23-02-2024, 12:06 AM
तो दीदी ने बोला- जब तुझे पता है तो तू क्या चाहता है.. और मेरी साड़ी क्यों निकाल रहा है?
मैंने कहा- मैं आपके साथ नहाना चाहता हूँ.
दीदी ने कहा- अभी तू नहा ले, मैं तो नहा चुकी हूँ. शाम को साथ में नहाएँगे.
मैं बोला- हाँ लेकिन अभी ये इस खड़े लंड का क्या करूँ?
तो दीदी ने कहा- बाथरूम में मुठ मार लेना.
उन्होंने मुझे धक्का देकर किचन से बाहर भेज दिया. मैं बाथरूम में चला गया और वहां देखा कि कल रात को दीदी ने जो ब्रा और पेंटी पहनी थी, वो वहां पे गीली लटकी हुई थी. मेरा काम हो गया ये देख कर मैंने दीदी की ब्रा को हाथ में लेकर सूँघा और उनकी अंडरवियर अपने लंड पर लगा कर मुठ मारने लगा.
मैंने अपना सारा माल दीदी की अंडरवियर में गिरा दिया और नहा कर बाहर आ गया. बाहर आकर देखा तो दीदी ने अपने कपड़े चेंज कर दिए थे. दीदी ने हल्का सा गाउन पहन लिया था, जिसमें उन्होंने अपनी ब्रा नहीं पहनी थी क्योंकि दीदी के निप्पल मुझे साफ़ दिख रहे थे.
ये देख कर मुझे पता लग गया कि दीदी ने ब्रा नहीं पहनी है. फिर हम लोग खाना खाने लगे. तभी दीदी का मोबाइल बजा, दीदी ने कॉल रिसीव किया. जीजाजी का फोन था और दीदी बात करते करते अपने बेडरूम में चली गईं. कुछ देर बाद दीदी वापस डाइनिंग टेबल पर आकर बैठ गईं.
मैंने देखा तो दीदी का चेहरा उतरा हुआ था. कुछ देर बाद मैंने उनसे कहा- आप कुछ उदास हो गई हैं, क्या बात है?
मैंने कहा- मैं आपके साथ नहाना चाहता हूँ.
दीदी ने कहा- अभी तू नहा ले, मैं तो नहा चुकी हूँ. शाम को साथ में नहाएँगे.
मैं बोला- हाँ लेकिन अभी ये इस खड़े लंड का क्या करूँ?
तो दीदी ने कहा- बाथरूम में मुठ मार लेना.
उन्होंने मुझे धक्का देकर किचन से बाहर भेज दिया. मैं बाथरूम में चला गया और वहां देखा कि कल रात को दीदी ने जो ब्रा और पेंटी पहनी थी, वो वहां पे गीली लटकी हुई थी. मेरा काम हो गया ये देख कर मैंने दीदी की ब्रा को हाथ में लेकर सूँघा और उनकी अंडरवियर अपने लंड पर लगा कर मुठ मारने लगा.
मैंने अपना सारा माल दीदी की अंडरवियर में गिरा दिया और नहा कर बाहर आ गया. बाहर आकर देखा तो दीदी ने अपने कपड़े चेंज कर दिए थे. दीदी ने हल्का सा गाउन पहन लिया था, जिसमें उन्होंने अपनी ब्रा नहीं पहनी थी क्योंकि दीदी के निप्पल मुझे साफ़ दिख रहे थे.
ये देख कर मुझे पता लग गया कि दीदी ने ब्रा नहीं पहनी है. फिर हम लोग खाना खाने लगे. तभी दीदी का मोबाइल बजा, दीदी ने कॉल रिसीव किया. जीजाजी का फोन था और दीदी बात करते करते अपने बेडरूम में चली गईं. कुछ देर बाद दीदी वापस डाइनिंग टेबल पर आकर बैठ गईं.
मैंने देखा तो दीदी का चेहरा उतरा हुआ था. कुछ देर बाद मैंने उनसे कहा- आप कुछ उदास हो गई हैं, क्या बात है?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.