22-02-2024, 05:40 PM
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शाम को दोनों ने मिल कर खाने की तैयारी की और खाना खाने के बाद दोनों रसोई के काम व्यस्त हो गई.
और मैं टीवी देखने में!
मेरा टीवी देखने में मन नहीं लग रहा था लेकिन मैं रूपाली के पास चाहकर भी नहीं जा सकता था क्योंकि नीतू भी रसोई में उसके साथ थी।
मेरी आँखों में तो बस रह-रह कर रूपाली की फड़कती हुई चूत घूम रही थी।
मन कर रहा था कि अभी पकड़ के नंगी कर दूँ और जमकर उसकी चुदाई कर डालूं।
जितना मैं रूपाली की चुदाई के लिये व्याकुल हो रहा था, शायद उससे कहीं ज्यादा वो मुझसे चुद जाने को बेचैन हो रही होगी।
घर का सारा काम खत्म करने के बाद अब सबके सोने की व्यवस्था कर दी गई थी।
बेड पर केवल दो लोगों के लिये ही सोने की जगह थी इसलिये मैंने दोनों महिलाओं को प्राथमिकता देते हुए अपना बिस्तर जमीन पर लगा लिया।
अब स्थिति कुछ इस प्रकार थी।
नीतू बेड के दायें तरफ दीवार की ओर मुंह करके लेटी थी और रूपाली उसके बगल में!
वहीं जमीन पर मैं रूपाली पैर के ठीक पास सिर करके लेट गया।
मैंने एक ऩजर उठा के रूपाली को देखा तो उसके चेहरे पर मुझे व्याकुलता स्पष्ट रूप से दिखाई दी।
लेकिन बगल में नीतू के लेटे होने की वजह से हम दोनों में कुछ भी करने की हिम्मत नहीं हुई।
कुछ देर तक हम दोनों उसी तरह लेटे रहे. नींद न मेरी आँखों में थी और न ही उसकी!
कुछ था तो बस शरीर में उठती कामवासना को उसके अंजाम तक पहुँचाना।
थोड़ी देर बाद जब मुझे लगा कि नीतू गहरी नींद में सो रही रही है तो मैं अपने बिस्तर से उठ खड़ा हुआ और रूपाली को अपने पीछे आने को कहा।
रूपाली भी किसी दासी की तरह बिना कोई सवाल करे मेरे पीछे हो ली।
हम दबे पाँव सीढ़ी चढ़ते हुए घर की छत पर पहुँच गये।
छत पर पहुँचते ही हम दोनों ने एक दूसरे को बांहों में कैद कर लिया और आलिंगनबद्ध हो गए बिना आस पास के माहौल की परवाह करे!
और वैसे भी रात एक बजे शायद ही कोई हमें देख रहा हो।
शाम को दोनों ने मिल कर खाने की तैयारी की और खाना खाने के बाद दोनों रसोई के काम व्यस्त हो गई.
और मैं टीवी देखने में!
मेरा टीवी देखने में मन नहीं लग रहा था लेकिन मैं रूपाली के पास चाहकर भी नहीं जा सकता था क्योंकि नीतू भी रसोई में उसके साथ थी।
मेरी आँखों में तो बस रह-रह कर रूपाली की फड़कती हुई चूत घूम रही थी।
मन कर रहा था कि अभी पकड़ के नंगी कर दूँ और जमकर उसकी चुदाई कर डालूं।
जितना मैं रूपाली की चुदाई के लिये व्याकुल हो रहा था, शायद उससे कहीं ज्यादा वो मुझसे चुद जाने को बेचैन हो रही होगी।
घर का सारा काम खत्म करने के बाद अब सबके सोने की व्यवस्था कर दी गई थी।
बेड पर केवल दो लोगों के लिये ही सोने की जगह थी इसलिये मैंने दोनों महिलाओं को प्राथमिकता देते हुए अपना बिस्तर जमीन पर लगा लिया।
अब स्थिति कुछ इस प्रकार थी।
नीतू बेड के दायें तरफ दीवार की ओर मुंह करके लेटी थी और रूपाली उसके बगल में!
वहीं जमीन पर मैं रूपाली पैर के ठीक पास सिर करके लेट गया।
मैंने एक ऩजर उठा के रूपाली को देखा तो उसके चेहरे पर मुझे व्याकुलता स्पष्ट रूप से दिखाई दी।
लेकिन बगल में नीतू के लेटे होने की वजह से हम दोनों में कुछ भी करने की हिम्मत नहीं हुई।
कुछ देर तक हम दोनों उसी तरह लेटे रहे. नींद न मेरी आँखों में थी और न ही उसकी!
कुछ था तो बस शरीर में उठती कामवासना को उसके अंजाम तक पहुँचाना।
थोड़ी देर बाद जब मुझे लगा कि नीतू गहरी नींद में सो रही रही है तो मैं अपने बिस्तर से उठ खड़ा हुआ और रूपाली को अपने पीछे आने को कहा।
रूपाली भी किसी दासी की तरह बिना कोई सवाल करे मेरे पीछे हो ली।
हम दबे पाँव सीढ़ी चढ़ते हुए घर की छत पर पहुँच गये।
छत पर पहुँचते ही हम दोनों ने एक दूसरे को बांहों में कैद कर लिया और आलिंगनबद्ध हो गए बिना आस पास के माहौल की परवाह करे!
और वैसे भी रात एक बजे शायद ही कोई हमें देख रहा हो।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.


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