30-01-2024, 12:52 PM
अब उन्होंने बोलना शुरू कर दिया- आह.. बस अब और नहीं, मुझे जलन हो रही है.. अब और नहीं..
ये सुन कर मुझे अचानक और जोश आ गया. मैं और जोर जोर से चुदाई करने लगा. मुझे तो ऐसा लग रहा था कि अपने लिंग को इनकी योनि के आर पार कर दूँ.
वो अब चिल्लाने लगीं- अह.. नहीं करो.. दर्द हो रहा है.. प्लीज़ रुक जाओ.
दीदी के आंसू रुक ही नहीं रहे थे और वो रोते ही जा रही थीं.
तब मुझे ये सब नहीं देख रहा था, मेरे ऊपर तो बस चोदने का भूत सवार था. फिर कुछ देर बाद मैं एकदम से तेज हो गया और उनकी योनि के अन्दर ही अपना पूरा रस छोड़ दिया.
अब मैं भी शांत हो गया और उनके ऊपर वैसे ही लेटा रहा.
कुछ देर बाद उठा, लाइट जलाई और दीदी के बाजू में लेट कर उनको प्यार से देखने लगा. यह देख के दीदी को भी शरम आ रही थी, वो अपना मुँह छुपाने लगीं.
मैंने अपने हाथों से उनके मुँह को ऊपर किया और एक जोरदार लिप किस करके थैंक्स बोला.
वो थोड़ा हंसी और उसने मुझे किस करके मुझे भी थैंक्स बोला.
फिर हम दोनों ने अपने कपड़े पहने और सो गए.
सुबह जब उठा को बड़ा थका थका सा लग रहा था, पर अच्छा भी लग रहा था. वो मेरे पास आईं और बोलीं- मैं प्रेग्नेंट तो नहीं हो जाऊंगी ना?
मैंने उन्हें मना कर दिया- नहीं ना कविता दीदी.. एक बार में थोड़ी ना कुछ होता है.
ये सुन कर मुझे अचानक और जोश आ गया. मैं और जोर जोर से चुदाई करने लगा. मुझे तो ऐसा लग रहा था कि अपने लिंग को इनकी योनि के आर पार कर दूँ.
वो अब चिल्लाने लगीं- अह.. नहीं करो.. दर्द हो रहा है.. प्लीज़ रुक जाओ.
दीदी के आंसू रुक ही नहीं रहे थे और वो रोते ही जा रही थीं.
तब मुझे ये सब नहीं देख रहा था, मेरे ऊपर तो बस चोदने का भूत सवार था. फिर कुछ देर बाद मैं एकदम से तेज हो गया और उनकी योनि के अन्दर ही अपना पूरा रस छोड़ दिया.
अब मैं भी शांत हो गया और उनके ऊपर वैसे ही लेटा रहा.
कुछ देर बाद उठा, लाइट जलाई और दीदी के बाजू में लेट कर उनको प्यार से देखने लगा. यह देख के दीदी को भी शरम आ रही थी, वो अपना मुँह छुपाने लगीं.
मैंने अपने हाथों से उनके मुँह को ऊपर किया और एक जोरदार लिप किस करके थैंक्स बोला.
वो थोड़ा हंसी और उसने मुझे किस करके मुझे भी थैंक्स बोला.
फिर हम दोनों ने अपने कपड़े पहने और सो गए.
सुबह जब उठा को बड़ा थका थका सा लग रहा था, पर अच्छा भी लग रहा था. वो मेरे पास आईं और बोलीं- मैं प्रेग्नेंट तो नहीं हो जाऊंगी ना?
मैंने उन्हें मना कर दिया- नहीं ना कविता दीदी.. एक बार में थोड़ी ना कुछ होता है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.