22-02-2024, 05:25 PM
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फिर मैं नीचे फर्श पर बैठ गया और अपनी जीभ निकाल कर उनकी टांगों को चाटते हुए ऊपर की ओर बढ़ने लगा।
कभी उसकी एड़ियों को चाटता तो कभी जांघों के अंदर वाले हिस्से को चूमते हुए उसकी चूत तक पहुँच जाता।
चूत निकलती गर्मी और अंदर से आती खुशबू को नाक में भर कर मैं रोमांचित हो जाता।
दोनों टांगों को बारी- बारी चाटने के बाद मैं उठ खड़ा हुआ।
मैंने फ्रिज खोलकर अंदर से एक बर्फ का टुकड़ा निकाला और उसकी पैंटी को आगे खींचकर चूत के दाने के ऊपर रख कर पैंटी को वापस पहले जैसी अवस्था में कर दिया।
फिर मैंने उसकी उँगलियों को अपनी उँगलियों में फंसा लिया और उसकी पीठ को चूमने लगा।
शुरू में उसे कुछ खास फर्क नहीं पड़ा लेकिन धीरे धीरे चूत की गर्मी बर्फ की ठंडक से टकराने लगी जिसकी वजह से वो अपने होंठ को दांतों से चबाने लगी थी।
मैं कभी उसकी पीठ को जीभ से सहलाता तो कभी उसके कन्धों पर दांत से हल्के से काट देता।
अब रूपाली बर्फ की ठंडक को और बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी इसलिये वो अपनी उँगलियों को आजाद कर के चूत को सहलाना चाहती थी लेकिन वो अपनी उँगलियों को मेरी से उँगलियों से न छुड़ा सकी।
कई बार उसने मेरे हाथ को खींच कर चूत के पास ले जाना चाहा लेकिन वो हर प्रयास में असफल रही।
अब रूपाली के बदन की तपिश बहुत बढ़ गई थी जिसके वजह से उसके मुख से काम-सिसकारियां निकलने लगी थी- उफ्फ … अहह … ह्ह्ह्श … आई माँ मर गयी उम्म्म … ओह्ह … ह्म्म्म … हाय … मेरे राजा क्या कर दिया है आपने मेरी चूत के साथ, आप खुद मेरी चूत को सहलाकर इसे झाड़ दो। अब और बर्दाश्त नहीं होता।
लेकिन मैं उसकी बातों को अनसुना कर उसकी पीठ को चूमने में मग्न था।
फिर मैं नीचे फर्श पर बैठ गया और अपनी जीभ निकाल कर उनकी टांगों को चाटते हुए ऊपर की ओर बढ़ने लगा।
कभी उसकी एड़ियों को चाटता तो कभी जांघों के अंदर वाले हिस्से को चूमते हुए उसकी चूत तक पहुँच जाता।
चूत निकलती गर्मी और अंदर से आती खुशबू को नाक में भर कर मैं रोमांचित हो जाता।
दोनों टांगों को बारी- बारी चाटने के बाद मैं उठ खड़ा हुआ।
मैंने फ्रिज खोलकर अंदर से एक बर्फ का टुकड़ा निकाला और उसकी पैंटी को आगे खींचकर चूत के दाने के ऊपर रख कर पैंटी को वापस पहले जैसी अवस्था में कर दिया।
फिर मैंने उसकी उँगलियों को अपनी उँगलियों में फंसा लिया और उसकी पीठ को चूमने लगा।
शुरू में उसे कुछ खास फर्क नहीं पड़ा लेकिन धीरे धीरे चूत की गर्मी बर्फ की ठंडक से टकराने लगी जिसकी वजह से वो अपने होंठ को दांतों से चबाने लगी थी।
मैं कभी उसकी पीठ को जीभ से सहलाता तो कभी उसके कन्धों पर दांत से हल्के से काट देता।
अब रूपाली बर्फ की ठंडक को और बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी इसलिये वो अपनी उँगलियों को आजाद कर के चूत को सहलाना चाहती थी लेकिन वो अपनी उँगलियों को मेरी से उँगलियों से न छुड़ा सकी।
कई बार उसने मेरे हाथ को खींच कर चूत के पास ले जाना चाहा लेकिन वो हर प्रयास में असफल रही।
अब रूपाली के बदन की तपिश बहुत बढ़ गई थी जिसके वजह से उसके मुख से काम-सिसकारियां निकलने लगी थी- उफ्फ … अहह … ह्ह्ह्श … आई माँ मर गयी उम्म्म … ओह्ह … ह्म्म्म … हाय … मेरे राजा क्या कर दिया है आपने मेरी चूत के साथ, आप खुद मेरी चूत को सहलाकर इसे झाड़ दो। अब और बर्दाश्त नहीं होता।
लेकिन मैं उसकी बातों को अनसुना कर उसकी पीठ को चूमने में मग्न था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.


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