22-02-2024, 05:45 PM
12
मैंने वापस से लंड को चूत में अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया लेकिन इस बार जोरदार धक्को के साथ मैं अपने लंड को पूरा बाहर निकालता और एक बार में पूरा लंड वापस से उसकी चूत में घुसा देता।
रूपाली ने रेलिंग को जोर से पकड़ रखा था लेकिन हर धक्के के साथ उसके हिलते हुए जोबन बता रहे थे कि उसकी चूत मेरे लंड के कितने जोरदार वार को झेल रही थी।
कुछ देर बाद उसके मुंह से सिसकियाँ निकलने लगी- आअह्ह … आह्ह … ह्ह्ह … उम्म्म … माँ … श्श्श्श … उफ्फ्फ … ऎश्श्श … हायय..सीईई … इस्सस … आह्ह मेरी जान … मार मेरी चूत को! आज मिटा दे इसकी खुजली! साली बहुत खुजलाती है … तुझे बुलाया था अपनी चूत खुजली मिटाने के लिये … लेकिन ये साली हरामजादी नीतू कहाँ से आ गयी! लेकिन अब तू रुकना मत … चोद मुझे पूरा दम लगा कर।
रूपाली न जाने क्या-क्या बोले जा रही थी।
उधर मैं भी उसकी चूत में ताबड़तोड़ धक्के लगाये जा रहा था।
मुझे रूपाली की चुदाई करते हुए अब पंद्रह मिनट से ऊपर हो गये थे.
तभी वो जोर सिसकारती हुई चिल्लाने लगी- रुकना मत मेरे राजा … मैं आने वाली हूँ … आह्ह … आह्ह … ईईई मैं आई … मैं आई!
कहते हुए उसकी चूत ने अपना रस छोड़ दिया।
उसकी चूत से रिसता हुआ रस उसकी जाँघों पर लकीर बनाता हुआ जमीन पर गिरने लगा। उसकी चूत की दीवारें रह-रह कर मेरा लंड अंदर खीच रही थी।
सम्पूर्ण रूप से झड़ने के बाद रूपाली मौसी पस्त हो गयी तो मैंने उसकी कमर को सहारा देकर पकड़ लिया।
मैंने उसे अपनी बांहों में उठा लिया और दीवार के कोने में पड़े पुराने तख्त पर लिटा दिया और खुद भी उसके बगल में लेट गया।
कुछ देर बाद मैंने उसके होंठों को चूम लिया और उससे फिर से चुदाई के बारे में पूछा.
तो उसने भी मुझे अपने ऊपर आने को बोला।
मैं रूपाली के ऊपर आ गया और उसके होंठों को चूमते हुए उसकी चूचियों को दबाने लगा।
फिर उसकी एक चूची को मुंह में भर कर चूसने लगा और नीचे से धीरे- धीरे उसकी चूत में लंड को उतारने लगा।
लंड अंदर जाने के बाद मैंने उसकी दोनों चूचियों को हाथों में पकड़ लिया और धक्के लगाने लगा।
उसकी गीली चूत में मेरा पनियाया हुआ लंड सटासट तेजी अंदर बाहर हो रहा था।
पूरी छत में चुदाई की आवाज़ आ रही थी, मेरे टट्टे उसकी चूत से टकरा कर ठप ठप ठप का शोर कर रहे थे।
थोड़ी देर में रूपाली फिर से गर्म होने लगी उसके हाथ मेरी पीठ पर घूमने लगे और उसने अपनी गर्दन को उचका कर मेरे होंठ को अपने होंठ से चूमना चालू कर दिया।
एक बार फिर रूपाली के मुंह से गर्म आहें निकलने लगी थी- आअह्ह … आईईइ … उम्म्म … मम्म … ईईईश्श … यस … यस … ओह्ह गॉड ऐसे ही चोदो।
रूपाली ने अपनी टांगों का मजबूत घेरा मेरी कमर पर बना लिया था।
मैं भी रूपाली के कंधों को पकड़ के जोर-जोर से चूत के चीथड़े उड़ाने में लगा हुआ था।
तभी कुछ देर बाद रूपाली बदन को उचकाने लगी.
