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Adultery रंगीली बीबी
#14
मैं जब रसोई में गया तो सलोनी नीचे झुकी हुई कोई सामान निकाल रही थी। आज वो ना जाने क्यों इस समय दुनिया की सबसे ज्यादा सेक्सी औरत लग रही थी। एक पूरी नंगी, मस्त मस्त अंगों वाली नारी जब झुकी हो तो पीछे से उसके नंगे चूतड़ और उसके दोनों भाग से झांकती उसकी सबसे सुन्दर चूत ! क्या बताऊँ दोस्तो, कितना जबर्दस्त दृश्य था। मैंने अपनी लुंगी वहीं खोली और पीछे से उसको जकड़ लिया। उसने बड़े आश्चर्य से पीछे घूमकर देखा, क्योंकि ऐसी अवस्था में शायद यह सब काफी समय बाद हुआ था। शादी के 6 महीने या एक साल तक तो मैं ऐसा सब रोमांस करता भी था मगर तब सलोनी घर पर इस तरह नंगी भी नहीं रहती थी। मगर जब वो इतना खुली रहने लगी तो मैं अपने बिज़नस में व्यस्त हो गया।
इसीलिए उसने मुझे इस तरह देखा मगर वो इतनी ज्यादा प्यारी है कि उसने कुछ नहीं कहा बल्कि मेरे लण्ड पर अपने सेक्सी चूतड़ को हिलाकर कहा- “क्या हुआ? आ तो रही हूँ…”
मैं- “क्या कर रही हो मेरी जान? बहुत देर लगा दी”
सलोनी- “बस आपके लिए केसर दूध और कुछ ड्राई फ्रूट तल रही थी”
मैं- “वाह जान… मजा आ जायगा, क्या कुछ मीठा भी है घर पर…” मैंने साइड खिड़की को खोलते हुए कहा…
हमारी रसोई की एक तरफ एक छोटी खिड़की है जो बाहर गैलरी में खुलती है। वहाँ कॉलोनी के पीछे वाले रास्ते की सीढ़ी हैं तो दिन में ही वहाँ आना जाना होता हैऔर वो भी बहुत कम ! गर्मी में वो खिड़की खुली ही रहती है, पहले मैं ही बंद कर देता था कि सलोनी रसोई में कुछ कम कपड़ों में काम करती थी तो कोई देखे ना… मगर आज ना जाने किस बात से प्रेरित हो मैंने ही वो खिड़की खोल दी थी। और वो भी तब जब मैं और सलोनी दोनों ही रसोई मैं पूरे नंगे थे… दोनों के शरीर पर एक कपड़ा नहीं था.. मैं सलोनी से रोमांस भी कर रहा था… ऐसे में कोई हमको देख लेता तो शायद उसका पजामा गीला हो जाता। मूत से नहीं बल्कि…हा हा हा… मेरे खिड़की खोलने पर भी सलोनी ने कुछ नहीं कहा, बल्कि हामी भरी…
सलोनी- “अहा… कितनी गर्मी हो गई है ना… अच्छा किया आपने… घुटन कुछ कम होगी…”
मैंने उसको अपनी ओर करके उसके लाल रसीले लबों को अपने होठों में दबा लिया… सलोनी ने भी अपने होंठों को खोलकर और उचककर मेरे चुम्बन का जबाब दिया… सलोनी की पीठ खिड़की की ओर थी और वो आँखें बंद कर मेरे चुम्बन में व्यस्त थी… मेरे हाथ उसकी नग्न चिकनी पीठ से फिसलते हुए उसके चूतड़ों तक पहुँच गए… तभी एक पल के लिए मेरी आँख खुली… वैसे तो बाहर पूरा अँधेरा था… मगर मुझे एक पल को लगा की जैसे कोई वहाँ खड़ा है ! क्योंकि मुझे सिगरेट की चिंगारी जलती नजर आई… कौन है वो..??.. सलोनी मेरी बाहों में एक बेल की तरह लिपटी थी बिल्कुल नंगी, उसका गोरा, संगमरमरी जिस्म रसोई की दूधिया रोशनी में चमक रहा था। और ये सब हमारी रसोई की खिड़की से कोई बावला देख रहा था। मुझे नहीं पता कि वो कौन है, हाँ यह निश्चित था कि कोई तो है… मैंने दो तीन बार सिगरेट जलती, बुझती देखी.. इस समय उसने सिगरेट अपने हाथों के पीछे की हुई थी… और वो साइड में होकर… झुककर देख रहा था। सलोनी ने होने होंठ अब मेरे गर्दन पर रगड़ते हुए मेरे कानों के निचले भाग पर पहुँचने की कोशिश की… वाकई सेक्स के मामले में वो जबरदस्त थी, उसकी इस कोशिश से मेरा लण्ड पूरा खड़ा होकर उसकी चूत पर टकराने लगा। बहुत गरम और मस्त अहसास था… मेरा लण्ड ज्यादा बड़ा तो नहीं, परन्तु 5.5 से 6 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा होगा। खड़ा होने पर उसकी आगे की खाल खुद ऊपर हो जाती है और मोटा सुपारा बाहर आ जाता था, वो इस समय सलोनी की कसी हुई प्यारी चूत को छू रहा था।
