझको साफ़ पता चल रही थी।
हम लोग ऐसे चिपक रहे थे मानो दोनों अपने बीच में हवा तक नहीं आने देना चाहते हो।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.