17-02-2024, 10:14 AM
मैं उनको भाभी कहकर बुलाने लगा. जब मैंने पूछा कि मैं इस कमरे में कब शिफ्ट करूं तो प्रोफेसर साहेब बोले कि अब आपकी और मेरी इस विषय पर अधिक बात नहीं होगी, आप मेरी वाइफ हिमानी से ही सारी बातें डिस्कस कर लेना, और वह बच्चे पढ़ाने लगे.
हिमानी भाभी को प्रोफेसर साहेब हेमा कहते थे.
हेमा भाभी मुझे ऊपर कमरा दिखाने ले गई. सीढ़ियों पर वह आगे चल रही थीं जिससे उनकी सुन्दर मचलती हुई गाण्ड और मोटी गुदाज गोरी पिंडलियाँ दिखाई दे रही थीं.
उन्होंने कमरा दिखाया. कमरा साफ सुथरा था. उसमें बेड लगा हुआ था, एक छोटा सा टेबल, एक चेयर और एक तीन सीटर सोफ़ा लगा था.
वह बोली- यह हमारा सामान है और यहीं रहेगा.
मैंने कहा- ठीक है, मुझे तो बल्कि ये सामान चाहिए भी.
जब मैंने पूछा कि मैं कब आ सकता हूँ?
तो वह बोली- जब आप चाहो, आप बेशक कल से ही आ जाओ, हमें कोई ऐतराज़ नहीं है.
मैंने उनसे कहा- कल मुझे यूनिवर्सिटी जाना होगा, यदि आपको ऐतराज़ न हो तो मैं आज से ही आ जाता हूँ.
भाभी जी कहने लगी- हमें क्या एतराज़ है, आप आ जाओ.
दोस्तो! हेमा भाभी के बात करने के तरीके और उनकी नशीली आंखों से मुझे लग रहा था कि यह लेडी इस प्रोफेसर के मतलब की नहीं है और यह ज़रूर पट जाएगी. हेमा भाभी हमेशा मेक-अप करके रहती थी. उनके बॉब कट घुंघराले बाल थे, बड़े करीने से वह साड़ी पहनती थी, स्लीवलेस ब्लाउज़ में उनकी बड़ी-बड़ी खड़ी चूचियां और साड़ी में कसी हुई उनकी भरी हुई गांड किसी भी आदमी को अपनी तरफ आकर्षित कर लेती थी. उनमें जो ख़ास बात थी वह यह थी कि उनकी नशीली आंखें और जब भी वह बाहर जाती थीं तो आंखों के ऊपर बहुत ही सुंदर गॉगल्स लगाकर जाती थी. जब मस्ती से चलती थी तो अड़ोस-पड़ोस के आदमी उन्हें देखे बगैर नहीं रहते थे और पड़ोस की लेडीज उनसे चिढ़ती थी, परन्तु वह मस्त रहती थी.
वह मकान तीन मंज़िला था. सामने के आँगन से ऊपर सीढ़ियाँ जाती थीं. सीढ़ियों में घुसते ही एक दरवाजा ग्राउंड फ्लोर के लिए था, जो अक्सर बंद रहता था, एक फर्स्ट फ्लोर के लिए था और अंत में सीढ़ियाँ मेरे कमरे तक जाती थीं.
जो ग्राउंड फ्लोर पर फैमिली रहती थी उसमें तीन ही लोग थे. दो मियां बीवी और एक उनकी 3 साल की बच्ची. वह लेडी भी लगभग 30 साल की थी और वह भी बहुत ही सुंदर, गोरी, थोड़े छोटे कद और गुदाज शरीर की थी. उसकी भी चूचियां और गांड बहुत मस्त थी, उस भाभी का नाम लता था, जो भुवनेश्वर की रहने वाली थी. उनका फिगर भी हेमा भाभी की ही तरह था, परन्तु उनका रंग थोड़ा ज्यादा गोरा था. उनके पति एक बड़ी कंपनी में मार्केटिंग मैनेजर थे और अक्सर टूर पर रहते थे, जो महीने-महीने बाद आते थे. लता भाभी थी तो बहुत सुन्दर परन्तु घर पर ढीली सी साड़ी, सर्दी के कारण सिर पर स्कार्फ, पैरों में जुराबें और गर्म स्वेटर पहनती थी, जिसमें उनका हुस्न छिपा हुआ रहता था.