तभी मेरे मन ने सोचा कि क्या सलोनी को इस आदमी के बारे में बताया जाये… मेरे दिल ने कहा- ‘अरे… यही तो मौका है उसके दिल में खुद को सेक्स के मामले में बड़ा दिखाने का और आगे खुलकर मस्ती करने का…’ बस मैंने सलोनी को और कसकर अपनी बाहों में जकड़ा और अपना सीधा हाथ से उसका सर और बाएं हाथ से चूतड़ सहलाते हुए मैं बहुत धीरे से उसके कान में फुसफुसाया- “जान… मुझे लग रहा है कि खिड़की से कोई हमको देख रहा है”
अचानक सलोनी ने कसमसाकर मेरी बाहों से निकलने की कोशिश करने लगी… उसकी हरकतों से साफ़ लगा कि वो अपने नग्न जिस्म को छुपाना चाह रही है.. मैं फिर फुसफुसाते हुए- “शांत रहो जान, मुझे देखने दो कि वो कौन है…”
सलोनी- “पर मैं नंगी हूँ…”  वो मुझसे भी धीमी आवाज में मेरे कान में बोली।
‘हाँ’ आश्चर्य रूप से उसका बदन शांत हो गया था अब उसमें खुद को छुपाने की जल्दबाजी नहीं थी।
मैंने वैसे ही उसको चिपकाये हुए उसको कहा- “तो क्या हुआ जान, उसने तो हमको देख ही लिया है… अब जरा मैं भी तो देखूँ कि यह साला है कौन… तुम ऐसा करो वैसे ही प्यार करते हुए थोड़ा खिड़की के पास को खिसको… वो शायद थोड़ा साइड में है… और ऐसे जाहिर करना कि हमको कुछ नहीं पता…”
मुझे कुछ अंदेशा सा था… मगर मेरी सारी आशाओं से विपरीत सलोनी पहले से भी ज्यादा कामुक तरीके से मेरे से लिपट गई… और उसने मेरी गर्दन में दांतों को गड़ाते हुए अपनी चूत को और भी तेजी से मेरे लण्ड पर लगड़ा और खिसकते हुए अपनी पतली सेक्सी कमर घुमाते हुए बहुत धीरे धीरे… खिड़की की ओर बढ़ने लगी… मैं भी उसके साथ लिपटा हुआ आगे हो रहा था… उसकी इस अदा मैं कुर्बान हो गया था…
ओह माय गॉड… यह क्या… मेरे लण्ड के टॉप ने सलोनी के चूत का गीलापन तो पहले ही पता चल रहा था मगर एक बार खिसकने में…मेरा लण्ड उसकी चूत के गर्म छेद से टिक गया… और तभी उसके सुपाड़े पर सलोनी की चूत का ढेर सारा पानी गिर गया…
यह क्या ! जो मेरी जान कई धक्कों के बाद और कभी कभी तो मेरे झड़ने के बाद भी अशांत रहती थी.. आज मेरे लण्ड को घुसाये बिना… केवल लण्ड के छुअन से ही धराशायी हो गई थी… यह उसका आज का पारस का प्यार… या मेरा ऐसा प्यार करने का तरीका तो नहीं हो सकता… यह जरूर एक ऐसा एहसास था कि कोई उसको नंगी अवस्था में ऐसे चुदाई करते देख रहा है…
वाह… दोस्तो… इस तरह के सेक्स ने यहाँ हमारे जीवन में अचानक ही एक नया मोड़ ला दिया था… सलोनी के चूत के पानी ने मेरे लण्ड को और भी जोश में ला दिया था… मगर आश्चय यह था कि झड़ने के बाद भी सलोनी के जोश में रत्ती भर भी कमी नहीं आई थी… अब हम खिड़की के काफी निकट थे…
अब हम कुछ नहीं बोल रहे थे क्योंकि हमारी आवाज वो सुन सकता था… सलोनी मेरी किसी हरकत का कोई विरोध नहीं कर रही थी… मैंने उसको खिड़की की पास वाली स्लैब को पर बैठा दिया… पर वो अचानक उतर गई…
सलोनी- “नीचे ठंडा लग रहा है जान…”
मैं- “तो क्या हुआ जान, आओ अभी खूब गर्म कर दूंगा…”
मैंने उसको खिड़की की ओर घुमाकर नीचे बैठ गया और उसके मखमली चूतड़ को अपनी लम्बी जीभ से चाटने लगा..
