22-02-2024, 03:26 PM
वो किसी पहलवान की तरह अपनी कमर पर हाथ रखती हुई बोलीं- आ जा अब नीचे हो जाए!
मैं- बैठे बैठे करने में तुम्हें प्रॉब्लम तो नहीं होगी ना!
मेरी मां रज्जी- नहीं, आप मेरे ऊपर चढ़ कर करो.
वो नीचे लेट गईं और अपनी टांगें खोलकर मुझसे अपनी चुत चुदाई का इशारा देने लगीं.
मैंने खड़े होकर अपनी फ्रेंची निकाल दी और लंड हिला दिया.
मेरी मां रज्जी, मेरे खड़े लौड़े को बाहर निकलता देख कर एक मादक सिसकारी लेती हुई बोलीं- आह कितना सॉलिड लंड है आपका.
मैं नीचे बैठ गया और मां के चिकने पैरों को पकड़ कर फैला दिए.
मेरी मां की पैंटी थोड़ी भीगी हुई थी, उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया था शायद.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.