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मौसी की चुदाई,मौसी से चुदाई
(22-02-2024, 05:11 PM)neerathemall Wrote:
जवान मौसी की चूत

कुछ दिन बाद मैं शहर में किसी काम से अपनी बाइक पर घूम रहा था।
तभी अचानक से मेरा फ़ोन बजने लगा।

मैं फ़ोन उठाना नहीं चाहता था क्योंकि सड़क पर भीड़ बहुत थी लेकिन लगातार फ़ोन बजने से मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था।
इसलिये मैंने गांडी साइड में रोकी और बिना देखे ही फ़ोन उठा लिया- हाँ कौन है?

दूसरी तरफ की आवाज़ सुन कर मेरा सारा गुस्सा प्यार में बदल गया.
रूपाली- क्या हुआ राजा इतना गुस्सा क्यों हो?
मैं- कुछ नहीं बस ऐसे ही! तुम बताओ आज इस सेवक की याद कैसे आ गई?

रूपाली- आपके मौसा जी किसी काम से कल कुछ दिनों के लिए शहर से बाहर जा रहे हैं। तो मैंने न … अपने नीचे के बाल साफ़ कर लिए है। आप भी अपने नीचे के बाल बना कर जल्दी से मेरे पास आ जाओ मैं दीदी से बात कर लेती हूँ।
मैं- आई लव यू रूपाली … सच में जान … तूने दिल खुश कर दिया।
रूपाली- आई लव यू टू!
खनखनाती हुई हंसी हँसते हुए उसने फोन काट दिया।

फिर मैंने भी गांडी को घर की ओर मोड़ दिया और शहर की भीड़ को पीछे छोड़ते हुए मन में मौसी मिलन के ख्वाब लिय गांडी को रफ़्तार देने लगा।
घर पहुँच कर मैंने बाइक अन्दर खड़ी करी और बिना माँ से मिले सीधे अपने कमरे में चला गया क्योंकि मैं उत्सुकतावश योजना को बेकार नहीं करना चाहता था वरना माँ को शक हो जाता।
थोड़ी देर बाद माँ ने मुझे आवाज देकर मुझे बुलाया।
मैं माँ के पास गया तो उन्होंने मुझे बताया- तेरे मौसा जी किसी काम से चार दिनों के लिए आगरा जा रहे हैं, तो तू मौसी के घर चला जा … वहां रूपाली अकेली है। उसे अकेले रहने में डर लगता है।

मैंने जानबूझ कर न जाने का दिखावा करते हुए वहाँ जाने से मना कर दिया.
जबकि मेरा मन अन्दर से कुलाँचे मार मार कर रूपाली की चूची को मुख में भर कर झूल जाने को कर रहा था.

लेकिन माँ ने वहाँ जाने का आदेश दे दिया था।
मैंने माँ से पूछा- कब जाना है?
तो माँ ने बताया- कल सुबह सात बजे तेरे मौसा जी जायेंगे तो तू आठ बजे तक जाना।

मैं अपने कमरे में आया और सबसे पहले रेज़र लेकर बाथरूम में घुस गया और अपनी झांट बनाने लगा क्योंकि जिस तरह मुझे बिना बाल वाली फुद्दियाँ पसंद हैं, ठीक उसी तरह रूपाली को भी चिकना लौड़ा पसंद है।
बाल साफ़ करते हुए मैं रूपाली के बारे में सोचने लगा कि कैसे रूपाली के साथ चार दिन तक क्या क्या करना है।
यही सब सोचते सोचते मैं इतना ज्यादा उत्तेजित हो गया कि मुझे रूपाली के नाम की मुठ मार कर खुद को शांत करना पड़ा।

बाथरूम से निकल कर मैंने अपना बैग पैक किया और खाना खाने के बाद मैं अपने बेड पर लेट कर सोने की कोशिश करने लगा। 
लेकिन कहते हैं कि जिसे चूत न मिली हो वो इंसान आराम से सो सकता है. लेकिन जिसे चूत मिलने वाली हो, उस इंसान की आँखों से नींद कोसों दूर रहती है।
बस यही हाल कुछ मेरा था।

रूपाली के बारे सोचते हुए घड़ी में ग्यारह बज गए थे लेकिन नींद और मेरा दूर-दूर तक कोई मेल नहीं था।
इसलिए मैंने बाथरूम जाकर एक और बार रूपाली को याद कर के लंड को हिलाया और वापस बेड पर लेट गया।
फिर पता नहीं कितनी देर बाद मुझे नींद आ गयी। 