मैं उसी दिन ऑटो से अपने दोस्त के यहां से अपना सूटकेस और छोटा-मोटा सामान ले आया और अपना सामान तीसरी मंज़िल पर बने कमरे में रख लिया.
जब मैं बाहर से आ रहा था तो ग्राउंड फ्लोर वाली लता भाभी मेरे सामान को देख कर बोली- आप यहां रहने आए हैं?
मैंने कहा- जी हां.
उन्होंने पूछा- आप कहां सर्विस करते हैं?
तो मैंने बता दिया कि मैं तो एक स्टूडेंट हूँ.
जब मैंने कमरे में सामान रखा तो उस वक्त शाम के 5:00 बज गए थे. नीचे से हेमा भाभी मेरे कमरे की सेटिंग देखने आई. जैसे ही वह कमरे में आई, कमरा उनके परफ्यूम की खुशबू से भर गया. वह बहुत धीरे-धीरे और बड़ी अदा से बात करती थी, आंखें हमेशा उनकी ऐसे रहती थी जैसे उन्होंने ड्रिंक किया हो.
उन्होंने मुझसे पूछा- किसी चीज की जरुरत तो नहीं है?
मैंने कहा- नहीं भाभी जी, मेरे पास सभी चीजें हैं, आप फिक्र न करें, मैं अपना काम करता रहा और हेमा भाभी को बैठने को कहा.
भाभी जी थोड़ी सी देर चेयर पर बैठी और कुछ थोड़ा बहुत मेरे बारे में और मेरी फैमिली के बारे में जानकर कहने लगी- अब मैं चलती हूँ, नीचे खाना बनाने का काम करना है.
मैंने जब भाभी जी से पूछा- आप दिनभर क्या करती हैं?
तो उन्होंने बताया- प्रोफेसर साहब को तो फुर्सत नहीं है, वे तो बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते रहते हैं. मैं जब अकेली बोर होती हूं तो थोड़ा मार्केट में घूमने चली जाती हूँ.
पास में ही मार्केट था.
मैंने कहा- भाभी जी! आप जब चाहें इस कमरे में आ सकती हैं, छत के ऊपर बैठ सकती हैं, इसे आप अपना ही कमरा समझो.
वह कहने लगी- ठीक है, मुझे आपका स्वभाव बड़ा पसंद आया और मैं भी यही चाहती थी कि कोई ऐसा लड़का यहां आए जो थोड़ी बहुत मेरी भी हेल्प कर दे.
हिमानी भाभी को प्रोफेसर साहेब हेमा कहते थे.
हेमा भाभी मुझे ऊपर कमरा दिखाने ले गई. सीढ़ियों पर वह आगे चल रही थीं जिससे उनकी सुन्दर मचलती हुई गाण्ड और मोटी गुदाज गोरी पिंडलियाँ दिखाई दे रही थीं.
उन्होंने कमरा दिखाया. कमरा साफ सुथरा था. उसमें बेड लगा हुआ था, एक छोटा सा टेबल, एक चेयर और एक तीन सीटर सोफ़ा लगा था.
वह बोली- यह हमारा सामान है और यहीं रहेगा.
मैंने कहा- ठीक है, मुझे तो बल्कि ये सामान चाहिए भी.
जब मैंने पूछा कि मैं कब आ सकता हूँ?
तो वह बोली- जब आप चाहो, आप बेशक कल से ही आ जाओ, हमें कोई ऐतराज़ नहीं है.
मैंने उनसे कहा- कल मुझे यूनिवर्सिटी जाना होगा, यदि आपको ऐतराज़ न हो तो मैं आज से ही आ जाता हूँ.
भाभी जी कहने लगी- हमें क्या एतराज़ है, आप आ जाओ.
दोस्तो! हेमा भाभी के बात करने के तरीके और उनकी नशीली आंखों से मुझे लग रहा था कि यह लेडी इस प्रोफेसर के मतलब की नहीं है और यह ज़रूर पट जाएगी. हेमा भाभी हमेशा मेक-अप करके रहती थी. उनके बॉब कट घुंघराले बाल थे, बड़े करीने से वह साड़ी पहनती थी, स्लीवलेस ब्लाउज़ में उनकी बड़ी-बड़ी खड़ी चूचियां और साड़ी में कसी हुई उनकी भरी हुई गांड किसी भी आदमी को अपनी तरफ आकर्षित कर लेती थी. उनमें जो ख़ास बात थी वह यह थी कि उनकी नशीली आंखें और जब भी वह बाहर जाती थीं तो आंखों के ऊपर बहुत ही सुंदर गॉगल्स लगाकर जाती थी. जब मस्ती से चलती थी तो अड़ोस-पड़ोस के आदमी उन्हें देखे बगैर नहीं रहते थे और पड़ोस की लेडीज उनसे चिढ़ती थी, परन्तु वह मस्त रहती थी.
