21-01-2024, 05:06 PM
मंजू को यह लगने लगा था कि मेरी बात ना मानने की सजा में मैं कही उसे नंगा घर से बाहर ना घुमा दूं। मंजू के मन के इस डर को मैं समझ चुका था।
वो लगातार मेरे गले से लिपट कर मुझे चूम रही थी और अपने हाथों से मेरे शॉर्ट्स के ऊपर से ही लंड को पकड़े हुए मसल रही थी, मानों किसी तरह वो अपनी बाट मुझसे मनवा ले।
मै अपना हाथ मंजु के चूतर के पास ली गया, उसकी बायीं जंघा पर जोर से चिकौटी काटा। फिर उसको सोफा से उठाया और सीधा सामने खड़ी होने को कहा। मंजु बिना कोई देरी किए चुपचाप मेरे सामने खड़ी हो गई। मैं सोफे पर बैठा था और वो सोफे के सामने खड़ी थी।
मेरे आखों के सामने उसका चिकना चूत था, मैंने चूत के पास अपनी दो उँगलियों को ले गया और वहाँ पर हाथे फेरने लगा। मंजु की सिसकी निकल रही थी। मैं कुछ और आगे की सोचता तब तक नीतू तैयार होकर कमरे से बाहर आ गई।
नीत्यु की मेरे कहे के अनुसार साड़ी पहना था जिसमें वो कातिल लग रही थी।
नीतू ने मैरून कलर की साड़ी पहनी थी और बैकलेस ब्लाउज था। उसके बड़े बड़े बूब्स ब्लाउज से बाहर निकलने को बेताब थे।
मैंने नीतू को पास बुलाया और मंजु के कान के पास थीड़े से बोला- बात मानेगी तो ऐसे घूमेगी नहीं तो नंगी घूमेगी
मंजु समझ चुकी थी कि अब सब लाज शर्म छोड़ के उसे रहना होगा वरना परिणाम कुछ भी हो सकता है। अब मैंने बग़ल में खड़ी नीतू को अपने पास खींचा।
नीतू की साड़ी नाभि से थोड़ी नीचे बांधी थी जबकि औरतों की साड़ी को और नीचे बांधा जा सकता है। मैंने नीतू की साड़ी नाभि से थोड़ी और नीचे की ओर खींच दी, मानो बस चूत के बस ऊपर और मैंने उसको वहाँ पे किस किया। बग़ल में खड़ी मंजु को अब इसे जलन हो रही थीं।
फिर मैंने नीतू को अपने गोद में बिठाया और उसके बूब्स मसलने लगा। ये क्या नीतू ने ब्रा पहना था।
मैं नीतू की ओर ग़ुस्से से देखा और बोला- ये क्या तुझे भी नंगी जाना है, क्या?
यह बोलने के साथ मैंने नीतू के ब्लाउज की डोरीं खींच दी। नीतू का ब्लाउज हवा में बस कंधे से लिपटा था सुर ब्रा सामने थी। मैंने उसे बोला चल ब्रा उतार।
फिर मैंने मंजु और नीतू दोनों को सामने खड़ा किया और बोला।
राज- मेरी बात ध्यान से सूनो, आज आखिरी बार बोल रहा हूँ। आज के बाद किसी ने यह गलती की तो उसे बहुत भयानक सजा मिलेगी।
घर में तुम दोनों कम से कम कपड़े में रहोगी। ऊपर कुछ भी पहन रखा हो तो ब्रा और पैंटी कोई नहीं पहनेगा।
तुमलोगों का कम कपड़ा पहनना अजीब ना लगे इसलिए प्रीति और शिल्पी को भी समझा कर कम कपड़े पहनाओ।
बाहर घूमने जाते वक़्त कोई ब्रापैंटी नहीं होनी चाहिए।
दोनों चुपचाप सुनते रहे। फिर मैंने पूछा कोई दिक्कत तुम दोनों को?
