01-02-2024, 10:59 PM
चुसो जतिन जितना चाहो चुसो....तुम्हारे भईया को भी यही पसंद है....मैनें उत्तेजित होते हुवे कहा,
लेकिन मेरी दिलचश्पी तो दूसरी चीज में भी है, उसे भी चूसने की इजाजत मिल जाये तो मजा दो गुना हो जाये....जतिन ने निप्पल को मुंह से निकाल कर कहा,
उफ...पहले इस पहली चीज से तो जी भर लो वह दूसरी चीज भी दूर नहीं है.....मैनें उसकी क्रिया से आनन्दित होते हुवे कहा,
मेरे हाँथ उसके पाजामें पर पहुच चुके थे, मैं उसके नाडे को खोलने ही जा रही थी की उसने जरा निचे को सरक कर मेरे सपाट चिकने पेट और नाभि को चूमना शुरू कर दिया, वह मेरी मेक्सी से परेशान होने लगा था, मैनें मेक्सी को शरीर से अलग कर दिया और पूरी तरह चित लेट गई, मेरी यौवन संपदा को साछात देख कर वह पागल सा होने लगा, मेरी जाँघों को और मेरे गोरे पांव के तलवों को पागलों की तरह जोर जोर से चूमने चाटने लगा, मैं भी पागलों सी हो गई, मेरे कंठ से कामुक सिसकारियां छूटने लगी,उसके होंठ और उसकी जीभ मेरे शरीर में नया सा नशा घोलने लगी,वह मेरी टांगों के जरा जरा से हिस्से को चूम रहा था और सहला रहा था, उसने मेरी कमर में हाँथ डाल कर मुझे पेट के बल लिटा दिया, अब मेरी पीठ और नितंबों के चूमे जाने का नंम्बर था, वह बड़ी ही कुशलता से मेरे संवेदनशील शरीर को सहला रहा था और चूम रहा था,
तुम तो पुरे गुरु आदमी हो उफ...कैसे मेरे...उफ....उफ...कैसे मेरे सारे शरीर में हर अंगुल पर एक ज्वालामुखी सा रखते हो...उफ...मैं तरंगित स्वर में बोल रही थी, उफ...कहीं से ट्रेनिंग ली है क्या....
ऐसा ही समझो भाभी.....मैं एक कम्प्यूटर आर्टिस्ट हूँ.....कम्प्यूटर की कई सी. डी. ऐसी आती है जिनमें संभोग के गजब गजब के आसन और मुद्रायें होती हैं....उसने मेरे नितंबों से पेंटी सरकाते हुवे कहा, वह अब मेरे नितंबों पर चुंबन धर रहा था, मैं शोला बन गई थी, मेरी उत्तेजना शिखर पर पहुँच गई थी,
अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था लेकिन फीर भी जतिन द्वारा मिलते चुंबनों के आनंद ने मुझे और प्यासा बना डाला था, मैं चाहती थी की मेरे शरीर के पोर पोर से वह काम रस चूस ले और मुझे पागल करके छोड़ दे,
वह अपनी क्रिया में ब्यस्त था, मैं पुनः पीठ के बल हो गई थी और वह मेरी जाँघों को खोल कर मेरी केश विहीन योनी को चूस रहा था, मैं उत्तेजना में अपने स्तनों को स्वयं ही मैथ रही थी,
अपनी टांगें मेरी तरफ कर लो....मैनें उससे कहा, तो उसने मेरा कहा मान लिया,उसके पाँव मेरे सीर के भी पीछे तक चले गए, मैनें फुर्ती से उसका पाजामा व अंडरवीयर उसके उत्तेजित लिंग से हटाया और आठ नौ इंच के लिंग को मुंह में ले लिया, उसका लिंग मेरे पति से मोटा था इस कारण मुझे होंठ पुरे खोलने पड़ गये, मैं उसे चूसने लगी,
अब तड़पने और उछलने की बारी उसकी थी,
उफ...उफ...भा...भाभी....आप तो लगता है मुंह में निचोड़ लेंगी मुझे.....उफ....