अब सलोनी पूरी नंगी खिड़की की ओर मुँह करके खड़ी थी… वो खिड़की के इतने निकट थी कि उसका एक एक अंग बाहर वाले आदमी को दिख रहा होगा… मगर सलोनी को इस सब के एहसास ने और भी कामुक बना दिया था… वो किसी बात को मना नहीं कर रही थी।
मेरी जीभ जैसे ही उसकी चूत वाले भाग पर पहुँची… वहाँ की चिकनाई और गर्माहट देख मैं समझ गया कि सलोनी बहुत रोमांचित है… मैंने पिछले 3 सालों में एक बार भी उसके इस भाग में इतना रस महसूस नहीं किया था… मैंने सोच लिया कि आज अपनी यह चुदाई मैं यहीं रसोई में ही पूरी करूँगा… और बाहर वाले अजनबी का कोई ख्याल नहीं करूँगा… चाहे वो पूरा देखे… या कुछ हो… मैं पीछे से सलोनी के चूतड़ों को चाटता हुआ उसके दोनों भागों को हाथ से खोल सलोनी की गुलाबी दरार पर अपनी जीभ फिराते हुए उसके सुरमई छेद को अपनी जीभ की नोक से कुरेदने लगा।

“आअह्ह्ह्हा… आआआआआ ह्ह्ह्ह्हा… आआआ…” - सलोनी ने जोर से सिसकारी ली… उसका मुँह पूरी तरह खिड़की की तरफ था।
हम खिड़की से मात्र कुछ इन्च की दूरी पर ही थे। सलोनी ने एक हाथ स्लैब पर रखा था और दूसरे हाथ से अपने मम्मों को मसल रही थी…
मैं अपनी जीभ को उसकी चूत की ओर ले जाते हुए केवल यह सोच रहा था कि उस बेचारे का क्या हाल हो रहा होगा… उसको सलोनी की चूची वो भी उसके द्वारा खुद मसलती हुई न जाने कैसी लग रही होंगी… और इस समय तो उसको सलोनी की चूत भी साफ़ दिखाई दे रही होगी… वो भी मचलती हुई… क्योंकि सलोनी लगातार अपनी कमर घुमा रही थी… तभी मैंने अपनी जीभ उसकी रस से भरी हुई चूत में घुसेड़ दी…
सलोनी- “आआआऔऊऊऊऊऊऊह… क्या करते हो डॉलिंग..”
मैंने एक और काम किया… पता नहीं आज इस साले दिमाग में आईडिया भी कहाँ से आ रहे थे… मैंने सलोनी के दाएं पैर को उठा अपनी गोद में रख लिया… जिससे उसके दोनों पैरों में अच्छा खासा गैप बन गया… उसकी चूत पीछे से तो खुल गई… जिससे मेरी जीभ आसानी से उसको छेड़ने लगी… मगर मैं सोच रहा था कि सामने से उसकी चूत कितनी खिली हुई दिख रही होगी… कमाल तो यह था कि सलोनी को पता था कि वो अजनबी आदमी ठीक उसके सामने खड़ा है… पर वो बिना किसी रूकावट के चूत चटवाते हुए सिसकारियाँ भर रही थी… करीब दस मिनट तक उसकी चूत का सारा रस चाटने के बाद मैंने फिर से उठकर उसको चूमा और उसका मुँह नीचे अपने लण्ड की ओर कर दिया… बस एक बार सलोनी ने अपनी आँखों के इशारे से मना सा करते हुए खिड़की ओर देखा… परन्तु जैसे ही मैंने उसको फिर से नीचे झुकाया, वो अपने घुटनों पर बैठ गई और मेरे लण्ड को अपने हाथों से पकड़ अपनी गीली जीभ बाहर निकाल चाटने लगी… और फ़िर कुछ ही देर में लण्ड को मुँह में पूरा लेकर चूसने लगी..
