01-02-2024, 11:20 AM
महीना चल रहा है।” मैंने उसकी बात पूरी की और वह शरमा कर परे देखने लगी।
“मतलब सीधे कहो कि इसलिये जाना है … इतनी देर से भूमिकायें बांध रही हो। ठीक है, लिये चलूँगा। कुछ और हो दिमाग में तो वह भी बता दो।” मैंने गहरी नजरों से उसे देखते हुए पूछा।
लेकिन वह शरमा कर भाग गयी।
मेरे लिये यह घनघोर ताज्जुब की बात थी कि उसके जैसी लड़की भी भला ऐसा सोच सकती है।
फिर मैंने अपना सर थपथपाया … सेक्स की जरूरत किसे नहीं होती। उसका मतलब यह तो नहीं होता कि इंसान सामान्य जिंदगी नहीं जियेगा। वह बाकी वक्त में एक शरीफ मजहबी लड़की थी लेकिन फिर भी थी तो इंसान ही, जिसके शरीर में सहजवृत्ति की तरह सहवास की भूख भी लगती है। जरूरी तो नहीं कि हर इंसान अपनी यौन आकांक्षाओं को दबा कर जियेगा।
इतवार का मतलब था कि अभी चार दिन बाकी थे।
इस बाकी वक्त में मेरी उससे रोज ही बात हुई, दिन भर घर रहते कोई न कोई मौका तो मिल ही जाता था तो उसे टटोलने का कोई मौका मैं नहीं छोड़ता था।
उसकी बातों से पता चला कि जिस लड़के से उसे मिलना था, वह उसे फेसबुक पे मिला था और फिर लंबे वक्त की यारी ने उसे व्हाट्सएप तक पहुंचा दिया था. जहां उनके बीच अंतरंगता की बातें होने लगी थीं, और लड़के ने ढेरों कोशिशों के बाद उसे कनविंस कर लिया था कि उन्हें एक बार वह फिजिकल एक्सपेरिमेंट करना चाहिये।
बेहद आम सी कहानी थी जो आजकल के ज्यादातर युवा लड़के लड़कियों की होती है।
फिर संडे आया तो उसका चेहरा उतरा हुआ था … पूछने पर पता चला कि उसका प्रोग्राम गड़बड़ा गया था।
“क्या हुआ?” मैंने जानना चाहा।
“पहले उसने बताया था कि आज उसके पैरेंटस उसकी बुआ के घर जाने वाले थे तो आज हम घर पे एंजाय कर सकते थे लेकिन कल रात वह इलाका हॉट स्पॉट डिक्लेयर कर दिया गया जहां उसकी बुआ का घर है तो उसके पैरेंट का जाना टल हो गया और अब वे घर ही हैं।” उसने बड़ी मायूसी से जवाब दिया।
“तो कोई और जगह नहीं है क्या? लड़के तो आजकल कई जगहों का जुगाड़ बना कर रखते हैं।”
“ऐसे लॉकडाऊन में कहाँ जुगाड़ होगा … हर कोई तो घर पे जमा बैठा है।”
“हां यह तो है। एनी वे … तुम्हारी मेन प्राब्लम क्या है … उस लड़के के साथ रोमांटिक वक्त बिताना है, या उस लड़के के साथ सेक्स करना है या सेक्स करना है?”
