30-01-2024, 12:48 PM
करीब 20 मिनट हम लोग तक चूमते रहे. अब मैं खुल कर दीदी के मम्मों को पकड़ कर जोर जोर से दबाने लगा. दीदी भी मादक सिसकारियां ले रही थीं. दरअसल हम दोनों की जवानी उफान मार रही थी. दीदी भी मुझे जोर के जकड़ लिया था.
फिर मैंने दीदी की योनि में हाथ लगाया और सहलाना शुरू किया.. तो एकदम से दीदी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोलीं- राहुल नहीं.. बस इतना ही.. और आगे नहीं.
पर तब तक तो मेरे अन्दर हवस भर चुकी थी, मैंने दीदी से कहा- दीदी प्यार अलग है और शरीर की जरूरत अलग बात है.
फिर उसने मुझसे बोला- पर तू मेरा छोटा भाई है.
मैंने उनसे बोला- दीदी जिस्म की आग के सामने क्या बड़ा और क्या छोटा, क्या भाई और क्या बहन, क्या बाप और क्या माँ, क्या बेटा और क्या बेटी, क्या ब्वॉयफ्रेंड और क्या पति, क्या जीएफ और क्या पत्नी.. ये सब बेकार की बातें हैं. बस जिस्म तो जिस्म को ही जानता है.
दीदी की हवस भी जागने लगी थी.
मैं अपनी रौ में कहे जा रहा था- अभी हम दोनों को केवल एक शरीर की जरूरत है. मुझे एक लड़की की और आपको एक लड़के की.
उनकी हवस जागने के बावजूद भी वो समझ नहीं पा रही थीं, वो बोलीं- पर राहुल..
मैंने दीदी को रोकते हुए बोला- दीदी प्लीज़ और कुछ मत कहो.
मैं उनको जबरदस्त चूमने लगा.
कुछ देर बाद दीदी भी मुझे चूमने लगीं. मैंने धीरे से दीदी का हाथ पकड़ कर अपना लंड थमा दिया. दीदी ने भी लंड पकड़ लिया और लंड को दबाना भी शुरू कर दिया.
मैं समझ गया कि दीदी के ऊपर भी प्यार का नशा चढ़ने लगा है, मैं भी दीदी की योनि को सहलाने लगा.
अब मैंने दीदी के सूट को ऊपर से खींच कर निकाल दिया और अपने भी पूरे कपड़े उतार लिए. अब हम दोनों बिना कपड़े के थे. पर अब फिर से दीदी ने आँखें खोलीं और फिर बोलीं- राहुल ये सही नहीं है.
मैं उठा और कमरे की नाइट लाइट भी बुझा आया. मैं दीदी के कान में बोला- कविता.. मैं सौरभ हूँ.. तुम कैसी हो.
सौरभ दीदी के ब्वॉयफ्रेंड का नाम था.
दीदी बोलीं- पर तू तो राहुल है ना?
मैंने बोला- आपको मेरा चेहरा दिख रहा है क्या?
वो बोलीं- नहीं..
मैंने उनसे कहा- तो आप मुझे सौरभ ही समझ लो.
वो अचानक मुझसे लिपट गईं और भूखी शेरनी की तरह मुझे चूमने लगीं. मैंने भी पूरा पूरा साथ दिया और अपने हाथों से उनके मम्मों को खूब दबाया और योनि पर हाथ भी रगड़ने लगा. फिर धीरे से उनके गालों को किस किया.. गले पे चूमा.
दीदी कामुक सिसकारियां भर रही थीं. फिर दीदी ने मुझे नीचे किया और वो चूमने लगीं. मुझे चूमते चूमते वो नीचे की ओर आने लगीं. दीदी ने मेरे लिंग को पकड़ लिया और हल्के से किस किया. मैं झनझना गया. दीदी ने मुझे फिर से किस किया और वो ऐसा करते करते मेरे ऊपर की तरफ आ गईं. मैं भी उनको किस करने लगा और किस करते करते मैं नीचे की तरफ आ गया.
फिर मैंने दीदी की योनि में हाथ लगाया और सहलाना शुरू किया.. तो एकदम से दीदी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोलीं- राहुल नहीं.. बस इतना ही.. और आगे नहीं.
पर तब तक तो मेरे अन्दर हवस भर चुकी थी, मैंने दीदी से कहा- दीदी प्यार अलग है और शरीर की जरूरत अलग बात है.
फिर उसने मुझसे बोला- पर तू मेरा छोटा भाई है.
मैंने उनसे बोला- दीदी जिस्म की आग के सामने क्या बड़ा और क्या छोटा, क्या भाई और क्या बहन, क्या बाप और क्या माँ, क्या बेटा और क्या बेटी, क्या ब्वॉयफ्रेंड और क्या पति, क्या जीएफ और क्या पत्नी.. ये सब बेकार की बातें हैं. बस जिस्म तो जिस्म को ही जानता है.
दीदी की हवस भी जागने लगी थी.
मैं अपनी रौ में कहे जा रहा था- अभी हम दोनों को केवल एक शरीर की जरूरत है. मुझे एक लड़की की और आपको एक लड़के की.
उनकी हवस जागने के बावजूद भी वो समझ नहीं पा रही थीं, वो बोलीं- पर राहुल..
मैंने दीदी को रोकते हुए बोला- दीदी प्लीज़ और कुछ मत कहो.
मैं उनको जबरदस्त चूमने लगा.
कुछ देर बाद दीदी भी मुझे चूमने लगीं. मैंने धीरे से दीदी का हाथ पकड़ कर अपना लंड थमा दिया. दीदी ने भी लंड पकड़ लिया और लंड को दबाना भी शुरू कर दिया.
मैं समझ गया कि दीदी के ऊपर भी प्यार का नशा चढ़ने लगा है, मैं भी दीदी की योनि को सहलाने लगा.
अब मैंने दीदी के सूट को ऊपर से खींच कर निकाल दिया और अपने भी पूरे कपड़े उतार लिए. अब हम दोनों बिना कपड़े के थे. पर अब फिर से दीदी ने आँखें खोलीं और फिर बोलीं- राहुल ये सही नहीं है.
मैं उठा और कमरे की नाइट लाइट भी बुझा आया. मैं दीदी के कान में बोला- कविता.. मैं सौरभ हूँ.. तुम कैसी हो.
सौरभ दीदी के ब्वॉयफ्रेंड का नाम था.
दीदी बोलीं- पर तू तो राहुल है ना?
मैंने बोला- आपको मेरा चेहरा दिख रहा है क्या?
वो बोलीं- नहीं..
मैंने उनसे कहा- तो आप मुझे सौरभ ही समझ लो.
वो अचानक मुझसे लिपट गईं और भूखी शेरनी की तरह मुझे चूमने लगीं. मैंने भी पूरा पूरा साथ दिया और अपने हाथों से उनके मम्मों को खूब दबाया और योनि पर हाथ भी रगड़ने लगा. फिर धीरे से उनके गालों को किस किया.. गले पे चूमा.
दीदी कामुक सिसकारियां भर रही थीं. फिर दीदी ने मुझे नीचे किया और वो चूमने लगीं. मुझे चूमते चूमते वो नीचे की ओर आने लगीं. दीदी ने मेरे लिंग को पकड़ लिया और हल्के से किस किया. मैं झनझना गया. दीदी ने मुझे फिर से किस किया और वो ऐसा करते करते मेरे ऊपर की तरफ आ गईं. मैं भी उनको किस करने लगा और किस करते करते मैं नीचे की तरफ आ गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.