मैं- “अह्ह्ह्हा… आआआ… आआअ… ऊऊओ…”, मजा लेते हुए मैंने उसकी ओर देखा तो वो तिरछी नजरों से खिड़की की ओर देख रही थी…
एक तो बला की खूबसूरत, पूरा नंगा जिस्म वो भी सेक्सी तरीके से लण्ड चूसते हुए… तिरछी नजर से किसी अजनबी को ढूंढते हुए वो क्या मस्तानी दिख रही थी… मैंने भी उसका अनुसरण करते हुए उधर बिना किसी प्रतिक्रिया के खिड़की से बाहर को देखा… अर्रर… अई… ईईईए… यह क्या… वो महाशय तो बिल्कुल खिड़की से निकट खड़े थे… वो अब खिड़की से बाहर जाती रोशनी की जद में थे… तो आसानी से दिख गए… जरूर सलोनी को भी नजर आ गए होंगे… मगर उसने अपना कार्य लण्ड चुसाई में कोई रुकावट नहीं डाली… बल्कि मेरे लण्ड को अपने ही थूक से और भी गीला किया और भी मस्ती से चूसने लगी… सेक्स उसके सर चढ़कर बोल रहा था… मैं खड़ा था तो मुझे उस आदमी का निचला भाग ही दिख रहा था… उसने अपना पजामा नीचे खिसकाया हुआ था और हाथ से लण्ड को मसल रहा था या फिर मुठ मार रहा था।
माई गॉड… आज एक अजनबी आदमी मेरे सामने मेरी ही नंगी बीवी को देख मुठ मार रहा है… और उसको देख मेरे लण्ड भी लावा उगलने जैसा हो गया…
मैंने जल्दी से उसके मुँह से अपना लण्ड बाहर खींच लिया और अब चुदाई के बारे में सोचने लगा कि कैसे चोदूँ सलोनी को कि हम दोनों को भी मजा आये और उसको भी, जो बेचारा बाहर हाथ से लगा है… हमारी यह चुदाई शायद सबसे ज्यादा रोमांचित कर वाली और मेरी अब तक की सबसे बढ़िया चुदाई होने वाली थी। छुपकर और छुपाकर ना जाने कैसे-कैसे चुदाई की थी मगर इस तरह की अपने ही घर पर अपनी ही सेक्सी बीवी को रसोई में पूरी नंगी करके एक अजनबी मर्द के सामने लाइव शो करते हुए इस तरह चोदना मुझे बहुत ही उत्तेजित कर रहा था… मैंने जल्दी न झरने के कारण गप्प की आवाज के साथ अपना लण्ड उसके मुँह से निकाल लिया… सलोनी बड़े ही सेक्सी निगाहों से मुझे देखती हुई खड़ी हो गई..
उसके बाएं हाथ में मेरा लण्ड अभी भी खेल रहा था… उसने मेरे को ऐसे देखा कि अब क्या…?
मैंने बाएं हाथ से उसकी चूत को दो उंगलियों से बड़े प्यार से सहलाते हुए चोदने का इशारा दिया… उसने मेरे लण्ड को अपने मुलायम हाथ से आगे से पीछे तक पूरे लण्ड पर फिराते हुए, अपनी बड़ी-बड़ी झील जैसी आँखों को नचाया जैसे पूछ रही हो कि ‘कहाँ और कैसे…?’

मैंने उसके होंठो पर एक जोरदार चुम्मा लेते हुए उसे कहा- “जान आज एक नया रोमांच करते हैं क्यों ना यहीं किचन में ही चुदाई करें…?”
