Thread Rating:
  • 1 Vote(s) - 5 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Incest मामा की लड़की के साथ
#14
पर जब रात को मेरी नींद खुली तो मेरा हाथ दीदी के चूचे पे था. मैं थोड़ा सा डर गया, पर न जाने क्यों मैंने दीदी के मम्मों से हाथ नहीं हटाया. मैंने सोचा अगर एकदम से हाथ हटा लूँ, तो शायद दीदी जाग जाएंगी. मैं उन्हें वैसे ही देखता रहा, दीदी बहुत ही खूबसूरत लग रही थीं. उनका गोरा बदन उस पर रेड कलर का सूट.. और कमरे की डिम लाइट.. हाय.. क्या बताऊं क्या मस्त माल लग रही थीं, मेरी कामवासना मुझे दीदी की चुदाई के लिए कह रही थी.

ये सोचते सोचते ही पता ही नहीं चला कि मेरे हाथों ने उनके मम्मों को कब धीरे धीरे दबाना शुरू कर दिया. मुझे भी अच्छा लग रहा था. पर कुछ देर बाद मैंने अपने हाथ को वापस खींच लिया.

मैं बहुत देर तक दीदी के बारे में सोचता रहा. फिर मैंने सोचा केवल दबा ही तो रहा था, वैसे भी दीदी को कुछ पता नहीं चला.
मैंने फिर से दीदी के तरफ मुड़ा और थोड़ी हिम्मत करके फिर से दीदी के मम्मों पर एक हाथ रख कर धीरे धीरे दबाना शुरू कर दिया.

दीदी नहीं उठीं तो मेरी थोड़ी हिम्मत बढ़ गई. मैंने धीरे से उनके होंठों को हाथ लगाया. बड़े ही कोमल होंठ थे. मैंने फिर से दीदी के मम्मों को दबाना शुरू कर दिया. एकदम से दीदी मेरी तरफ पलटीं मैं डर गया, मुझे ऐसा लगा कि जैसे वो जाग गई हों. पर उन्होंने केवल करवट ली और सो गईं.

मैंने फिर से मम्मों को दबाना शुरू कर दिया और अपने चेहरे को उनके चेहरे के पास ले जाकर उनके होंठों को धीरे से चूम लिया.
दीदी फिर भी सोती रहीं.

मेरी हिम्मत और अधिक बढ़ गई. मैंने धीरे धीरे उनके पूरे बदन पे हाथ फेरा, अब मेरी नींद पूरी तरह से उड़ गई और मुझे बहुत मजा आ रहा था.
अब तक तो मैं ये भी भूल गया था कि ये मेरे दीदी हैं.

मैं अपने आपको रोक ही नहीं पा रहा था. मैंने धीरे से दीदी के सूट के अन्दर हाथ डाला और उनके मम्मों को दबाना शुरू कर दिया. फिर अपने हाथ को उनके पीछे ले गया और उनकी ब्रा का हुक खोल दिया. फिर मैं अपने हाथों को आगे लाकर उनके मम्मों को दबाने लगा.
बहुत देर तक दूध दबाने के बाद भी दीदी नहीं उठीं, तो मेरी हिम्मत पूरी तरह से खुल गई. मैं अपने हाथ दीदी के नीचे ले ही जा रहा था कि अचानक दीदी ने मेरे हाथों को पकड़ लिया. मुझे लगा दीदी उठ गईं, मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं और सोने का नाटक करने लगा. पर मैं बहुत डर गया था, इसलिए मैं सो गया.

अगले दिन सुबह जब हम दोनों उठे, तो दीदी ने मुझे हमेशा की तरह एक हल्की सी मुस्कान दी और चली गईं. पर मैं दीदी से नज़र नहीं मिला पा रहा था. मुझे लगा दीदी को पता ही नहीं चला. क्योंकि वो हर राज की तरह ही मुझसे बात कर रही थीं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: मामा की लड़की के साथ - by neerathemall - 30-01-2024, 12:42 PM



Users browsing this thread: 2 Guest(s)