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Adultery कैसे करें अपनी बीबी को तैयार. मैंमेरे मित्र अनिल ने मिल कर मेरी बीबी को उकसाया
#25
तब मैंने अपनी पत्नी को अपनी बाँहों में लेते हुए कहा, "देखो आज होली है। आज आनंद का त्यौहार है। रोने का नहीं। ऐसे वक्त में तो एक स्त्री ही पुरुष को प्रेम देकर अपने स्त्रीत्व से शांत कर सकती है। मैं कुछ नहीं कर सकता। अनीता भी तो अनिल के पास नहीं है। आज तो तुम ही अनिल को शांत कर सकती हो। 
मेरी बात सुनकर नीना सहम सी गयी और कुछ देर तक सोचने लग गयी। फिर बोली, "पर अगर मैं उसे अपने स्त्रीत्व से शांत करने की कोशिश करुँगी और कुछ ऊपर नीचे होगया तो?" 
मैंने कहा, "तो क्या होगा? मैं हूँ ना? सुबह उसने तुम्हारी चूचियां दबाई तो क्या हुआ? कौन सा आसमान टूट पड़ा? तुम्हें कुछ नहीं होगा। ज्यादा चिंता मत करो। मैं तुम्हारा पति तुम्हे कह रहा हूँ। यह ज्यादा सोचने का वक्त नहीं है। तुम मेरे साथ चलो और उसे अपने आँचल में लेकर शांत करो। वरना वह कहीं वह कोई पागलपन न कर बैठे। वह कहीं अपनी जान न खो बैठे। और अगर ऐसा कुछ हुआ तो तुम अपने आप को कभी माफ़ नहीं कर पाओगी।"
नीना हड़बड़ा कर उठी और अनिल जहां बाहर बैठा था उसके पास गयी। उसने अनिल का हाथ पकड़ा और उसे खीच कर बैडरूम में ले आई। अनिल की सिसकियाँ तब भी नहीं रुक रही थी। पलंग पर नीना मेरे और अनिल के बिच बैठी। उसने अनिल का सर अपनी गोद में रखा और उसके काले घने बालों में अपनी उंगलियां ऐसे फेर रही थी जैसे वह कंघा कर रही हो। अब अनिल का सर मेरी पत्नी की गोद में था। 
अनिल का नाक अब नीना के स्तनों को छू रहा था। अनिल का हाल देखने वाला था। नीना जैसे ही थोड़ी झुकी की उसकी मद मस्त चूंचियां अनिल के नाक पर रगड़ ने लगीं। नीना सिहर उठी। नीना सीधी बैठी और अनिल और मुझे अपनी दोनों बाँहों में लिया। 
मैंने नीना के रसीले होठों पर अपने होंठ रख दिए और उसके होठों को चूसने लगा। नीना ने अपनी आँखें बंद कर ली। अनिल ने हमें चुम्बन करते देख हमारे मुंह के बिच अपना मुँह घुसेड़ दिया। जब मैंने देखा की अनिल भी नीना के रसीले होंठो को चूसना और उसे किस करने के लिए उतावला हो रहा था तो मैं बीचमें से हट गया। 
तब अनिल और नीना के रसभरे होंठ मिल गये और अनिल ने नीना का सर अपने हाथ में पकड़ कर नीना के होठों को चूसना शुरू किया। नीना की आँखे बंद थीं। पर जैसे ही अनिल की मूछें उसने महसूस की, तो उसने आँख खोली और अनिल को उस से चुम्बन करते पाया। वह थोड़ी छटपटाई और मुंह हटाने लगी। पर अनिल ने उसका सर कस के पकड़ा था। वह हिल न पायी और शायद उसे याद आया की उस रात उसने मुझे अनिल को अपना थोडा सा स्त्री जातीय प्यार देनेका वादा किया था। शायद यह सोच कर वह शांत हो गई और अनिल के चुम्बन में उसकी सह भागिनी हो गयी। मेरे लिए यह एक अकल्पनीय द्रष्य था। मेरी रूढ़िवादी पत्नी मेरे प्रिय मित्र को लिपट कर किस कर रही थी। नीना ने जब देखा की वह उसकी जीभ को भी चूसना चाहता था तब नीना ने अनिल के मुंह में अपनी जीभ को जाने दिया। 
अनिल मेरी प्रिय पत्नी को ऐसे चुम्बन कर रहा था जैसे वह अब उसे नहीं छोड़ेगा। नीना साँस नहीं ले पा रही थी। उसने अपना मुंह अनिल के मुंह से हटाया और जोरों से सांस लेने लगी। अनिल नीना को कष्ट में देख थोड़ा खिसिया गया। उसकी खिसियानी हालत देख नीना ने उसे अपनी एक बांह में लिया और मुझे दूसरी बाँह में। हम दोनों को अपनी बाँहों में ले कर वह पलंग पर लेट गयी। उसका मुंह अनिल की और था। मैं उस के पीछे लेटा था। उसने एकबार फिर अनिल के होंठ से अपने होंठ मिलाये और अब वह और जोश से अनिल को चुम्बन करने लगी। तब अनिल और मेरी पत्नी ऐसे चुम्बन कर रहे थे जैसे दो प्रेमी सालों के बाद मिले हों। नीना के दोनों हाथ अनिल के सर को अपनी बाँहों में लिए हुए थे। अनिल ने भी मेरी पत्नी को कमर से कस के अपनी बाँहों में जकड़ा हुआ था। 
यह द्रष्य मेरे लिए एकदम उत्तेजित करने वाला था। मेरा लण्ड एकदम कड़क हो गया था। मैंने भी नीना को पीछे से मेरी बाहोँ में जकड़ा और मेरी पत्नी के दोनों स्तनों को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर मसलना शुरू किया। हम तीनों पलंग पर लेटे हुए थे। मैंने फिर मेंरे कड़े लण्ड को मेरी पत्नी के गाउन ऊपर से उसकी गांड में डालना चाहा। मैं उसे पीछे से धक्का दे रहा था। इस कारण वह अनिल में घुसी जा रही थी। अनिल पलंग के उस छौर पर पहुँच गया जहाँ दीवार थी और उसके लिए और पीछे खिसकना संभव नहीं था। 
अचानक नीना जोर से हँस पड़ी। उसे हँसते देख अनिल ने पूछा, "भाभीजी, क्या बात है? आप क्यों हंस रही हो?"
तब नीना सहज रूप से बोल पड़ी, “तुम्हारे भैया मुझे पिछेसे धक्का दे रहे हैं। उनका कड़क घंटा वह मेरे पिछवाड़े में घुसेड़ ने की कोशिश कर रहे है। इनकी हालत देख मुझे हंसी आ गयी।" 
मैंने पहली बार मेरी रूढ़ि वादी पत्नी के मुंह से किसी पर पुरुष के सामने लण्ड के लिए कोई भी शब्द का इस्तमाल करते हुए सुना। मुझे लगा की जीन और व्हिस्की की मिलावट के दो पुरे पेग पीनेसे अब मेरी बीबी थोड़ी बेफिक्र हो गयी थी। साथ में वह अब अनिल से पहले से काफी अधिक घनिष्ठता महसूस कर रही थी।


6………
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: कैसे करें अपनी बीबी को तैयार. मैंमेरे मित्र अनिल ने मिल कर मेरी बीबी को उकसाया - by neerathemall - 26-01-2024, 10:18 AM



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