22-02-2024, 03:18 PM
(This post was last modified: 22-02-2024, 03:23 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मैं उनका पूरे बदन अपने आगोश में लेने लगा. मैं और मेरी मां काम के नशे में डूबने लगे.
मैंने उनकी ब्रा खोल दी … वो मुझे चूमे जा रही थीं.
‘आआह विशुऊऊऊ …’ वो सीत्कार कर रही थीं और मैं ‘ओ राआजे मेरी जान आआह मेरी शोनाआआ …’ कह रहा था.
फिर मैंने मां को थोड़ा अलग किया और उनके मम्मों को दबाने लगा. उनके मम्मे हाथों में लेकर भींचने लगा.
मेरी मां के दूध लटके हुए थे और काफी नर्म थे. क्यों न होते … क्योंकि मेरी मां अब जवान नहीं थीं.
मैं उनके दोनों मम्मे बारी बारी से अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और उन पर दांत गड़ा कर काटने लगा.
वो आंख बंद करके मादक सिसकारियां लेने लगीं.
थोड़ी देर दूध चूसने के बाद हम दोनों ने वापस हगिंग और किसिंग की और एक दूसरे को मसलने लगे.
मुझे और रज्जी को ये भी याद नहीं था कि बाहर क्या चल रहा है.
हम दोनों बस एक दूसरे के आगोश में समाए हुए प्यार कर रहे थे.
मेरी मां रज्जी ने मेरी पूरी पीठ पर अपने नाखूनों से खरोंच कर निशान बना दिए थे.
हमारे बीच ये खेल करीब आधा घंटे से चल रहा था. हम दोनों उत्तेजित हो चुके थे और अब हम दोनों से ही रहा नहीं जा रहा था.
मैंने मां की आंखों में देख कर कहा- जान, मुझे अन्दर करना है.
मेरी मां रज्जी- हां जान, अब मुझसे भी रहा नहीं जा रहा है.
मैं- तो उठो और बेड पर लेट जाओ.
मेरी मां रज्जी- जानू, हम इस बेड पर नहीं कर पाएंगे, इधर जगह कम है.
ये कह कह मां ने एक दरी और तकिया नीचे बिछा दिया.
वो किसी पहलवान की तरह अपनी कमर पर हाथ रखती हुई बोलीं- आ जा अब नीचे हो जाए!
मैं- बैठे बैठे करने में तुम्हें प्रॉब्लम तो नहीं होगी ना!
मेरी मां रज्जी- नहीं, आप मेरे ऊपर चढ़ कर करो.
वो नीचे लेट गईं और अपनी टांगें खोलकर मुझसे अपनी चुत चुदाई का इशारा देने लगीं.
मैंने उनकी ब्रा खोल दी … वो मुझे चूमे जा रही थीं.
‘आआह विशुऊऊऊ …’ वो सीत्कार कर रही थीं और मैं ‘ओ राआजे मेरी जान आआह मेरी शोनाआआ …’ कह रहा था.
फिर मैंने मां को थोड़ा अलग किया और उनके मम्मों को दबाने लगा. उनके मम्मे हाथों में लेकर भींचने लगा.
मेरी मां के दूध लटके हुए थे और काफी नर्म थे. क्यों न होते … क्योंकि मेरी मां अब जवान नहीं थीं.
मैं उनके दोनों मम्मे बारी बारी से अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और उन पर दांत गड़ा कर काटने लगा.
वो आंख बंद करके मादक सिसकारियां लेने लगीं.
थोड़ी देर दूध चूसने के बाद हम दोनों ने वापस हगिंग और किसिंग की और एक दूसरे को मसलने लगे.
मुझे और रज्जी को ये भी याद नहीं था कि बाहर क्या चल रहा है.
हम दोनों बस एक दूसरे के आगोश में समाए हुए प्यार कर रहे थे.
मेरी मां रज्जी ने मेरी पूरी पीठ पर अपने नाखूनों से खरोंच कर निशान बना दिए थे.
हमारे बीच ये खेल करीब आधा घंटे से चल रहा था. हम दोनों उत्तेजित हो चुके थे और अब हम दोनों से ही रहा नहीं जा रहा था.
मैंने मां की आंखों में देख कर कहा- जान, मुझे अन्दर करना है.
मेरी मां रज्जी- हां जान, अब मुझसे भी रहा नहीं जा रहा है.
मैं- तो उठो और बेड पर लेट जाओ.
मेरी मां रज्जी- जानू, हम इस बेड पर नहीं कर पाएंगे, इधर जगह कम है.
ये कह कह मां ने एक दरी और तकिया नीचे बिछा दिया.
वो किसी पहलवान की तरह अपनी कमर पर हाथ रखती हुई बोलीं- आ जा अब नीचे हो जाए!
मैं- बैठे बैठे करने में तुम्हें प्रॉब्लम तो नहीं होगी ना!
मेरी मां रज्जी- नहीं, आप मेरे ऊपर चढ़ कर करो.
वो नीचे लेट गईं और अपनी टांगें खोलकर मुझसे अपनी चुत चुदाई का इशारा देने लगीं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.