21-02-2024, 01:21 PM
इसी बीच मैंने अपनी ब्रा खोल दी तो मेरी चूचियाँ हनीफ के आगे एकदम नंगी हो गईं।
मैं लण्ड मुंह में डाल कर चूसने लगी।
मुझे लण्ड चूसने का पूरा मज़ा आने लगा।
मैंने कहा- हनीफ, आज से तू मेरा नया यार है। मैं तेरे लण्ड की दीवानी हो गई हूँ।
वह भी मूड में आ गया और मेरे मम्मे मसलने लगा, बोला- आंटी, तेरे मम्मे बहुत बड़े बड़े हैं। मैं इनके बीच में लण्ड पेल दूँ अपना?
मैंने कहा- हां बिल्कुल पेल ड़े लण्ड। खूब मस्ती से चोद मेरे मम्मे!
मैं नंगी सोफा पर बैठ गयी और उसने खड़े होकर लण्ड मेरी दोनों चूचियों के बीच में घुसेड़ दिया।
मैंने भी अपने दोनों हाथों से बूब्स दबाकर लण्ड के लिए सुरंग बना दी।
फिर क्या … वह बार बार इसी सुरंग में लंड पेलने लगा और मैं हर बार उसका सुपारा चाटने लगी।
मुझे अपने बूब्स चुदवाने का पूरा मज़ा मिलने लगा।
मैं बहुत खुश थी क्योंकि मैं जो चाहती थी, वही हो रहा था।
कुछ देर में ही वह झड़ गया.
और तब मैंने पहली बार उसका झड़ता हुआ लण्ड चाटा तो उसे बहुत अच्छा लगा।
मैंने कहा- यार, तेरा लण्ड बड़ा स्वादिष्ट है हनीफ! अब अगली बार आना तो पेलना मेरी चूत में लण्ड और चोदना अपने दोस्त की माँ का भोसड़ा!
वह चला गया और मैं चुदाई का प्लान बनाने लगी।
फिर मैंने हनीफ की अम्मी सकीरा से बात की और दोपहर में उसके घर पहुँच गयी।
सकीरा मेरी पुरानी सहेली है।
उसने मुझे बड़े प्यार और अदब से बैठाया।
फिर हम दोनों बातें करने लगीं।
बातों बातों वह बोली- यार सबीना, तेरे बेटे आदिल का लण्ड तो बहुत बड़ा है.
मैंने पूछा- तूने क्या पकड़ कर देखा है उसका लण्ड?
उसने कहा- हां पकड़ कर देखा है, तभी तो बता रही हूँ।
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मैं लण्ड मुंह में डाल कर चूसने लगी।
मुझे लण्ड चूसने का पूरा मज़ा आने लगा।
मैंने कहा- हनीफ, आज से तू मेरा नया यार है। मैं तेरे लण्ड की दीवानी हो गई हूँ।
वह भी मूड में आ गया और मेरे मम्मे मसलने लगा, बोला- आंटी, तेरे मम्मे बहुत बड़े बड़े हैं। मैं इनके बीच में लण्ड पेल दूँ अपना?
मैंने कहा- हां बिल्कुल पेल ड़े लण्ड। खूब मस्ती से चोद मेरे मम्मे!
मैं नंगी सोफा पर बैठ गयी और उसने खड़े होकर लण्ड मेरी दोनों चूचियों के बीच में घुसेड़ दिया।
मैंने भी अपने दोनों हाथों से बूब्स दबाकर लण्ड के लिए सुरंग बना दी।
फिर क्या … वह बार बार इसी सुरंग में लंड पेलने लगा और मैं हर बार उसका सुपारा चाटने लगी।
मुझे अपने बूब्स चुदवाने का पूरा मज़ा मिलने लगा।
मैं बहुत खुश थी क्योंकि मैं जो चाहती थी, वही हो रहा था।
कुछ देर में ही वह झड़ गया.
और तब मैंने पहली बार उसका झड़ता हुआ लण्ड चाटा तो उसे बहुत अच्छा लगा।
मैंने कहा- यार, तेरा लण्ड बड़ा स्वादिष्ट है हनीफ! अब अगली बार आना तो पेलना मेरी चूत में लण्ड और चोदना अपने दोस्त की माँ का भोसड़ा!
वह चला गया और मैं चुदाई का प्लान बनाने लगी।
फिर मैंने हनीफ की अम्मी सकीरा से बात की और दोपहर में उसके घर पहुँच गयी।
सकीरा मेरी पुरानी सहेली है।
उसने मुझे बड़े प्यार और अदब से बैठाया।
फिर हम दोनों बातें करने लगीं।
बातों बातों वह बोली- यार सबीना, तेरे बेटे आदिल का लण्ड तो बहुत बड़ा है.
मैंने पूछा- तूने क्या पकड़ कर देखा है उसका लण्ड?
उसने कहा- हां पकड़ कर देखा है, तभी तो बता रही हूँ।
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