यह पहला टेस्ट तो मैं मुंह से ही लुंगी.....फीर योनी में डलवाउंगी, तुम लगे रहो उस काम में जिसमें लगे हो....इतना कह कर मैं फीर लिंग चूसने लगी, जतिन लिंग पर मेरे होठों का घर्षण अधिक देर तक नहीं झेल पाया और वह मेरी योनी को भूल कर मेरे कंठ में ही तेजी से धक्के मार कर स्खलित हो गया, उसका सुगन्धित व खौलता वीर्य मैं पि गई, फीर भी मैनें लिंग को नहीं छोड़ा और उसे चूस चूस कर पुनः उत्तेजित करने लगी,
थोडी देर मैं वह फीर कठोर हो गया तो मैनें योनी में उसे डलवाया,
जतिन ने ऐसे ऐसे ढंग से योनी को लिंग से रगडा की मैं चीख पड़ी, उसने अन्ततः बेड से निचे उतर कर खड़े होकर मेरी जाँघों को खोलकर ऐसे धक्के मारे की मैं तृप्त हो गई और चरमोत्कर्ष तक पहुंची, वह पुनः स्खलित हो कर मुझसे लिपट गया,
अब मैं और मेरे पति इतने उन्मुक्त हो गये हैं की मेरे घर मेरा देवर आ जाये, मेरा भाई आ जाये, शिल्पा आ जाये या मेरी कोई सहेली आ जाये या मेरे पति का कोई दोस्त आ जाये हमलोग हर किसी को अपनी काम क्रीड़ा में शामिल कर लेते हैं,
मेरी कामुकता ने सारी हदें पार कर डी हैं, मुझे तो कपडे अच्छे लगते ही नहीं है, अब उस दिन मेरे ससुर आये थे तब भी मैनें ब्रा-पेंटी पर पारदर्शी गाउन पहन रखा था और मेरे पति ने उनकी उपस्थिति में भी शर्म ना की और मेरे उभारों को चुमते रहे.....मेरे ससुर को ही ड्राइंगरूम से उठ कर अपने रूम में जाना पड़ा था,
समाप्त
लेकिन मेरी दिलचश्पी तो दूसरी चीज में भी है, उसे भी चूसने की इजाजत मिल जाये तो मजा दो गुना हो जाये....जतिन ने निप्पल को मुंह से निकाल कर कहा,
उफ...पहले इस पहली चीज से तो जी भर लो वह दूसरी चीज भी दूर नहीं है.....मैनें उसकी क्रिया से आनन्दित होते हुवे कहा,
मेरे हाँथ उसके पाजामें पर पहुच चुके थे, मैं उसके नाडे को खोलने ही जा रही थी की उसने जरा निचे को सरक कर मेरे सपाट चिकने पेट और नाभि को चूमना शुरू कर दिया, वह मेरी मेक्सी से परेशान होने लगा था, मैनें मेक्सी को शरीर से अलग कर दिया और पूरी तरह चित लेट गई, मेरी यौवन संपदा को साछात देख कर वह पागल सा होने लगा, मेरी जाँघों को और मेरे गोरे पांव के तलवों को पागलों की तरह जोर जोर से चूमने चाटने लगा, मैं भी पागलों सी हो गई, मेरे कंठ से कामुक सिसकारियां छूटने लगी,उसके होंठ और उसकी जीभ मेरे शरीर में नया सा नशा घोलने लगी,वह मेरी टांगों के जरा जरा से हिस्से को चूम रहा था और सहला रहा था, उसने मेरी कमर में हाँथ डाल कर मुझे पेट के बल लिटा दिया, अब मेरी पीठ और नितंबों के चूमे जाने का नंम्बर था, वह बड़ी ही कुशलता से मेरे संवेदनशील शरीर को सहला रहा था और चूम रहा था,
तुम तो पुरे गुरु आदमी हो उफ...कैसे मेरे...उफ....उफ...कैसे मेरे सारे शरीर में हर अंगुल पर एक ज्वालामुखी सा रखते हो...उफ...मैं तरंगित स्वर में बोल रही थी, उफ...कहीं से ट्रेनिंग ली है क्या....
