22-02-2024, 04:24 PM
लंड अन्दर लेते ही मां ने अपनी टांगें चौड़ा दीं और मेरे नाम की सिसकारियां लेने लगीं- आंह विशुऊऊऊ अह आह!
मैं मां के ऊपर पूरा लेट गया और पूछा- क्या दर्द हो रहा है जान?
मेरी मां रज्जी- नहीं हम्म्म्म …
मैं- मजा आया!
मेरी मां रज्जी कुछ नहीं बोलीं और उन्होंने आंख बंद करके मेरी पीठ पर हाथ रख दिया.
मैं उनकी बांहों में समा गया और अपनी गांड आगे पीछे करते हुए मां की चुत में लंड के झटके देने लगा.
हम दोनों की चुदाई चालू हो गई.
चूंकि इस वक्त पूरे घर में मैं और मां ही थे और हम दोनों हॉल के बाजू वाले रूम में नीच बिस्तर बिछा कर चुदाई कर रहे थे.
हमारी तेज आवाजों से मस्ती गूंजने लगी थी जिसका डर हम दोनों को ही नहीं था.
मैं अपनी मां के ऊपर चढ़ कर उनकी चुत चुदाई कर रहा था.
मां ने मुझे अपनी बांहों में लिया हुआ था.
चुदाई के साथ साथ मैं और मां होंठों पर चूम चूस रहे थे.
मुझे उनके शरीर का मादक स्पर्श मिल रहा था जिससे मैं और अधिक उत्तेजित होकर अपनी मां की चुदाई करते टाइम ये भूल गया था कि आज मैं अपनी मां की चुदाई कर रहा हूँ.
मुझे लग रहा था कि मैं किसी रांड की चुदाई कर रहा हूँ.
हम एक दूसरे को किस करते जा रहे थे. मैं उनके दोनों हाथों की उंगलियों में अपनी उंगलियां फंसा कर उनके दोनों हाथों को ऊपर ले गया. तभी मुझे मां की बगलों से एक तेज पसीने की महक आई.
मैंने मां को किस करना छोड़ दिया और देखा कि मेरी मां के बगलों में घने बाल थे. जिस वजह से मां की बगलों में से कामुक महक आ रही थी.
मैं उनकी बगल चाटने और सूंघने लगा.
इससे मैं काफी उत्तेजित हो गया और जोर जोर से झटके मारने लगा.
मेरी मां रज्जी मेरा नाम लेते हुए मीठी सिसकारियां लेने लगीं- आंह विशूऊ आआह चोद दे … हम्मम ईईईई … जोर से पेल दे.
मैं मां को धकापेल चोदता रहा.
मां की चुत से पानी निकलने की वजह से मेरी और मां की चुत का इलाका पूरा भीग गया था.
इस कारण से चुदाई में छप छप की आवाज आने लगी थी.
हम दोनों मिशनरी पोजीशन में चुदाई का मजा लिए जा रहे थे.
करीब आधा घंटे के बाद मां फिर से झड़ गईं और मैं अभी भी अपनी मां को चोदे जा रहा था.
मेरा बुल्ला मां की चूत की गहराई में पूरा जाता और पूरा बाहर निकल कर फिर से अन्दर घुस जाता.
मैं इस वक्त अपनी मां की बहुत बढ़िया चुदाई कर रहा था.
उनकी उम्र हो जाने के बावजूद भी मां के अन्दर चुदाई की आग थी.
कुछ देर बाद मैं झड़ने को आ गया
Ò
और मैंने मां से कहा- रज्जी, मैं अन्दर झड़ रहा हूँ.
मेरी मां रज्जी मुझे मना करती रहीं लेकिन मैंने लंड का पूरा पानी उनकी चुत में छोड़ दिया.
हम दोनों एक दूसरे के ऊपर कुछ समय लेटे रहे.
मैं मां के ऊपर पूरा लेट गया और पूछा- क्या दर्द हो रहा है जान?
मेरी मां रज्जी- नहीं हम्म्म्म …
मैं- मजा आया!
मेरी मां रज्जी कुछ नहीं बोलीं और उन्होंने आंख बंद करके मेरी पीठ पर हाथ रख दिया.
मैं उनकी बांहों में समा गया और अपनी गांड आगे पीछे करते हुए मां की चुत में लंड के झटके देने लगा.
हम दोनों की चुदाई चालू हो गई.
चूंकि इस वक्त पूरे घर में मैं और मां ही थे और हम दोनों हॉल के बाजू वाले रूम में नीच बिस्तर बिछा कर चुदाई कर रहे थे.
हमारी तेज आवाजों से मस्ती गूंजने लगी थी जिसका डर हम दोनों को ही नहीं था.
मैं अपनी मां के ऊपर चढ़ कर उनकी चुत चुदाई कर रहा था.
मां ने मुझे अपनी बांहों में लिया हुआ था.
चुदाई के साथ साथ मैं और मां होंठों पर चूम चूस रहे थे.
मुझे उनके शरीर का मादक स्पर्श मिल रहा था जिससे मैं और अधिक उत्तेजित होकर अपनी मां की चुदाई करते टाइम ये भूल गया था कि आज मैं अपनी मां की चुदाई कर रहा हूँ.
मुझे लग रहा था कि मैं किसी रांड की चुदाई कर रहा हूँ.
हम एक दूसरे को किस करते जा रहे थे. मैं उनके दोनों हाथों की उंगलियों में अपनी उंगलियां फंसा कर उनके दोनों हाथों को ऊपर ले गया. तभी मुझे मां की बगलों से एक तेज पसीने की महक आई.
मैंने मां को किस करना छोड़ दिया और देखा कि मेरी मां के बगलों में घने बाल थे. जिस वजह से मां की बगलों में से कामुक महक आ रही थी.
मैं उनकी बगल चाटने और सूंघने लगा.
इससे मैं काफी उत्तेजित हो गया और जोर जोर से झटके मारने लगा.
मेरी मां रज्जी मेरा नाम लेते हुए मीठी सिसकारियां लेने लगीं- आंह विशूऊ आआह चोद दे … हम्मम ईईईई … जोर से पेल दे.
मैं मां को धकापेल चोदता रहा.
मां की चुत से पानी निकलने की वजह से मेरी और मां की चुत का इलाका पूरा भीग गया था.
इस कारण से चुदाई में छप छप की आवाज आने लगी थी.
हम दोनों मिशनरी पोजीशन में चुदाई का मजा लिए जा रहे थे.
करीब आधा घंटे के बाद मां फिर से झड़ गईं और मैं अभी भी अपनी मां को चोदे जा रहा था.
मेरा बुल्ला मां की चूत की गहराई में पूरा जाता और पूरा बाहर निकल कर फिर से अन्दर घुस जाता.
मैं इस वक्त अपनी मां की बहुत बढ़िया चुदाई कर रहा था.
उनकी उम्र हो जाने के बावजूद भी मां के अन्दर चुदाई की आग थी.
कुछ देर बाद मैं झड़ने को आ गया
Ò
और मैंने मां से कहा- रज्जी, मैं अन्दर झड़ रहा हूँ.
मेरी मां रज्जी मुझे मना करती रहीं लेकिन मैंने लंड का पूरा पानी उनकी चुत में छोड़ दिया.
हम दोनों एक दूसरे के ऊपर कुछ समय लेटे रहे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.