22-02-2024, 10:24 AM
उठ कर खड़ा हो गया और मां से बोला- मुझे माफ कर दो मां, मुझसे गलती हो गई.
मां के सामने मैं हाथ जोड़ने लगा.
फिर किसी तरह मैंने मां को मना लिया.
वो लेट गईं और थोड़ी देर में गहरी नींद में सो गईं.
मैं दीवार के पास एक कोने में बैठ कर सो गया.
करीब 4:30 बजे मां ने मुझे आवाज दी.
इससे मेरी आंख खुल गई.
उन्होंने मुझसे मोबाईल का फ़्लैश चालू करके मांगा.
मैंने उन्हें दे दिया.
अभी भी लाइट नहीं आई थी, इसलिए अंधेरा था.
मां उठ कर जाने लगीं.
मैंने कहा- आप कहां जा रही हो मां?
मां- टॉयलेट.
मैं फिर से सो गया.
थोड़ी देर बाद मां ने मुझे आवाज दी- विशाल.
मेरी आंख खुल गई और मैंने उनकी तरफ देखा.
मां के सामने मैं हाथ जोड़ने लगा.
फिर किसी तरह मैंने मां को मना लिया.
वो लेट गईं और थोड़ी देर में गहरी नींद में सो गईं.
मैं दीवार के पास एक कोने में बैठ कर सो गया.
करीब 4:30 बजे मां ने मुझे आवाज दी.
इससे मेरी आंख खुल गई.
उन्होंने मुझसे मोबाईल का फ़्लैश चालू करके मांगा.
मैंने उन्हें दे दिया.
अभी भी लाइट नहीं आई थी, इसलिए अंधेरा था.
मां उठ कर जाने लगीं.
मैंने कहा- आप कहां जा रही हो मां?
मां- टॉयलेट.
मैं फिर से सो गया.
थोड़ी देर बाद मां ने मुझे आवाज दी- विशाल.
मेरी आंख खुल गई और मैंने उनकी तरफ देखा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.