ऐसा ही समझो भाभी.....मैं एक कम्प्यूटर आर्टिस्ट हूँ.....कम्प्यूटर की कई सी. डी. ऐसी आती है जिनमें संभोग के गजब गजब के आसन और मुद्रायें होती हैं....उसने मेरे नितंबों से पेंटी सरकाते हुवे कहा, वह अब मेरे नितंबों पर चुंबन धर रहा था, मैं शोला बन गई थी, मेरी उत्तेजना शिखर पर पहुँच गई थी,
अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था लेकिन फीर भी जतिन द्वारा मिलते चुंबनों के आनंद ने मुझे और प्यासा बना डाला था, मैं चाहती थी की मेरे शरीर के पोर पोर से वह काम रस चूस ले और मुझे पागल करके छोड़ दे,
वह अपनी क्रिया में ब्यस्त था, मैं पुनः पीठ के बल हो गई थी और वह मेरी जाँघों को खोल कर मेरी केश विहीन योनी को चूस रहा था, मैं उत्तेजना में अपने स्तनों को स्वयं ही मैथ रही थी,
अपनी टांगें मेरी तरफ कर लो....मैनें उससे कहा, तो उसने मेरा कहा मान लिया,उसके पाँव मेरे सीर के भी पीछे तक चले गए, मैनें फुर्ती से उसका पाजामा व अंडरवीयर उसके उत्तेजित लिंग से हटाया और आठ नौ इंच के लिंग को मुंह में ले लिया, उसका लिंग मेरे पति से मोटा था इस कारण मुझे होंठ पुरे खोलने पड़ गये, मैं उसे चूसने लगी,
अब तड़पने और उछलने की बारी उसकी थी,
उफ...उफ...भा...भाभी....आप तो लगता है मुंह में निचोड़ लेंगी मुझे.....उफ....
यह पहला टेस्ट तो मैं मुंह से ही लुंगी.....फीर योनी में डलवाउंगी, तुम लगे रहो उस काम में जिसमें लगे हो....इतना कह कर मैं फीर लिंग चूसने लगी, जतिन लिंग पर मेरे होठों का घर्षण अधिक देर तक नहीं झेल पाया और वह मेरी योनी को भूल कर मेरे कंठ में ही तेजी से धक्के मार कर स्खलित हो गया, उसका सुगन्धित व खौलता वीर्य मैं पि गई, फीर भी मैनें लिंग को नहीं छोड़ा और उसे चूस चूस कर पुनः उत्तेजित करने लगी,
थोडी देर मैं वह फीर कठोर हो गया तो मैनें योनी में उसे डलवाया,
जतिन ने ऐसे ऐसे ढंग से योनी को लिंग से रगडा की मैं चीख पड़ी, उसने अन्ततः बेड से निचे उतर कर खड़े होकर मेरी जाँघों को खोलकर ऐसे धक्के मारे की मैं तृप्त हो गई और चरमोत्कर्ष तक पहुंची, वह पुनः स्खलित हो कर मुझसे लिपट गया,
अब मैं और मेरे पति इतने उन्मुक्त हो गये हैं की मेरे घर मेरा देवर आ जाये, मेरा भाई आ जाये, शिल्पा आ जाये या मेरी कोई सहेली आ जाये या मेरे पति का कोई दोस्त आ जाये हमलोग हर किसी को अपनी काम क्रीड़ा में शामिल कर लेते हैं,
मेरी कामुकता ने सारी हदें पार कर डी हैं, मुझे तो कपडे अच्छे लगते ही नहीं है, अब उस दिन मेरे ससुर आये थे तब भी मैनें ब्रा-पेंटी पर पारदर्शी गाउन पहन रखा था और मेरे पति ने उनकी उपस्थिति में भी शर्म ना की और मेरे उभारों को चुमते रहे.....मेरे ससुर को ही ड्राइंगरूम से उठ कर अपने रूम में जाना पड़ा था,
समाप्त