02-02-2024, 07:40 PM
मैंगो शेक, व्हिप्पड क्रीम
लेकिन मैं खो गयी थी यादों में ,महीने भर से थोड़े ही पहले तो , मेरे सोना मोना की बर्थडे की रात ,
पहली बार उन्हें आम का स्वाद मैंने उन्हें ऐसी ही तो चखाया था ,
मैंगो पीसेज मेरे मुंह में थे और उनका सुपाड़ा चूस चूस कर जो मैंने मलाई निकाली ,
मैंगो शेक बनाया , वो मेरे मुंह से सीधे इनके मुंह में ,
और ये लड़का भी न ,अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल के , एक एक बूँद चाट चाट के ,
गुड्डी से बाजी जीतने के लिए ये पहला कदम था।
जिसके कंधे पर रख के मेरी जेठानी बंदूक चलाती थी, कच्चे टिकोरे वाली, कैसे बोलती थी, मेरे भइया आम नहीं खाते , खाना तो दूर नाम भी नहीं लेते '
और असली खिलाड़न मेरी जेठानी, आँख नचाके मुझसे बोल रही थीं, " कोमल ये बाजी तू हार जायेगी,... "
और उसी समय मेरे मन में सिर्फ ये आया की तुम दोनों की माँ की चूत, मेरा पति सिर्फ मेरा है,... और वो,...
सर झटक के वो सब बातें मैंने हवा में उड़ा दी और एक बार फिर
और कनखियों से मैंने जेठानी जी को देखा ,नहीं नहीं उनके चेहरे को नहीं ,निचले होंठो को ,
जिसतरह से उनकी बुर फूल सिकुड़ रही थी , साफ़ साफ़ लग रहा था कितने जबरदस्त चींटे काट रहे थे उन्हें।
पर इग्नोर करते हुए एक बार फिर मैंने सैयां जी का खूंटा आजाद कर दिया और अबकी व्हिप्पड क्रीम सीधे पूरे लंड पे नीचे से ऊपर तक लिथड़ दिया और
चाटने लगी , अबकी बेस से शुरू कर सुपाड़े तक ,
बार बार लगातार।
जैसे कोई लड़की किसी नदीदी लड़की को दिखा दिखा के अपना लॉलीपॉप चाटे चूसे पर दे न।
जेठानी जी की चेहरे को मैंने अबकी खुल के देखा , एक तड़प ,जैसे बिचारी कुछ कहना चाह रही हो पर कह न पा रही ,
उनके संस्कार , पर आज उनके संस्कारों की तो मैं माँ चोद देने वाली थी।
" क्यों चाहिए ,... " अपने सैयां के मोटे खूंटे को पकड के मैंने उन्हें ललचाया ,
ललचाते वो बोलीं ,
" हाँ , ... नेकी और पूछ पूछ। "
लेकिन मैंने तब भी उनका हाथ नहीं खोला ,बोली मैं,
मिलेगा लेकिन मेरी शर्तों पे , आप को खुल के अपनी गाँव की की बोली में , बोलना होगा , जोर जोर से मांगना होगा ,
और मुझसे नहीं मेरे इनसे।
एक पल के लिए तो वो हिचकिचाई और बोलीं , इनसे ,
" देवर जी ,दे दो न , देवर जी ,दो न। "
" क्या भाभी , खुल के बोलिये न क्या चाहिए , " वो क्यों मौका छोड़ते।
" लास्ट ऑफर दीदी , अगर अगले पांच सेकेण्ड तक आपने नहीं माँगा ,खुल के तो बस सोच लीजिये मैं और आपके देवर मस्ती करेंगे आप यही देखियेगा। ''''
और बेचारी जेठानी बोल ही पड़ीं ,
" देवर दै दा न , आपन , आपन ,... आपन लंड "
मैं और वो एक साथ मुस्करा पड़े ,पर वो भी न मम्मी की संगत में रह के न एकदम , अपनी भौजाई को उन्होंने मेरी ओर मोड़ दिया ,
" अरे भौजी अब हमार कहाँ ,यी तो आपकी देवरानी का होगया है ,उसी से मांगिये न। "
और मैं एक बार चाटने चूसने में लगी थी ,
बेचारी अब उनसे नहीं रहा जा रहा था ,मुझसे बिनती की उन्होंने ,
" हे दे दो न , दिलवा दो न ,.. "
मैं क्यों सुनती मैं तो चूसने में लगी थी मैं लंड चूसती रही जिसे देख के बेचारी की हालत ख़राब थी।
" दिलवा दो न लंड " दुबारा बोलीं वो।
लेकिन मैं खो गयी थी यादों में ,महीने भर से थोड़े ही पहले तो , मेरे सोना मोना की बर्थडे की रात ,
पहली बार उन्हें आम का स्वाद मैंने उन्हें ऐसी ही तो चखाया था ,
मैंगो पीसेज मेरे मुंह में थे और उनका सुपाड़ा चूस चूस कर जो मैंने मलाई निकाली ,
मैंगो शेक बनाया , वो मेरे मुंह से सीधे इनके मुंह में ,
और ये लड़का भी न ,अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल के , एक एक बूँद चाट चाट के ,
गुड्डी से बाजी जीतने के लिए ये पहला कदम था।
जिसके कंधे पर रख के मेरी जेठानी बंदूक चलाती थी, कच्चे टिकोरे वाली, कैसे बोलती थी, मेरे भइया आम नहीं खाते , खाना तो दूर नाम भी नहीं लेते '
और असली खिलाड़न मेरी जेठानी, आँख नचाके मुझसे बोल रही थीं, " कोमल ये बाजी तू हार जायेगी,... "
और उसी समय मेरे मन में सिर्फ ये आया की तुम दोनों की माँ की चूत, मेरा पति सिर्फ मेरा है,... और वो,...