मंजु और नीतू ने स्वीकारते हुए सर हिलाया फिर बहुत ही धीमी आवाज़ में बोला, मनीष भी तो है घर में।
फिर मैंने बोला- ठीक है आज मनीष के सामने तुम नंगी होगी मंजु।
मंजू तुरंत मेरे पैर में गिर गई और बोलने लगी- प्लीज मेरे बेटे के सामने मुझे जलील नहीं कीजिए बाक़ी आप जो कहोगे मैं मानूँगी।
मैंने मंजु को उठाया और बोला- चलों दोनों जा के छत से मेरे कपड़े, जूते और गाड़ी की चाभी ले ले आ जाओं।
वो लगातार मेरे गले से लिपट कर मुझे चूम रही थी और अपने हाथों से मेरे शॉर्ट्स के ऊपर से ही लंड को पकड़े हुए मसल रही थी, मानों किसी तरह वो अपनी बाट मुझसे मनवा ले।
मै अपना हाथ मंजु के चूतर के पास ली गया, उसकी बायीं जंघा पर जोर से चिकौटी काटा। फिर उसको सोफा से उठाया और सीधा सामने खड़ी होने को कहा। मंजु बिना कोई देरी किए चुपचाप मेरे सामने खड़ी हो गई। मैं सोफे पर बैठा था और वो सोफे के सामने खड़ी थी।
मेरे आखों के सामने उसका चिकना चूत था, मैंने चूत के पास अपनी दो उँगलियों को ले गया और वहाँ पर हाथे फेरने लगा। मंजु की सिसकी निकल रही थी। मैं कुछ और आगे की सोचता तब तक नीतू तैयार होकर कमरे से बाहर आ गई।
नीत्यु की मेरे कहे के अनुसार साड़ी पहना था जिसमें वो कातिल लग रही थी।
नीतू ने मैरून कलर की साड़ी पहनी थी और बैकलेस ब्लाउज था। उसके बड़े बड़े बूब्स ब्लाउज से बाहर निकलने को बेताब थे।
मैंने नीतू को पास बुलाया और मंजु के कान के पास थीड़े से बोला- बात मानेगी तो ऐसे घूमेगी नहीं तो नंगी घूमेगी
मंजु समझ चुकी थी कि अब सब लाज शर्म छोड़ के उसे रहना होगा वरना परिणाम कुछ भी हो सकता है। अब मैंने बग़ल में खड़ी नीतू को अपने पास खींचा।
नीतू की साड़ी नाभि से थोड़ी नीचे बांधी थी जबकि औरतों की साड़ी को और नीचे बांधा जा सकता है। मैंने नीतू की साड़ी नाभि से थोड़ी और नीचे की ओर खींच दी, मानो बस चूत के बस ऊपर और मैंने उसको वहाँ पे किस किया। बग़ल में खड़ी मंजु को अब इसे जलन हो रही थीं।
फिर मैंने नीतू को अपने गोद में बिठाया और उसके बूब्स मसलने लगा। ये क्या नीतू ने ब्रा पहना था।
मैं नीतू की ओर ग़ुस्से से देखा और बोला- ये क्या तुझे भी नंगी जाना है, क्या?
यह बोलने के साथ मैंने नीतू के ब्लाउज की डोरीं खींच दी। नीतू का ब्लाउज हवा में बस कंधे से लिपटा था सुर ब्रा सामने थी। मैंने उसे बोला चल ब्रा उतार।
फिर मैंने मंजु और नीतू दोनों को सामने खड़ा किया और बोला।
राज- मेरी बात ध्यान से सूनो, आज आखिरी बार बोल रहा हूँ। आज के बाद किसी ने यह गलती की तो उसे बहुत भयानक सजा मिलेगी।
घर में तुम दोनों कम से कम कपड़े में रहोगी। ऊपर कुछ भी पहन रखा हो तो ब्रा और पैंटी कोई नहीं पहनेगा।
तुमलोगों का कम कपड़ा पहनना अजीब ना लगे इसलिए प्रीति और शिल्पी को भी समझा कर कम कपड़े पहनाओ।
बाहर घूमने जाते वक़्त कोई ब्रापैंटी नहीं होनी चाहिए।
दोनों चुपचाप सुनते रहे। फिर मैंने पूछा कोई दिक्कत तुम दोनों को?
मंजु और नीतू ने स्वीकारते हुए सर हिलाया फिर बहुत ही धीमी आवाज़ में बोला, मनीष भी तो है घर में।
फिर मैंने बोला- ठीक है आज मनीष के सामने तुम नंगी होगी मंजु।
मंजू तुरंत मेरे पैर में गिर गई और बोलने लगी- प्लीज मेरे बेटे के सामने मुझे जलील नहीं कीजिए बाक़ी आप जो कहोगे मैं मानूँगी।
मैंने मंजु को उठाया और बोला- चलों दोनों जा के छत से मेरे कपड़े, जूते और गाड़ी की चाभी ले ले आ जाओं।