22-02-2024, 03:32 PM
मैं दोनों हाथों से अपनी मां रज्जी की पैंटी निकालने लगा.
वो अपनी कमर उठाकर मुझे साथ देने लगीं.
मैंने उनकी पैंटी निकाल कर ऊपर बेड पर रख दी.
आज मैं अपनी मां रज्जी की चूत को पहली बार देख रहा था.
उन्होंने अपने पैर पूरी तरह से खोलकर मेरी गांड पर रखे हुए थे.
मैं देख रहा था कि मां की चूत पर काफी घनी झांटें थीं पर टांगें खोलने की वजह से उनकी चूत की दरार खुली हुई थी.
उनकी चूत काफी गदरायी हुई और खुली हुई थी.
चॉकलेटी कलर की उनकी चूत की एकदम फैली हुई थी और फांकें दूर दूर थीं.
उनकी चूत का छेद आसानी ने नजर आ रहा था.
मेरी मां की चुत ने चार चार बच्चों को पैदा किया था और मेरे पापा अभी भी उनसे खुल कर चुदाई के मजे लेते थे.
ये बात उन्होंने खुद मुझे बताई थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.