“मतलब?” उसने कौतहूल से मुझे देखा।
“अरे मतलब इश्क है और कुछ वक्त उसके साथ गुजार कर भी खुशी हासिल कर सकती हो तो कहो, मैं लिये चलता हूँ … कहीं गुजार लेना थोड़ा वक्त। उसके साथ सेक्स करना है तो उसे कहो कि यहीं आ जाये, मैं अपना दोस्त बता कर शाम तक यहीं रोक लूंगा और जब असर के वक्त तुम्हारे भाई कोचिंग पे जाते हैं और अब्बू नमाज पढ़ने तब यहीं दोनों सेक्स कर सकते हो और सिर्फ सेक्स ही अगर मकसद है तो उसके और भी जुगाड़ बनाये जा सकते हैं।’
“और भी क्या?” उसने चौंक कर मुझे देखा।
“अरे भई … सेक्स के लिये ब्वॉयफ्रेंड की नहीं एक लड़के या एक मर्द की जरूरत होती है।”
उसने जवाब देने के बजाय घूर कर मुझे देखा। मैं उसके चेहरे से कोई अंदाजा न लगा पाया कि उसे मेरी बात बुरी लगी थी या भली … लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया और फिर वापस मुड़ कर चली गयी।
“मतलब सीधे कहो कि इसलिये जाना है … इतनी देर से भूमिकायें बांध रही हो। ठीक है, लिये चलूँगा। कुछ और हो दिमाग में तो वह भी बता दो।” मैंने गहरी नजरों से उसे देखते हुए पूछा।
लेकिन वह शरमा कर भाग गयी।
मेरे लिये यह घनघोर ताज्जुब की बात थी कि उसके जैसी लड़की भी भला ऐसा सोच सकती है।
फिर मैंने अपना सर थपथपाया … सेक्स की जरूरत किसे नहीं होती। उसका मतलब यह तो नहीं होता कि इंसान सामान्य जिंदगी नहीं जियेगा। वह बाकी वक्त में एक शरीफ मजहबी लड़की थी लेकिन फिर भी थी तो इंसान ही, जिसके शरीर में सहजवृत्ति की तरह सहवास की भूख भी लगती है। जरूरी तो नहीं कि हर इंसान अपनी यौन आकांक्षाओं को दबा कर जियेगा।
इतवार का मतलब था कि अभी चार दिन बाकी थे।
इस बाकी वक्त में मेरी उससे रोज ही बात हुई, दिन भर घर रहते कोई न कोई मौका तो मिल ही जाता था तो उसे टटोलने का कोई मौका मैं नहीं छोड़ता था।
उसकी बातों से पता चला कि जिस लड़के से उसे मिलना था, वह उसे फेसबुक पे मिला था और फिर लंबे वक्त की यारी ने उसे व्हाट्सएप तक पहुंचा दिया था. जहां उनके बीच अंतरंगता की बातें होने लगी थीं, और लड़के ने ढेरों कोशिशों के बाद उसे कनविंस कर लिया था कि उन्हें एक बार वह फिजिकल एक्सपेरिमेंट करना चाहिये।
बेहद आम सी कहानी थी जो आजकल के ज्यादातर युवा लड़के लड़कियों की होती है।
फिर संडे आया तो उसका चेहरा उतरा हुआ था … पूछने पर पता चला कि उसका प्रोग्राम गड़बड़ा गया था।
“क्या हुआ?” मैंने जानना चाहा।
“पहले उसने बताया था कि आज उसके पैरेंटस उसकी बुआ के घर जाने वाले थे तो आज हम घर पे एंजाय कर सकते थे लेकिन कल रात वह इलाका हॉट स्पॉट डिक्लेयर कर दिया गया जहां उसकी बुआ का घर है तो उसके पैरेंट का जाना टल हो गया और अब वे घर ही हैं।” उसने बड़ी मायूसी से जवाब दिया।
“तो कोई और जगह नहीं है क्या? लड़के तो आजकल कई जगहों का जुगाड़ बना कर रखते हैं।”
“ऐसे लॉकडाऊन में कहाँ जुगाड़ होगा … हर कोई तो घर पे जमा बैठा है।”
“हां यह तो है। एनी वे … तुम्हारी मेन प्राब्लम क्या है … उस लड़के के साथ रोमांटिक वक्त बिताना है, या उस लड़के के साथ सेक्स करना है या सेक्स करना है?”
“मतलब?” उसने कौतहूल से मुझे देखा।
“अरे मतलब इश्क है और कुछ वक्त उसके साथ गुजार कर भी खुशी हासिल कर सकती हो तो कहो, मैं लिये चलता हूँ … कहीं गुजार लेना थोड़ा वक्त। उसके साथ सेक्स करना है तो उसे कहो कि यहीं आ जाये, मैं अपना दोस्त बता कर शाम तक यहीं रोक लूंगा और जब असर के वक्त तुम्हारे भाई कोचिंग पे जाते हैं और अब्बू नमाज पढ़ने तब यहीं दोनों सेक्स कर सकते हो और सिर्फ सेक्स ही अगर मकसद है तो उसके और भी जुगाड़ बनाये जा सकते हैं।’
“और भी क्या?” उसने चौंक कर मुझे देखा।
“अरे भई … सेक्स के लिये ब्वॉयफ्रेंड की नहीं एक लड़के या एक मर्द की जरूरत होती है।”
उसने जवाब देने के बजाय घूर कर मुझे देखा। मैं उसके चेहरे से कोई अंदाजा न लगा पाया कि उसे मेरी बात बुरी लगी थी या भली … लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया और फिर वापस मुड़ कर चली गयी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.