22-02-2024, 04:04 PM
(22-02-2024, 03:53 PM)neerathemall Wrote:मैंने मां की दोनों टांगों को थोड़ा और खोल दिया, जिसके कारण उनकी चूत पूरी तरह खुल गई थी.
मैं अपनी मां रज्जी से बोला- रज्जी, अपने हाथों से अपनी टांगें पकड़ कर ऊपर ले लो.
उन्होंने अपनी दोनों टांगें पेट पर खींच लीं.
मैंने मेरा बुल्ला अपने हाथ में पकड़ा और मां की चुत में लंड का सुपारा फेर दिया ताकि मां की चूत से निकलने वाली चिकनाई मेरे लौड़े के सुपारे पर लग जाए और चुदाई में मजा आ जाए.
मां की चुत की चिकनाई से मेरा बुल्ला भीग गया.
मैंने अपनी मां रज्जी से कहा- डालूं जान?
मेरी मां रज्जी- आंह विशु, आराम से डालना.
मैंने अपना बुल्ला मां की चूत पर रख कर धीरे से दबा दिया और मेरा बुल्ला आराम से उसकी चूत में घुस गया.
मेरे लंड की झांटें और मेरी मां की झांटों में लड़ाई होने लगी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.