वह मकान तीन मंज़िला था. सामने के आँगन से ऊपर सीढ़ियाँ जाती थीं. सीढ़ियों में घुसते ही एक दरवाजा ग्राउंड फ्लोर के लिए था, जो अक्सर बंद रहता था, एक फर्स्ट फ्लोर के लिए था और अंत में सीढ़ियाँ मेरे कमरे तक जाती थीं.
जो ग्राउंड फ्लोर पर फैमिली रहती थी उसमें तीन ही लोग थे. दो मियां बीवी और एक उनकी 3 साल की बच्ची. वह लेडी भी लगभग 30 साल की थी और वह भी बहुत ही सुंदर, गोरी, थोड़े छोटे कद और गुदाज शरीर की थी. उसकी भी चूचियां और गांड बहुत मस्त थी, उस भाभी का नाम लता था, जो भुवनेश्वर की रहने वाली थी. उनका फिगर भी हेमा भाभी की ही तरह था, परन्तु उनका रंग थोड़ा ज्यादा गोरा था. उनके पति एक बड़ी कंपनी में मार्केटिंग मैनेजर थे और अक्सर टूर पर रहते थे, जो महीने-महीने बाद आते थे. लता भाभी थी तो बहुत सुन्दर परन्तु घर पर ढीली सी साड़ी, सर्दी के कारण सिर पर स्कार्फ, पैरों में जुराबें और गर्म स्वेटर पहनती थी, जिसमें उनका हुस्न छिपा हुआ रहता था.
मैं उसी दिन ऑटो से अपने दोस्त के यहां से अपना सूटकेस और छोटा-मोटा सामान ले आया और अपना सामान तीसरी मंज़िल पर बने कमरे में रख लिया.
जब मैं बाहर से आ रहा था तो ग्राउंड फ्लोर वाली लता भाभी मेरे सामान को देख कर बोली- आप यहां रहने आए हैं?
मैंने कहा- जी हां.
उन्होंने पूछा- आप कहां सर्विस करते हैं?
तो मैंने बता दिया कि मैं तो एक स्टूडेंट हूँ.
जब मैंने कमरे में सामान रखा तो उस वक्त शाम के 5:00 बज गए थे. नीचे से हेमा भाभी मेरे कमरे की सेटिंग देखने आई. जैसे ही वह कमरे में आई, कमरा उनके परफ्यूम की खुशबू से भर गया. वह बहुत धीरे-धीरे और बड़ी अदा से बात करती थी, आंखें हमेशा उनकी ऐसे रहती थी जैसे उन्होंने ड्रिंक किया हो.
उन्होंने मुझसे पूछा- किसी चीज की जरुरत तो नहीं है?
मैंने कहा- नहीं भाभी जी, मेरे पास सभी चीजें हैं, आप फिक्र न करें, मैं अपना काम करता रहा और हेमा भाभी को बैठने को कहा.
भाभी जी थोड़ी सी देर चेयर पर बैठी और कुछ थोड़ा बहुत मेरे बारे में और मेरी फैमिली के बारे में जानकर कहने लगी- अब मैं चलती हूँ, नीचे खाना बनाने का काम करना है.
मैंने जब भाभी जी से पूछा- आप दिनभर क्या करती हैं?
तो उन्होंने बताया- प्रोफेसर साहब को तो फुर्सत नहीं है, वे तो बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते रहते हैं. मैं जब अकेली बोर होती हूं तो थोड़ा मार्केट में घूमने चली जाती हूँ.
पास में ही मार्केट था.
मैंने कहा- भाभी जी! आप जब चाहें इस कमरे में आ सकती हैं, छत के ऊपर बैठ सकती हैं, इसे आप अपना ही कमरा समझो.
वह कहने लगी- ठीक है, मुझे आपका स्वभाव बड़ा पसंद आया और मैं भी यही चाहती थी कि कोई ऐसा लड़का यहां आए जो थोड़ी बहुत मेरी भी हेल्प कर दे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.