सुबह मेरी आँख देर से खुली घड़ी की तरफ देखा तो आठ बज रहे थे।
मैं जल्दी से नहाकर तैयार हो गया, अपना बैग उठाया, बाइक स्टार्ट की और लहराते झूमते हुए रूपाली के घर की ओर चल पड़ा।

घड़ी में दिन के नौ बज रहे थे और मैं रूपाली के घर के बाहर खड़ा था।
मैंने रूपाली को आवाज दे कर बुलाना चाहा लेकिन उससे पहले रूपाली ने दरवाजा खोल दिया।
मुझसे मिलने के लिये वो भी उतनी ही उत्सुक थी जितना कि मैं!
शायद इसलिये वो दरवाजे के पास खड़ी मेरी राह देख रही थी।

मैंने एक नज़र उसकी ओर देखा।
बदन पर गहरे हरे रंग की साड़ी आँखों में हल्का सा काजल चेहरे पर न मात्र मेकअप होंठों पर नारंगी रंग की लिपस्टिक नाखूनों पर साड़ी के रंग से मेल खाती हुई नेलपोलिश … और सबसे ज्यादा मुख पर पिया मिलन की ख़ुशी … जिससे ये साफ़ जाहिर हो रहा था कि मुझे देख कर वो कितनी खुश है।

हल्की सी मुस्कान के साथ मौसी ने मुझे अंदर आने को आमंत्रित किया।
मैंने गांडी घर के अंदर खड़ी की और बैग को साइड में रख दिया।
जैसे ही रूपाली घर का मेनगेट बंद करके मेरी ओर मुड़ी, मैं उसके दोनों कंधों को अपने हाथों में थाम कर उसके चेहरे को अपलक देखने लगा।
जैसे ही वो कुछ बोलने वाली थी, मैंने आगे झुककर उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिए और उसके होंठों का रसास्वादन करने लगा।
शुरू में वो मेरा साथ नहीं दे रही थी, शायद घर का मेन गेट होने की वजह से वो थोड़ी असहज थी.

लेकिन समय के साथ शरीर के बढ़ते ताप और जोश की वजह से उसे भी अब खुद को रोक पाना मुश्किल हो रहा था इसलिए उसने भी दुनिया समाज को भूल कर मेरा साथ देना शुरू कर दिया।
अब कभी मैं उसके उपर वाले होंठ को चूसता तो वो मेरे नीचे वाले होंठ को अपने दांतों से खींचकर चूसने लगती।
कभी मैं उसके होंठ को जोर से चाटने लगता, तो कभी कभी हम दोनों एक दूसरे की जीभ को आपस में लड़ाते रहते और एक दूसरे की जीभ को मुख में भर कर खींचने की कोशिश करते।
अब हमारी लार एक दूसरे के गले को तृप्त कर रही थी।
उसके होंठ पर लगी हुई नारंगी रंग की लिपस्टिक अब लार के सहारे घुल कर हमारे पेट में अमृत की तरह पहुँच रही थी।
जिसकी वजह से उसके होंठों की पुरानी गुलाबी रंगत दिखने लगी थी जिसका मैं शुरू से कायल था। 

कई मिनट तक उसके होंठ को चूमने के बाद जब मैंने उसे खुद से अलग किया तो उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया था।
जिसकी वजह से वो मुझसे नजर भी नहीं मिला रही थी।

जैसे ही मैंने उसके माथे को चूमना चाहा तो और शर्मा कर अपने बेडरूम की तरफ भाग गयी।
फिर मैं आगे वाले कमरे में रखे सोफे पर बैठ गया। 

जैसे ही मैंने आगे बढ़कर उसके माथे को चूमना चाहा, वैसे ही रूपाली ने मेरा बैग उठाया और शर्मा कर हिरनी की तरह अपनी गोल गोल उठी हुई गांड मटकाते हुए अपने बेडरूम में घुस गई।
मैं बाहर वाले कमरे में पड़े सोफे पर बैठ कर उसके वापस आने की राह देखने लगा।
जब कुछ देर तक रूपाली बाहर नहीं आयी तो मैंने उसको आवाज दी- रूपाली इधर आओ!
रूपाली- जी, अभी आयी!

जब वो कमरे में आयी तो उसके हाथों में पानी का गिलास था जिसे उसने मेरी ओर बढ़ा दिया।
मैं- हर्ष कब तक कॉलेज से वापस आयेगा?
रूपाली- हर्ष तो कॉलेज गया ही नहीं।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: मौसी की चुदाई,मौसी से चुदाई - by neerathemall - 22-02-2024, 05:23 PM



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