30-01-2024, 12:50 PM
कविता दीदी तड़पने लगीं और जोर जोर से सिसकारियां भरने लगीं. मैं उनकी योनि के पास तक पहुँचता, इससे पहले कविता दीदी ने मुझे ऊपर की तरफ खींचा और मेरे ऊपर चढ़ गईं.
दीदी मुझसे बोलने लगीं- प्लीज़ करो ना.
मैंने मेरे लिंग को उनकी योनि पे रखा और डालने की कोशिश की, पर उन्हें बहुत दर्द हो रहा था.
वो वापस उठ गईं और बोलीं- सौरभ, बहुत दर्द हो रहा है.
मैंने उनसे कहा- डार्लिंग, थोड़ा तो दर्द होता ही है.
शायद ये उनका भी पहली बार था.. मेरा तो था ही पहली बार. मैंने उसे नीचे किया और मैं उनके ऊपर चढ़ गया.
मैंने अपने लिंग को उनकी योनि पे रखा और अपने हाथों से उनके पैरों को ऊपर की तरफ खींचा. उनके हाथों को अपनी पीठ पर रखवा दिए और कहा- अगर थोड़ा भी दर्द हुआ, तो मुझे जोर से पकड़ लेना.
अब मैंने धीरे से अपने लिंग को प्रेस किया, उन्हें थोड़ा दर्द हुआ और वो बोलने लगीं- आह.. सौरभ बहुत दर्द हो रहा है.. प्लीज़ मत करो ना.
मैंने लिंग को थोड़ा बाहर निकाला और फिर से जोर से अन्दर डाला. तब भी पूरा नहीं गया. दीदी थोड़ा चिल्लाईं और मैंने जल्दी से एक बार फिर जल्दी से लिंग बाहर निकाल कर उतनी तेजी से वापस अन्दर पेल दिया.
इस बार दीदी की आँखों से आंसू निकल आए.
वो जोर से चिल्ला उठीं- आहह.. आआअहह.. सौरभ बहुत दर्द हो रहा है.
दीदी ने अपने पैने नाखून मुझे गड़ा दिए. मैं और भी जोश में आ गया. फिर मैं उन्हें झटके देने लगा.
कुछ देर बाद दीदी की चुत का दर्द खत्म हो गया और वो चिल्लाने लगीं ऊऊ.. ओहोहो.. ऊऊह.. सौरभ और करो.. तेज करो.. और तेज करो.
मैं और ज़्यादा तेज चुदाई करने लगा.
फिर
दीदी मुझसे बोलने लगीं- प्लीज़ करो ना.
मैंने मेरे लिंग को उनकी योनि पे रखा और डालने की कोशिश की, पर उन्हें बहुत दर्द हो रहा था.
वो वापस उठ गईं और बोलीं- सौरभ, बहुत दर्द हो रहा है.
मैंने उनसे कहा- डार्लिंग, थोड़ा तो दर्द होता ही है.
शायद ये उनका भी पहली बार था.. मेरा तो था ही पहली बार. मैंने उसे नीचे किया और मैं उनके ऊपर चढ़ गया.
मैंने अपने लिंग को उनकी योनि पे रखा और अपने हाथों से उनके पैरों को ऊपर की तरफ खींचा. उनके हाथों को अपनी पीठ पर रखवा दिए और कहा- अगर थोड़ा भी दर्द हुआ, तो मुझे जोर से पकड़ लेना.
अब मैंने धीरे से अपने लिंग को प्रेस किया, उन्हें थोड़ा दर्द हुआ और वो बोलने लगीं- आह.. सौरभ बहुत दर्द हो रहा है.. प्लीज़ मत करो ना.
मैंने लिंग को थोड़ा बाहर निकाला और फिर से जोर से अन्दर डाला. तब भी पूरा नहीं गया. दीदी थोड़ा चिल्लाईं और मैंने जल्दी से एक बार फिर जल्दी से लिंग बाहर निकाल कर उतनी तेजी से वापस अन्दर पेल दिया.
इस बार दीदी की आँखों से आंसू निकल आए.
वो जोर से चिल्ला उठीं- आहह.. आआअहह.. सौरभ बहुत दर्द हो रहा है.
दीदी ने अपने पैने नाखून मुझे गड़ा दिए. मैं और भी जोश में आ गया. फिर मैं उन्हें झटके देने लगा.
कुछ देर बाद दीदी की चुत का दर्द खत्म हो गया और वो चिल्लाने लगीं ऊऊ.. ओहोहो.. ऊऊह.. सौरभ और करो.. तेज करो.. और तेज करो.
मैं और ज़्यादा तेज चुदाई करने लगा.
फिर
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.