सलोनी- “नहीं जानू, चलो ना बेडरूम में चलते हैं, वहीं चोदना आप अपनी जानू को…”
मैंने फिर से उसके होंठों को अपने होंठों में दबा लिया… वो लगातार मेरे लण्ड को सहलाकर अपनी चुदाई का इन्तजार कर रही थी…
मैं- “अरे नहीं जान, यहीं चोदेंगे हम आज तो अपनी सलोनी की नन्ही सी बुर को…”
सलोनी- “अच्छा ठीक है, फिर खिड़की बंद कर दो… यहाँ रोशनी है तो कोई बाहर से देख सक्ता है ना…”
तभी हम दोनों को लगा जो खिड़की के बहुत पास खड़ा था… वो थोड़ा खिसक कर पीछे को हो गया.. मुझे सलोनी के चेहरे पर एक सेक्सी मुस्कराहट नजर आई… अब मैंने उसको स्लैब की ओर इशारा किया… वा… सलोनी ने खुद चुदाई का तरीका ढूंढ लिया था.. वैसे भी यह उसका पसन्दीदा तरीका था… वो बिल्कुल खिड़की के पास ही स्लैब पर दोनों हाथ टिकाकर अपने सेक्सी चूतड़ों को उठाकर झुककर खड़ी हो हो गई… उसका पिछला हिस्सा चीख-चीख कर कह रहा था कि आओ इनमें से किसी भी छेद में अपना लण्ड डाल दो… बस मैंने कुछ नहीं सोचा…और उसकी पतली कमर पर दोनों हाथ टिकाकर उसे दबाते हुए अपना तना हुआ लण्ड उसके पीछे से चिपका दिया… और मैं खिड़की के बाहर उस शख्स को ढूंढ़ने की कोशिश करने लगा जो शायद एक साइड में ही खड़ा था… तभी सलोनी खुद ही अपने सीधे हाथ को नीचे अपनी जांघो के बीच ले गई… और थोड़ा सा झुककर मेरे लण्ड को पकड़ अपने चूत के छेद के मुहाने पर रख अपनी उंगली के नाखून से लण्ड को दबाया… जो मेरे लिए धक्का लगाने का संकेत था… तभी मुझे वो जनाब भी दिख गए… वो बहुत मजे से बिल्कुल कोने में खड़े खिड़की की जाली से पूरा मजा ले रहे थे… उसकी नजर मेरी ओर नहीं थी, वो सीधे सलोनी की चूत को बदस्तूर घूर रहे थे… बस यही वो समय था जब मैंने अपनी कमर को एक झटका दिया…
‘हाआप्प्प्प्प…’ की आवाज के साथ मेरे लण्ड का सुपारा चूत में चला गया… सलोनी ने हल्की सी सिसकारी के साथ अपने चूतड़ और भी ज्यादा पीछे को उभार दिए… मैंने इस बार थोड़ा और तेज धक्का लगाया और पूरा लण्ड उसकी चूत में समां गया…
सलोनी- “अहा !”
अब मैंने सलोनी की ओर देखा, साधारणतया वो बहुत तेज सिसकारी लेती है… मगर आज केवल अहा..? ऐसा नहीं कि दर्द के कारण वो ऐसा करती हो… बल्कि उसको बेडरूम में चुदाई के समय सेक्सी आवाजें निकलने अच्छा लगता था… और वो यह भी अच्छी तरह जानती थी कि इस तरह की आवाजों से उसका साथी ज्यादा उत्तेजित हो और भी तेज धक्के लगाकर चुदाई करता है… मगर आज हल्की आवाज का कारण वो आदमी था.. मैंने देखा सलोनी बिना पलक झपकाए उसको देख रही है जो ऐसा लग रहा था कि बिल्कुल हमारे सामने बैठा हो… वो खिड़की के कोने में जाली से चिपका था… और कमबख्त की नजर पूरी तरह सलोनी की चूत पर ही थी… उसने उसकी चूत में मेरे लण्ड को घुसते हुए पूरा साफ़ देखा होगा…
पर मेरी नजर तो सलोनी पर थी.. न जाने वो क्या सोच रही थी… उसकी नजर उस शख्स पर ही थी…मगर वो अपना कोई अंग छुपाने की कोई कोशिश नहीं कर रही थी… बल्कि और भी ज्यादा दिखा रही थी… ना जाने यह उसकी कैसी उत्तेजना थी…जो उसे ये सब करने को प्रेरित कर रही थी।
अब मैंने लयबद्ध तरीके से उसकी कमर को पकड़ धक्के लगाने शुरू कर दिए… ‘अहह… हआआ… ओहूऊओ… ओह… अहा… ह्ह्ह्ह… ओह्ह… ह्ह्ह्ह…’
हम दोनों ही आवाज के साथ चुदाई कर रहे थे… और वो अजनबी हमारे हर धक्के का मजा ले रहा था, मुझे पूरा यकीन था कि वो जिस जगह था, उसको मेरा लण्ड चूत में अंदर बाहर जाता साफ़ दिख रहा होगा… यह सोचकर मेरे धक्कों में और भी ज्यादा गति आ गई और सलोनी की सिसकारियों में भी… अहहआ… आआह… ओह… हय… ह्हह्ह… आअह… ह्ह्ह… आआअ… ऊओ… ओह्ह… ह्ह्ह…
हम पर तो इन आवाजों का पूरा असर हो रहा था… पता नहीं उस पर हो रहा था या नहीं… 5 मिनट बाद सलोनी ने खुद आसन बदलने को कहा और घूम कर स्लैब पर बैठ गई… उसने बड़े स्टाइल से अपने दोनों पैर फ़ैला कर अपनी चूत का मुँह मेरे लण्ड के स्वागत के लिए खोल दिया… मैंने उसकी रस टपकाती चूत को हाथ से सहला एक बार जीभ से चाटा… और इस बार सामने से उसकी चूत में अपना लण्ड एक ही झटके में डाल दिया…
