24-02-2024, 10:52 AM
मेरा लंड जो अब तक उत्तेजना से खड़ा हो चुका था, उसकी कूल्हों क़ी दरार में घुस रहा था।
थोड़ी देर में वो बोली- भईया, अन्दर चलते हैं, यहाँ मुझको शर्म आ रही है।
मैंने रीना को अपनी गोद में उठा लिया।
चूंकि उसने स्कर्ट पहनी थी तो उसको उठाते समय मेरा हाथ उसकी स्कर्ट के अन्दर चला गया और उसकी नंगी टाँगें मेरे हाथ में आ गई।
इससे वो और शरमाने लगी और उसने आँखें बंद कर ली।
मैं उसको अपने कमरे में ले आया और बिस्तर में बैठा दिया और खुद नीचे उसके घुटनों पर हाथ रख कर बैठ गया।
उसकी आँखों में शर्म साफ़ साफ़ दिख रही थी पर शर्म के साथ वासना भी अपना असर दिखा रही थी।
मैंने उससे पूछा- शुरु से सब कुछ करें या जहाँ छोड़ा था, वहाँ से आगे?
तो वो कुछ नहीं बोली।
मैंने सोचा कि यह अभी नई है इस खेल में और अभी तक उसने कुछ किया भी नहीं है तो उसको पहले उत्तेजित करना होगा।
एकदम करने से उसको दर्द भी ज्यादा होगा और काम खराब होने का डर भी रहेगा।
सो मैंने उसको उठा कर अपनी गोद में बैठा लिया जैसा हमारे साथ पहली बार हुआ था।
वो मेरे लंड पर बैठ गई और मैं उसकी कमर पकड़ कर आगे पीछे करने लगा।
थोड़ी देर में वो बोली- भईया, अन्दर चलते हैं, यहाँ मुझको शर्म आ रही है।
मैंने रीना को अपनी गोद में उठा लिया।
चूंकि उसने स्कर्ट पहनी थी तो उसको उठाते समय मेरा हाथ उसकी स्कर्ट के अन्दर चला गया और उसकी नंगी टाँगें मेरे हाथ में आ गई।
इससे वो और शरमाने लगी और उसने आँखें बंद कर ली।
मैं उसको अपने कमरे में ले आया और बिस्तर में बैठा दिया और खुद नीचे उसके घुटनों पर हाथ रख कर बैठ गया।
उसकी आँखों में शर्म साफ़ साफ़ दिख रही थी पर शर्म के साथ वासना भी अपना असर दिखा रही थी।
मैंने उससे पूछा- शुरु से सब कुछ करें या जहाँ छोड़ा था, वहाँ से आगे?
तो वो कुछ नहीं बोली।
मैंने सोचा कि यह अभी नई है इस खेल में और अभी तक उसने कुछ किया भी नहीं है तो उसको पहले उत्तेजित करना होगा।
एकदम करने से उसको दर्द भी ज्यादा होगा और काम खराब होने का डर भी रहेगा।
सो मैंने उसको उठा कर अपनी गोद में बैठा लिया जैसा हमारे साथ पहली बार हुआ था।
वो मेरे लंड पर बैठ गई और मैं उसकी कमर पकड़ कर आगे पीछे करने लगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.