सर झटक के वो सब बातें मैंने हवा में उड़ा दी और एक बार फिर
और कनखियों से मैंने जेठानी जी को देखा ,नहीं नहीं उनके चेहरे को नहीं ,निचले होंठो को ,
जिसतरह से उनकी बुर फूल सिकुड़ रही थी , साफ़ साफ़ लग रहा था कितने जबरदस्त चींटे काट रहे थे उन्हें।
पर इग्नोर करते हुए एक बार फिर मैंने सैयां जी का खूंटा आजाद कर दिया और अबकी व्हिप्पड क्रीम सीधे पूरे लंड पे नीचे से ऊपर तक लिथड़ दिया और
चाटने लगी , अबकी बेस से शुरू कर सुपाड़े तक ,
बार बार लगातार।
जैसे कोई लड़की किसी नदीदी लड़की को दिखा दिखा के अपना लॉलीपॉप चाटे चूसे पर दे न।
जेठानी जी की चेहरे को मैंने अबकी खुल के देखा , एक तड़प ,जैसे बिचारी कुछ कहना चाह रही हो पर कह न पा रही ,
उनके संस्कार , पर आज उनके संस्कारों की तो मैं माँ चोद देने वाली थी।
" क्यों चाहिए ,... " अपने सैयां के मोटे खूंटे को पकड के मैंने उन्हें ललचाया ,
ललचाते वो बोलीं ,
" हाँ , ... नेकी और पूछ पूछ। "
लेकिन मैंने तब भी उनका हाथ नहीं खोला ,बोली मैं,
मिलेगा लेकिन मेरी शर्तों पे , आप को खुल के अपनी गाँव की की बोली में , बोलना होगा , जोर जोर से मांगना होगा ,
और मुझसे नहीं मेरे इनसे।
एक पल के लिए तो वो हिचकिचाई और बोलीं , इनसे ,
" देवर जी ,दे दो न , देवर जी ,दो न। "
" क्या भाभी , खुल के बोलिये न क्या चाहिए , " वो क्यों मौका छोड़ते।
" लास्ट ऑफर दीदी , अगर अगले पांच सेकेण्ड तक आपने नहीं माँगा ,खुल के तो बस सोच लीजिये मैं और आपके देवर मस्ती करेंगे आप यही देखियेगा। ''''
और बेचारी जेठानी बोल ही पड़ीं ,
" देवर दै दा न , आपन , आपन ,... आपन लंड "
मैं और वो एक साथ मुस्करा पड़े ,पर वो भी न मम्मी की संगत में रह के न एकदम , अपनी भौजाई को उन्होंने मेरी ओर मोड़ दिया ,
" अरे भौजी अब हमार कहाँ ,यी तो आपकी देवरानी का होगया है ,उसी से मांगिये न। "
और मैं एक बार चाटने चूसने में लगी थी ,
बेचारी अब उनसे नहीं रहा जा रहा था ,मुझसे बिनती की उन्होंने ,
" हे दे दो न , दिलवा दो न ,.. "
मैं क्यों सुनती मैं तो चूसने में लगी थी मैं लंड चूसती रही जिसे देख के बेचारी की हालत ख़राब थी।
" दिलवा दो न लंड " दुबारा बोलीं वो।