आआआअह… ह्ह्ह्हाआआ आआ… ओहो… हो… हो… ह्हह्ह… अह्हा… हां… मगर इस तरह मुझे लगा कि उस बेचारे को अब केवल एक साइड ही दिख रही थी… मैंने सलोनी की दोनों टांगों के नीचे हाथ डाल उसको अपनी गोद में ले लिया…
हाँ… इस सब में मैंने लण्ड एक इंच भी बाहर नहीं आने दिया… और अब सलोनी मेरी गोद में लण्ड पर बैठी थी.. मैं उसको ऐसे ही पकड़े हुए खिड़की की ओर घूम गया.. सलोनी मेरे से चिपकी थी और उसकी पीठ खिड़की की ओर थी… अब वो शख्स आसानी से चूत में लण्ड को आता जाता देख सकता था… और मैंने अपनी कमर हिलनी शुरू की.. इस बार सलोनी भी मेरा साथ दे रही थी वो भी मेरे लण्ड पर कूदने लगी…
अह्हा… ओह… ह्ह्ह्ह… आह… आए… ह्ह्ह… ओह… ओह… ह्ह्ह… दोनों तरफ से धक्के हम दोनों ही झेल नहीं पाये और सलोनी ने मुझे जकड़ लिया…
मैं समझ गया कि उसका खेल ख़त्म हो गया और मेरा भी निकलने ही वाला था…
TO BE CONTINUED ......
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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रंगीली बीबी - by KHANSAGEER - 18-02-2024, 02:17 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 19-02-2024, 10:11 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 20-02-2024, 12:42 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 20-02-2024, 06:09 PM
RE: रंगीली बीबी - by KHANSAGEER - 21-02-2024, 12:00 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 22-02-2024, 08:58 PM
RE: रंगीली बीबी - by sri7869 - 23-02-2024, 12:54 AM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 25-02-2024, 05:12 PM
RE: रंगीली बीबी - by Vamp - 26-02-2024, 04:53 PM
RE: रंगीली बीबी - by Dgparmar - 01-03-2024, 04:19 AM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 02-03-2024, 11:12 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 06-03-2024, 06:58 AM
RE: रंगीली बीबी - by Dgparmar - 06-03-2024, 08:05 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 10-03-2024, 02:08 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 11-03-2024, 10:33 PM
RE: रंगीली बीबी - by Dgparmar - 12-03-2024, 02:53 AM
RE: रंगीली बीबी - by Dgparmar - 12-03-2024, 05:54 PM
RE: रंगीली बीबी - by Vnice - 18-03-2024, 09:06 AM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 18-03-2024, 09:29 PM
RE: रंगीली बीबी - by Dgparmar - 19-03-2024, 07:07 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 26-03-2024, 09:25 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 28-03-2024, 07:28 AM
RE: रंगीली बीबी - by Vnice - 28-03-2024, 08:26 AM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 31-03-2024, 10:13 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 01-04-2024, 04:26 PM
RE: रंगीली बीबी - by Dgparmar - 24-04-2024, 02:04 AM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 24-04-2024, 10:52 AM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 28-04-2024, 10:14 PM
RE: रंगीली बीबी - by Samar78 - 29-04-2024, 04:18 PM
RE: रंगीली बीबी - by Apkeliya - 20-05-2024, 10:08 AM
RE: रंगीली बीबी - by urb0nd - 23-05-2024, 02:00 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 03-06-2024, 09:09 PM
RE: रंगीली बीबी - by zerob3 - 05-06-2024, 09:56 PM
RE: रंगीली बीबी - by koolme98 - 22-06-2024, 04:38 PM



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