22-02-2024, 05:32 PM
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मैंने कमरे के बाहर रखे अपने कपड़े उठाये और उसमे से चड्ढी पहन कर वापस बेड पर लेट गया।
कुछ देर बाद रूपाली ने रसोई से आवाज़ लगा कर कहा- हाथ मुंह धो लीजिय खाना बन गया है!
मैंने भी प्रतिउत्तर में कहा- रूपाली, एक ही प्लेट में खाना लाना, साथ में खायेगें.
थोड़ी देर बाद रूपाली हाथों में प्लेट लिय बेडरूम में दाखिल हुई।
हम दोनों एक दूसरे के सामने बैठे हुए थे और बीच में खाने की प्लेट रखी हुई थी।
सबसे पहले रूपाली ने अपने हाथों से एक निवाला तोड़ कर मेरे मुंह में डाल दिया।
उसके बाद मैंने भी उसे अपने हाथों से एक निवाला खिलाया।
इस तरह बारी- बारी से कभी मैं तो कभी वो मुझे खिलाती रही।
थोड़ी देर बाद रूपाली प्लेट को रसोई में रखने चली गई।
जब वो वापस कमरे में आयी तो मैंने उसका हाथ पकड़ के अपने पास बैठने को कहा.
तो उसने भी हंसते हुए मेरा आग्रह स्वीकार कर लिया।
फिर मैंने भी थोड़ा पीछे सरकते हुए अपनी जाँघों के बीच में जगह बना दी।
रूपाली भी बीच की खाली जगह में अपनी पीठ मेरी तरफ कर के बैठ गई जैसे उसे मेरे मन में उठी इच्छा का पूर्वाभास हो गया हो।
मैंने भी उसकी कमर को पकड़ के अपनी ओर खींचा और उसकी पीठ को अपने सीने से सटा लिया।
उसकी गर्दन को चूमते हुए उससे पूछा- एक बात पूछूँ रूपाली?
रूपाली- हाँ पूछिए!
मैं- क्या सच में तुम मुझसे प्यार करती हो।
रूपाली- सच में राहुल मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ। जब से आपके घर से वापस आयी हूँ तब से दिन-रात आपको याद करती हूँ आपके बारे में ही सोचती रहती हूँ।
मैं- क्यों मौसा जी अब तुम्हारी चुदाई नहीं करते?
रूपाली ने खीजते हुए जवाब दिया- उस इंसान का नाम भी मत लो। उसको तो बस पैसे कमाने की पड़ी रहती है जहाँ बाकी सारे मर्द औरत की कामुक आवाज सुन कर खुश होते हैं, वहीं दूसरी तरफ वो है जो रूपयों की खनक से खुश होता है।
वो बोलती रही- कितनी रातें मैंने खुद को बिस्तर पर उसके साथ होते हुए भी अकेली महसूस किया है। रातों को अक्सर वासना की आग में जलते हुए जब भी उससे सम्भोग को कहा तो हर बार यही कह के टाल दिया कि आज नहीं आज बहुत थक गया हूँ। फिर मैं भी शरीर में उठी आग को शांत करने के लिय रातों को बाथरूम में ठन्डे पानी से बदन को शांत करती या फिर कभी-कभी आपके साथ बिताए हसीन पलों को याद कर के अपनी दुलारी को उँगलियों से सहलाने लगती. लेकिन निगोड़ी चूत की आग भी शांत होने की जगह और भड़क जाती। कभी-कभी जब महीने में एक या दो बार सेक्स भी होता तो बस वो खुद को शांत करके सो जाता।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.


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