मैं समझ गया था कि रूपाली फिर से झड़ने वाली थी इसलिये मैं और तेजी से चूत को कूटने लगा।
फिर रूपाली ने मुझे अचानक अपने सीने से चिपका लिया और आह्ह … आअह्ह्ह … आआईइ … स्स्स्स करते हुए झड़ने लगी थी।
उसकी चूत से बहते रस की गर्मी से मेरे लंड की नसें भी तन गई थी; टट्टे भी रस से भर कर भारी हो रहे थे और मैं कभी भी झड़ सकता था.
इसलिये मैं अपने लंड को बाहर निकाल के झड़ना चाहता था.
लेकिन तभी मेरी नज़र अचानक से दरवाजे के पास एक परछाई पड़ी।
ऐसा लगा जैसे कोई हमें देख रहा है.
जब तक मैं कुछ सोच पाता … तब तक मेरे लंड ने रूपाली की चूत में लावा उगलना शुरू कर दिया था.
पहले एक … फिर दो … फिर तीन …
इस तरह मेरे लंड ने रूपाली की चूत में कई सारी पिचकारी मारी और उसकी चूत को लबालब भर दिया।
नीचे देखा तो मेरा वीर्य और रूपाली का कामरस मिश्रण बन के चूत से बाहर आ रहा था।
मैंने एक नजर वापस से दरवाजे पर डाली तो इस बार कोई परछाई नहीं दिखाई दी।
तो मैं भी इसे अपना वहम समझ कर रूपाली के बगल में लेट गया और हम अपनी सांसें नियंत्रित करने लगे।
इस लम्बी और घमासान चुदाई से हम दोनों खुले आसमान के नीचे भी पसीने से तरबतर हो गये थे।
कुछ देर बाद रूपाली ने मुझसे पूछा- आज आपने अन्दर ही अपना माल क्यों छोड़ दिया?
तो मैंने बहाना बना के बात टाल दी क्योंकि मैं उसे परछाई के बारे में बता के उसे परेशान नहीं करना चाहता था।
रूपाली ने कपड़ों के ढेर में से एक कपड़ा उठा के पहले मेरा लंड पौंछा फिर अपनी चूत को अच्छे से साफ़ करके हम नीचे बेडरूम की ओर चल पड़े।
बेडरूम में नीतू पहले जैसे ही बेड पर पड़ी हुई थी और हम भी अपने अपने बिस्तर पर जा कर सो गये।
मैंने वापस से लंड को चूत में अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया लेकिन इस बार जोरदार धक्को के साथ मैं अपने लंड को पूरा बाहर निकालता और एक बार में पूरा लंड वापस से उसकी चूत में घुसा देता।
रूपाली ने रेलिंग को जोर से पकड़ रखा था लेकिन हर धक्के के साथ उसके हिलते हुए जोबन बता रहे थे कि उसकी चूत मेरे लंड के कितने जोरदार वार को झेल रही थी।
कुछ देर बाद उसके मुंह से सिसकियाँ निकलने लगी- आअह्ह … आह्ह … ह्ह्ह … उम्म्म … माँ … श्श्श्श … उफ्फ्फ … ऎश्श्श … हायय..सीईई … इस्सस … आह्ह मेरी जान … मार मेरी चूत को! आज मिटा दे इसकी खुजली! साली बहुत खुजलाती है … तुझे बुलाया था अपनी चूत खुजली मिटाने के लिये … लेकिन ये साली हरामजादी नीतू कहाँ से आ गयी! लेकिन अब तू रुकना मत … चोद मुझे पूरा दम लगा कर।
रूपाली न जाने क्या-क्या बोले जा रही थी।
उधर मैं भी उसकी चूत में ताबड़तोड़ धक्के लगाये जा रहा था।
मुझे रूपाली की चुदाई करते हुए अब पंद्रह मिनट से ऊपर हो गये थे.
तभी वो जोर सिसकारती हुई चिल्लाने लगी- रुकना मत मेरे राजा … मैं आने वाली हूँ … आह्ह … आह्ह … ईईई मैं आई … मैं आई!
कहते हुए उसकी चूत ने अपना रस छोड़ दिया।
उसकी चूत से रिसता हुआ रस उसकी जाँघों पर लकीर बनाता हुआ जमीन पर गिरने लगा। उसकी चूत की दीवारें रह-रह कर मेरा लंड अंदर खीच रही थी।
सम्पूर्ण रूप से झड़ने के बाद रूपाली मौसी पस्त हो गयी तो मैंने उसकी कमर को सहारा देकर पकड़ लिया।
मैंने उसे अपनी बांहों में उठा लिया और दीवार के कोने में पड़े पुराने तख्त पर लिटा दिया और खुद भी उसके बगल में लेट गया।
कुछ देर बाद मैंने उसके होंठों को चूम लिया और उससे फिर से चुदाई के बारे में पूछा.
