30-01-2024, 12:42 PM
मैंने उनसे बोला- आप नागपुर आ जाओ. फिर एक दिन उसे भी नागपुर बुला लेंगे. आप यहां पर मिल लेना, पर कुछ ही घंटे मिलने मिल पाएगा.
दीदी बोलीं- ठीक है.
फिर योजना के अनुसार दीदी नागपुर आ गईं. उन्हें देखते ही मेरे चेहरे पर एक अलग ही चमक आ गई. हालांकि मैं कभी भी उन्हें बुरी नज़र से नहीं देखता था, वो मेरी सबसे अच्छी बहन थी. वो माँ पिताजी से मिलीं और सीधा मेरे कमरे में आ गईं.
वो बोलीं- लो मैं ला गई, आगे क्या सोचा है?
मैंने बोला- वो कब आ रहा है?
दीदी ने बोला- वो कल ही आ जाएगा.
मैं- अच्छा.. और आप कितने दिन के लिए आई हो?
वो बोलीं- सात दिन के लिए.
मैं बोला- बढ़िया है.. बहुत मस्ती करेंगे.
अब हम यहां वहां की बातें करने लगे. फिर रात को खाना खा कर सोने चले गए. जैसे कि हम बचपन से ही साथ में सोते हैं, वैसे ही आज भी हम साथ में लेट गए. मैंने उनके हाथ को अपने गालों के नीचे रखा और सो गया.
दूसरे दिन योजना के हिसाब से हम घर से निकले और उसके ब्वॉयफ्रेंड को मिलने चले गए. दीदी मेरी साथ गई थीं, इसलिए कोई संदेह भी नहीं कर सकता था. वो एक गार्डन में मिले, मैंने कुछ देर उन दोनों को अकेला छोड़ दिया.
मैं दीदी से बोला- मैं बाद में आता हूँ.
मैं चार घंटे बाद गया, तब भी उनकी बातें खत्म नहीं हुई थीं. मैं बोला- अब चलो.
फिर हम दोनों घर आ गए.
आज वो बहुत खुश थीं, उन्होंने मुझको बहुत बार थैंक्स बोला.
मैं बोला- अब खुश तो हो.
दीदी बोली- बहुत..
वो ख़ुशी से कूदने लगीं, तब पहली बार मेरी नज़र उनके मचलते मम्मों पे पड़ी. वो हिल ही ऐसे रहे थे. दीदी की हाइट कुछ 5 फुट 2 इंच थी, साइज़ लगभग 34-28-30 का रहा होगा. उभरे हुए चूचे और पतली कमर गोरा रंग. मैं साढ़े पांच फुट की हाइट थी और तब जिम जाता था, तो मेरी बॉडी भी ठीक ही थी.
रात को खाना खाने के बाद हम हमेशा की तरह सोने की तैयारी करने लगे. मैंने बरमूडा और टी-शर्ट पहन लिया और दीदी ने नॉर्मली रेड सूट पहन लिया था. हम दोनों बिस्तर पर लेट गए. बहुत देर तक दीदी और मैं बातें करते रहे. बाद में हम दोनों सो गए, पर पता नहीं उसे रात मुझे क्या हुआ. उस रात मुझे कुछ अलग ही सेक्सी सपने आ रहे थे और बहुत में बेचैन हो रहा था. पर जैसे तैसे मुझे नींद लग गई.
दीदी बोलीं- ठीक है.
फिर योजना के अनुसार दीदी नागपुर आ गईं. उन्हें देखते ही मेरे चेहरे पर एक अलग ही चमक आ गई. हालांकि मैं कभी भी उन्हें बुरी नज़र से नहीं देखता था, वो मेरी सबसे अच्छी बहन थी. वो माँ पिताजी से मिलीं और सीधा मेरे कमरे में आ गईं.
वो बोलीं- लो मैं ला गई, आगे क्या सोचा है?
मैंने बोला- वो कब आ रहा है?
दीदी ने बोला- वो कल ही आ जाएगा.
मैं- अच्छा.. और आप कितने दिन के लिए आई हो?
वो बोलीं- सात दिन के लिए.
मैं बोला- बढ़िया है.. बहुत मस्ती करेंगे.
अब हम यहां वहां की बातें करने लगे. फिर रात को खाना खा कर सोने चले गए. जैसे कि हम बचपन से ही साथ में सोते हैं, वैसे ही आज भी हम साथ में लेट गए. मैंने उनके हाथ को अपने गालों के नीचे रखा और सो गया.
दूसरे दिन योजना के हिसाब से हम घर से निकले और उसके ब्वॉयफ्रेंड को मिलने चले गए. दीदी मेरी साथ गई थीं, इसलिए कोई संदेह भी नहीं कर सकता था. वो एक गार्डन में मिले, मैंने कुछ देर उन दोनों को अकेला छोड़ दिया.
मैं दीदी से बोला- मैं बाद में आता हूँ.
मैं चार घंटे बाद गया, तब भी उनकी बातें खत्म नहीं हुई थीं. मैं बोला- अब चलो.
फिर हम दोनों घर आ गए.
आज वो बहुत खुश थीं, उन्होंने मुझको बहुत बार थैंक्स बोला.
मैं बोला- अब खुश तो हो.
दीदी बोली- बहुत..
वो ख़ुशी से कूदने लगीं, तब पहली बार मेरी नज़र उनके मचलते मम्मों पे पड़ी. वो हिल ही ऐसे रहे थे. दीदी की हाइट कुछ 5 फुट 2 इंच थी, साइज़ लगभग 34-28-30 का रहा होगा. उभरे हुए चूचे और पतली कमर गोरा रंग. मैं साढ़े पांच फुट की हाइट थी और तब जिम जाता था, तो मेरी बॉडी भी ठीक ही थी.
रात को खाना खाने के बाद हम हमेशा की तरह सोने की तैयारी करने लगे. मैंने बरमूडा और टी-शर्ट पहन लिया और दीदी ने नॉर्मली रेड सूट पहन लिया था. हम दोनों बिस्तर पर लेट गए. बहुत देर तक दीदी और मैं बातें करते रहे. बाद में हम दोनों सो गए, पर पता नहीं उसे रात मुझे क्या हुआ. उस रात मुझे कुछ अलग ही सेक्सी सपने आ रहे थे और बहुत में बेचैन हो रहा था. पर जैसे तैसे मुझे नींद लग गई.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.