तो उसने भी मुझे अपने ऊपर आने को बोला।
मैं रूपाली के ऊपर आ गया और उसके होंठों को चूमते हुए उसकी चूचियों को दबाने लगा।
फिर उसकी एक चूची को मुंह में भर कर चूसने लगा और नीचे से धीरे- धीरे उसकी चूत में लंड को उतारने लगा।
लंड अंदर जाने के बाद मैंने उसकी दोनों चूचियों को हाथों में पकड़ लिया और धक्के लगाने लगा।
उसकी गीली चूत में मेरा पनियाया हुआ लंड सटासट तेजी अंदर बाहर हो रहा था।
पूरी छत में चुदाई की आवाज़ आ रही थी, मेरे टट्टे उसकी चूत से टकरा कर ठप ठप ठप का शोर कर रहे थे।
थोड़ी देर में रूपाली फिर से गर्म होने लगी उसके हाथ मेरी पीठ पर घूमने लगे और उसने अपनी गर्दन को उचका कर मेरे होंठ को अपने होंठ से चूमना चालू कर दिया।
एक बार फिर रूपाली के मुंह से गर्म आहें निकलने लगी थी- आअह्ह … आईईइ … उम्म्म … मम्म … ईईईश्श … यस … यस … ओह्ह गॉड ऐसे ही चोदो।
रूपाली ने अपनी टांगों का मजबूत घेरा मेरी कमर पर बना लिया था।
मैं भी रूपाली के कंधों को पकड़ के जोर-जोर से चूत के चीथड़े उड़ाने में लगा हुआ था।
तभी कुछ देर बाद रूपाली बदन को उचकाने लगी.
मैं समझ गया था कि रूपाली फिर से झड़ने वाली थी इसलिये मैं और तेजी से चूत को कूटने लगा।
फिर रूपाली ने मुझे अचानक अपने सीने से चिपका लिया और आह्ह … आअह्ह्ह … आआईइ … स्स्स्स करते हुए झड़ने लगी थी।
उसकी चूत से बहते रस की गर्मी से मेरे लंड की नसें भी तन गई थी; टट्टे भी रस से भर कर भारी हो रहे थे और मैं कभी भी झड़ सकता था.
इसलिये मैं अपने लंड को बाहर निकाल के झड़ना चाहता था.
लेकिन तभी मेरी नज़र अचानक से दरवाजे के पास एक परछाई पड़ी।
ऐसा लगा जैसे कोई हमें देख रहा है.
जब तक मैं कुछ सोच पाता … तब तक मेरे लंड ने रूपाली की चूत में लावा उगलना शुरू कर दिया था.
पहले एक … फिर दो … फिर तीन …
इस तरह मेरे लंड ने रूपाली की चूत में कई सारी पिचकारी मारी और उसकी चूत को लबालब भर दिया।
नीचे देखा तो मेरा वीर्य और रूपाली का कामरस मिश्रण बन के चूत से बाहर आ रहा था।
मैंने एक नजर वापस से दरवाजे पर डाली तो इस बार कोई परछाई नहीं दिखाई दी।
तो मैं भी इसे अपना वहम समझ कर रूपाली के बगल में लेट गया और हम अपनी सांसें नियंत्रित करने लगे।
इस लम्बी और घमासान चुदाई से हम दोनों खुले आसमान के नीचे भी पसीने से तरबतर हो गये थे।
कुछ देर बाद रूपाली ने मुझसे पूछा- आज आपने अन्दर ही अपना माल क्यों छोड़ दिया?
तो मैंने बहाना बना के बात टाल दी क्योंकि मैं उसे परछाई के बारे में बता के उसे परेशान नहीं करना चाहता था।
रूपाली ने कपड़ों के ढेर में से एक कपड़ा उठा के पहले मेरा लंड पौंछा फिर अपनी चूत को अच्छे से साफ़ करके हम नीचे बेडरूम की ओर चल पड़े।
बेडरूम में नीतू पहले जैसे ही बेड पर पड़ी हुई थी और हम भी अपने अपने बिस्तर पर जा कर सो गये।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.


![[+]](https://xossipy.com/themes/sharepoint/collapse_collapsed.png)